विधानसभा के मानसून सत्र में पेश होगा पहला अनुपूरक बजट
18 जुलाई को प्रश्न काल और पहले अनुपूरक बजट पर वाद-विवाद होगा और उसी दिन अनुपूरक बजट पारित कर दिया जाएगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से आरंभ होगा। शनिवार तक चलने वाले सदन की कार्यवाही के दौरान पहला दिन औपचारिकताओं में गुजरेगा। स्पीकर दिनेश उरांव के आरंभिक वक्तव्य और शोक प्रकाश के बाद कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी जाएगी। राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2018-19 का पहला अनुपूरक बजट 17 जुलाई को पेश करेगी।
18 जुलाई को प्रश्न काल और पहले अनुपूरक बजट पर वाद-विवाद होगा और उसी दिन अनुपूरक बजट पारित कर दिया जाएगा। अगले दिन 19 से 20 जुलाई तक प्रश्न काल व राजकीय और विधायी कार्य किए जाएंगे।अंतिम दिन प्रश्न काल के साथ-साथ गैर सरकारी संकल्प पेश किया जाएगा।
विपक्ष कर सकता है हंगामा
विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार बढ़ सकता है। पूर्व के अनुभव के आधार पर इसकी संभावना प्रबल है। विधानसभा के बजट सत्र में इसी वजह से सदन की कार्यवाही नहीं चल पाई थी। हंगामे के कारण निर्धारित अवधि से पूर्व सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। कई नए मुद्दे भी विपक्ष के हाथ लगे हैं जिसपर गतिरोध बढ़ सकता है।
अब 81 में 11 महिला विधायक
सोमवार को विधानसभा में दो नई महिला सदस्यों का पहला दिन होगा। गोमिया की विधायक बबीता देवी और सिल्ली की नवनिर्वाचित विधायक सीमा देवी विधानसभा के सत्र में भाग लेंगी। दोनों विधायकों का शपथ ग्रहण पूर्व में हीं हो चुका है। इसी के साथ विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या बढ़कर 11 हो जाएगी। इन दो नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा महिला विधायकों में डा. लुइस मरांडी, नीरा यादव, मेनका सरदार, सीता सोरेन, गीता कोड़ा, निर्मला देवी, जोबा मांझी, बिमला प्रधान, गंगोत्री कुजूर शुमार हैं। डा. लुइस मरांडी और नीरा यादव मंत्रिमंडल में शामिल हैं।
हमारा प्रयास होगा कि सदन की कार्यवाही अबाधित चले। जिन विषयों पर विरोध है उसपर हम बहस के लिएतैयार हैं। सकारात्मक माहौल से सभी मसलों का समाधान संभव है। आशा है कि कार्यवाही निर्बाध चलेगी और जनता के मुद्दे सदन में उठेंगे। राधाकृष्ण किशोर, मुख्य सचेतक, भाजपा।
हम इस बात के पक्षधर हैं कि सदन की कार्यवाही चले लेकिन केवल सरकार के कामकाज के लिए सदन चले, ऐसा नहीं होना चाहिए। सदन में जो निर्णय लिए जाएं या नीतिगत फैसले हों, वह जनता के हित में होना चाहिए। बिना चर्चा कराए विधेयक पास करना ठीक नहीं है।
आलमगीर आलम, कांग्रेस, विधायक दल।
सत्तापक्ष को जनता के मुद्दों से कोई लेनादेना नहीं है। इनका एजेंडा झारखंड की मूल भावना के खिलाफ है। इनके नीतिगत फैसले से अस्मिता का संकट पैदा हुआ है। पूर्व में दबाव में इन्होंने फैसले वापस भी लिए हैं लेकिन सदन में इनका अड़ियल रवैया बाधक बनता है।
कुणाल षाडंगी, सचेतक, झामुमो
छाए रहेंगे ये मुद्दे
- भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का विरोध। विपक्ष ने इस मसले पर पांच जुलाई को बंद का आह्वान किया था। - खूंटी में पत्थलगड़ी का मसला। विपक्ष की चुप्पी पर सत्तापक्ष कर सकता है घेराबंदी।
- धर्मांतरण करने वाले जनजातीय समुदाय का आरक्षण खत्म करने को लेकर चल रही गतिविधियां भी विवाद का सबब बन सकती है।
- ईसाई मिशनरी के पक्ष-विपक्ष में भी बढ़ सकती है गोलबंदी।