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मजबूत कानून से डूबने से बचा बैंकों का पैसा

रांची रांची में बैंकरप्सी पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें बताया गया कि मजबूत कानून से ही बैंकों का पैसा डूबने से बच सका।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 May 2019 01:26 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 01:26 AM (IST)
मजबूत कानून से डूबने से बचा बैंकों का पैसा
मजबूत कानून से डूबने से बचा बैंकों का पैसा

राज्य ब्यूरो, रांची : नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के अध्यक्ष जस्टिस एसजे मुख्योपाध्याय ने कहा कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कानून (आइबीसी) की जानकारी प्राप्त कर राज्य सरकार एवं सरकारी कंपनियों को तत्परता से कार्य करने की आवश्यकता है। सरकारी तंत्र अगर ससमय रुग्ण कंपनियों के दाखिल मामलों में अपना क्लेम दाखिल करे, ताकि राशि की उगाही के दौरान किसी प्रकार की अड़चन न हो। जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय धुर्वा स्थिति ज्यूडिशियल एकेडमी में लॉ एंड इकोनॉमिक्स ऑफ इसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।

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उन्होंने महाधिवक्ता अजीत कुमार की ओर से रांची में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की शाखा खोलने की मांग का समर्थन किया और राज्य सरकार के अधिकारियों को इस नए कानून को समझने की आवश्यकता बताई।

इस दौरान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने ग्रीस में लागू कानून के बारे में बताया कि अगर ग्रीस में कोई कंपनी दिवालिया हो जाती तो उसके मालिक के परिवार को गुलामी का दंश झेलना पड़ता था। हमारे देश में भी आइबीसी कानून लागू किया गया और इसके तहत एनसीएलटी व एनसीएलएटी जैसे बनी संस्थाएं उत्कृष्ट योगदान दे रही हैं। एनसीएलएटी व सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो सालों में कई रुग्ण कंपनियों के मामले निर्धारित किए गए, जिसके चलते उनके पुनरुद्र्धार का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि 2016 में आइबीसी कानून लागू किया गया। आमतौर पर कंपनियों में लगने वाली राशि एनपीए हो जाती है। कंपनी के दिवालिया होने की स्थिति में बैंक का पैसा भी नहीं वसूला जा सकता था, लेकिन अब नए कानून के तहत एनसीएलटी व एनसीएलएटी बनाया गया है। जिससे कई कंपनियों न सिर्फ पुन: जिंदा किया गया है, बल्कि रुग्ण कंपनियों को सुदृढ़ भी किया गया है। कई कंपनियों से भारी रकम भी वसूली गई है और पूर्व मैनेजमेंट को हटाकर नए मैनेजमेंट ने कंपनी को टेकओवर किया है।

महाधिवक्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को नए कानून के बारे में उचित जानकारी नहीं है। उनके द्वारा रुग्ण कंपनियों से वसूली के संबंध में सरकार की ओर से कार्यवाही नहीं हो रही है। इसलिए ऐसे कार्यक्रम की आवश्यकता है। महाधिवक्ता ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टी बोर्ड ऑफ इंडिया (आइबीबीआइ) एवं मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेट अफेयर से रांची में एनसीएलटी की बेंच खोलने की आवश्यकता बताई।

इस दौरान एसआइएसआइ के अध्यक्ष सुमंत बत्रा, एमसीए के संयुक्त सचिव ज्ञानेश्वर कुमार सिंह, आइबीबीआइ के अध्यक्ष एमएस साहू, आइआइएम के निदेशक डॉ. शैलेंद्र सिंह, एफजेसीसीआइ के अध्यक्ष दीपक मारू सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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