मोबाइल के अधिक प्रयोग से रिश्ते हो रहे प्रभावित
अभिभावकों का कहना है कि बच्चे भी ज्यादातर मोबाइल की दुनिया में ही व्यस्त रहते हैं, जिससे आपसी संवाद कम होता जा रहा है।
रांची : पहले के दौर में जब मोबाइल नहीं था, तो लोगों का आपस में काफी मिलना-जुलना होता था। संवाद का सिलसिला चलता रहता था। लोग एक-दूसरे के दर्द और भावना को समझते थे। साथ ही समस्याओं के निपटारे के लिए प्रयास करते थे। अब मोबाइल के आगमन के बाद बातें तो काफी हो रही हैं, लेकिन दिलों के बीच की दूरियां काफी बढ़ गई हैं। लोगों के बीच उचित संवाद नहीं हो पा रहा है। व्यक्तिगत समस्याओं का जाल बढ़ रहा है और रिश्तों की बुनियाद कमजोर पड़ती जा रही है।
ऐसे में रिश्ते बन कम रहे हैं और टूट ज्यादा रहे हैं। कल्पना के संसार में विचरण यह सच है कि हम सबको व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों से बाहरी दुनिया से जुड़े रहने के लिए मोबाइल फोन की आवश्यकता है। लेकिन जरूरी कार्यो को रोक कर अपना और दूसरे का समय खराब करने की कीमत पर नहीं। हम सब मोबाइल के साथ रहना पसंद करते हैं, इतना कि सोने से पहले वाट्सएप पर मैसेज चेक करते हैं और उठते ही फिर सबसे पहले मैसेज पढ़ते हैं। इससे लोग वर्चुअल वर्ल्ड में ज्यादा जीने लगे हैं। परिवार में आजकल आमने-सामने बैठ कर बातें करना भी कम हो गया है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चे भी ज्यादातर मोबाइल की दुनिया में ही व्यस्त रहते हैं, जिससे आपसी संवाद कम होता जा रहा है। रिश्तों पर पड़ रहा नकारात्मक असर कई बार यही मोबाइल रिश्ते टूटने की वजह बन जाता है।
अगर आप किसी के साथ होते हुए भी उसके साथ नहीं हैं यानी उससे बात करने की बजाय नजरें मोबाइल फोन में गड़ाए रहते हैं, तो यह सामने वाले को कतई अच्छा नहीं लगेगा। दूसरों को नजरअंदाज करके अपने सेल फोन में व्यस्त रहने से रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। क्या कहते हैं लोग आजकल मोबाइल फोन सड़क पर मौत की पहली वजह बनते जा रहे हैं। साथ ही रिश्तों को बिगाड़ने की एक प्रमुख वजह भी। एक-दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने की जगह लोग अपने वर्चुअल फ्रेंड्स को मैसेज देने में व्यस्त रहते हैं। मैं सोचती हूं बतौर समाज हम इस उपकरण की उपयोगिता को समझें और समय और रिश्तों की कीमत पर उसके व्यर्थ इस्तेमाल से बचें ताकि हम अनजाने में हमारे हाथ से फिसलती खुशियों को थाम सकें।
मैं अपने ही घर में यह देखती हूं कि बच्चे मोबाइल में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। बहुत बोलने पर कुछ वक्त वह साथ में बिता लेते हैं। ज्यादातर खाने के वक्त भी बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। बसंती चैधरी, बरियातू मोबाइल की लत के पीछे ठोस वजह यह है कि लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण लक्ष्यों का अभाव है। वे जीवन के लिए जरूरी शिक्षा से दूर होते जाते हैं और मोबाइल फोन के माध्यम से सस्ते मनोरंजन और उसकी लत में लग जाते हैं। इसके चंगुल से निकलने के लिए पहली आवश्यकता यह है कि आप अपने जीवन को ज्यादा दिलचस्प और सार्थक बनाएं। मसलन अपने काम का विस्तार करें या नई हॉबी की शुरुआत करें। इससे आप निश्चित रूप से ज्यादा व्यस्त रहेंगे और मोबाइल के लिए भी कम समय मिल पाएगा। इसके बाद आप अपने पक्के आत्मानुशासन से खुद को मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से रोकें। मैं अपने बच्चों को भी इसकी सलाह देता हूं। वरुण, हरमू