De-limitation: झारखंड में तूल पकड़ेगा विधानसभा की सीटों के परिसीमन का मसला
De-limitation in Jharkhand मौजूदा दौर में नए सिरे से विधानसभा की सीटों के परिसीमन पर बात आगे बढ़ सकती है। यूपीए ने उत्तर-पूर्व के राज्यों समेत झारखंड में परिसीमन को टाल दिया था।
रांची, [प्रदीप सिंह]। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले सीटों के परिसीमन पर चल रही कवायद को देखते हुए झारखंड में भी विधानसभा की सीटों के परिसीमन का मुद्दा गर्म हो गया है। माना जा रहा है कि परिसीमन में आबादी के लिहाज से कई नए विधानसभा क्षेत्र सृजित होंगे और विधानसभा में राज्य की सीटें बढ़ेंगी। फिलहाल भाजपा के राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने इस मसले को छेड़ा है। उनका तर्क है कि परिसीमन पर फैसला लिया जाना चाहिए। झारखंड में लंबे अरसे से विधानसभा की सीटें बढ़ाने की मांग हो रही है। परिसीमन न होने की वजह से मामला रुका हुआ है।
पूर्व में हो चुकी है कवायद
2005-2006 में विधानसभा सीटों को नए सिरे से चिन्हित करने को लेकर राज्य सरकार ने परिसीमन कमेटी का गठन किया था। विधानसभा में सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर भी तत्कालीन कमेटी के सदस्य थे। उन्होंने बताया कि यह नीतिगत मामला है। उस वक्त केंद्र सरकार के मशविरे पर कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें सामाजिक, आर्थिक ढांचे के साथ-साथ क्षेत्र के पिछड़ेपन आदि को मानक बनाते हुए परिसीमन किया जाना था, लेकिन केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने उत्तर-पूर्व के राज्यों समेत झारखंड में परिसीमन पर रोक लगा दी थी।
लंबी प्रक्रिया है परिसीमन की
विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया लंबी है। इसके लिए सबसे पहले नोटिफिकेशन करना होगा। आबादी के लिहाज से तमाम सीटों का आकलन भी करना होगा। तमाम राजनीतिक दलों की इसपर राय लेनी होगी। सर्वसम्मति से इसपर किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।
परिसीमन का विरोध करेंगे : झामुमो
भाजपा ने भले ही विधानसभा सीटों के परिसीमन की वकालत की हो, लेकिन मुख्य विपक्षी दल झामुमो इसके पक्ष में नहीं है। झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भïट्टाचार्य ने कहा कि पूर्व में भी संगठन की ओर से परिसीमन को लेकर बनी कमेटी के समक्ष विरोध दर्ज कराया गया था। झामुमो का तर्क है कि इससे रिजर्व सीटें कम हो जाएंगी, जो झारखंड गठन के मूल उद्देश्य के विपरीत होगा। फिलहाल 2025 तक इसे नहीं करने का निर्देश है। केंद्र सरकार ने इसे जबरन लादने की कोशिश की तो प्रबल विरोध होगा।
परिसीमन हुआ होता तो ये होती विधानसभा की सीटें
भवनाथपुर (एससी), पिपराकलां, गढ़वा, डालटनगंज, पाटन, हुसैनाबाद (एससी), छत्तरपुर, पांकी, लातेहार (एससी), बालूमाथ (एससी), इटखोरी, चतरा (एससी), बरही (एससी), बड़कागांव, पतरातू, रामगढ़, मांडू, हजारीबाग, बरकट्ठा, कोडरमा, मकच्चो, देवरी (एससी), धनवार, बगोदर, डुमरी, गिरिडीह, जमुआ, देवघर (एससी), मधुपुर, सारठ, गोड्डा, पथरगामा, मेहरमा, बरहेट (एसटी), राजमहल, बड़हरवा, पाकुड़, महेशपुर (एसटी), दुमका (एसटी), जरमुंडी, शिकारीपाड़ा (एसटी), नाला (एसटी), जामताड़ा, निरसा चिरकुंडा, गोबिंदपुर, धनबाद, सिंदरी, झरिया, बाघमारा (एससी), कतरास, बेरमो, गोमिया, बोकारो, चंदनक्यारी (एससी), जरीडीह, सिल्ली (एससी), तमाड़ (एसटी), खूंटी (एसटी), रातू (एसटी), रांची साऊथ, रांची सेंट्रल, कांके, बुढ़मू (एसटी), लोहरदगा (एसटी), सिसई (एसटी), गुमला (एसटी), सिमडेगा (एसटी), ठेठईटांगर (एसटी), मनोहरपुर (एसटी), जगन्नाथपुर (एसटी), चाईबासा (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी), सरायकेला (एसटी), आदित्यपुर, चांडिल, मानगो, बागबेड़ा, जमेशदपुर, घाटशिला, पोटका (एसटी), बहरागोड़ा (एसटी)।
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