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अवैध खनन और लौह अयस्क भंडार की बिक्री के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें मुख्यमंत्री : सरयू

मुख्यमंत्री से मुलाकात कर विधायक सरयू राय सौपेंगे स्मार-पत्र

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 08:41 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 08:41 AM (IST)
अवैध खनन और लौह अयस्क भंडार की बिक्री के  दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें मुख्यमंत्री : सरयू
अवैध खनन और लौह अयस्क भंडार की बिक्री के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें मुख्यमंत्री : सरयू

राज्य ब्यूरो, रांची : निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सारंडा में लौह अयस्क के अवैध खनन और लीज समाप्त होने के बावजूद खनित लौह अयस्क के भंडार की बिक्री पर आपत्ति को दोहराया है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि वे इन अनियमितताओं के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें। सरयू राय इस घोटाले को लेकर एक स्मार-पत्र सोमवार को रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौपेंगे। उन्होंने कहा कि सारंडा सघन वन क्षेत्र के भीतर रद अथवा समाप्त लौह अयस्क पट्टा क्षेत्रों में उत्खनित अयस्क स्टॉक की बिक्री का मामला शाह ब्रदर्स अथवा एनकेपीके, रामेश्वर जूट मील, देबुका भाई भेल जी अथवा अन्य किसी पट्टाधारी से जितना जुड़ा हुआ है उससे अधिक यह मामला झारखंड सरकार के खान विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली एवं नियम कानून को धता बताकर लिए जाने वाले निर्णयों से जुड़ा हुआ है। यह मामला किसी पट्टाधारी के नफा-नुकसान का नहीं, बल्कि राज्य के नफा-नुकसान का है। कहा कि अब मुख्यमंत्री के ऊपर यह दायित्व है कि अपने पूर्व के कार्यकाल में उन्होंने अवैध खनन को चिन्हित करने के लिए जिस पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था, उसकी अनुशंसा पर कारवाई करे और दोषी अधिकारियों पर एक्शन लें।

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ईडी, एनआईए और सीबीआई का भी हो सकता है हस्तक्षेप : सरयू राय ने सारंडा वन क्षेत्र में अवैध खनन की आशंका जताते हुए इसमें केंद्रीय एजेंसियों के हस्तक्षेप की संभावना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सारंडा क्षेत्र के भीतर पट्टाधारियों के अयस्क का समुचित सत्यापन नहीं होने की स्थिति में इसकी संभावना बढ़ गई है। इनके स्टॉक की प्रतिपूर्ति का एक मात्र तरीका अवैध खनन से हासिल अयस्क से ही हो सकता है। सारंडा वन क्षेत्र में खनन गतिविधियों के साथ आपराधिक एवं उग्रवादी गतिविधियां चलाने की अनेक शिकायतें मिली हैं। खुले बाजार में लौह अयस्क का भाव और आईबीएम द्वारा तय किए गए भाव में जितना बड़ा अंतर है, उससे काला धन पैदा होने और मनी लाउंड्रिग की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार इन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), एनआईए एवं सीबीआई का हस्तक्षेप भी हो सकता है।

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लौह अयस्क की बढ़ती कीमत की ओर दिलाया ध्यान :

सरयू राय ने कहा है कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क की कीमत आसमान छू रही है। वजह आस्ट्रेलिया द्वारा चीन को लौह अयस्क की आपूर्ति बंद करना और दूसरा कारण झारखंड सहित देश के अन्य लौह खनन वाले राज्यों में चल रही निजी व्यवसायिक खदानों का विगत 30 मार्च, 2020 से बंद हो जाना है। चीन दुनिया का सबसे अधिक इस्पात निर्माता देश है, जिसकी उत्पादन क्षमता 850 मिलियन टन है। इसकी इस्पात फैक्ट्रियों को चलाने के लिए चीन दुनिया के अलग अलग खदानों से लौह अयस्क खींचने में लगा हुआ है। इन कारणों से झारखंड की सीमा पर उड़ीसा के जोडा में लौह अयस्क का भाव 7,500 रु प्रति टन है, जबकि इंडियन ब्यूरो आफ माइंस (आईबीएम) द्वारा निर्धारित लौह अयस्क की दर 800 रुपये प्रति टन है। ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार रद अथवा समाप्त लौह अयस्क पट्टा क्षेत्रों में जुड़े हुए लौह अयस्क के स्टॉक को खुले बाजार में नीलाम करेगी तो उसे काफी अधिक कीमत मिलेगी वरना पट्टाधारी इसे आईबीएम की दर पर बेच देंगे और सरकार को राजस्व की हानि होगी।

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पट्टाधारियों को बेचने का नहीं मिले अधिकार : सरयू राय के मुताबिक खनन पट्टाधारियों को लीज समाप्ति की तिथि से छह माह के भीतर लौह अयस्क को बेच देना है। पट्टाधारी अपने स्टॉक की बिक्री छह माह में नहीं कर पाता है तो उसे एक माह का अवधि विस्तार दिया जाएगा। जिसके अनुसार झारखंड के करीब आधा दर्जन लौह आयस्क पट्टाधरियों ने पट्टा समाप्ति के बाद एक माह के भीतर अपने अयस्क का निष्पादन नहीं किया है तो अब उसे उस स्टॉक को बेचने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है। अब सरकार को ऐसे सभी स्टॉक को नीलाम कर अधिक से अधिक धन राशि राज्य खजाने में लाने की कोशिश करनी चाहिए न कि पूर्व पट्टाधारियों को ही इसे बेचने का अधिकार दे देना चाहिए, जैसा कि खान सचिव ने अपना स्टॉक बेचने के लिए शाह ब्रदर्स को अधिकृत कर दिया है। जब किसी पट्टाधारी का लौह अयस्क पट्टा रद अथवा समाप्त हो गया है तो उसके साथ ही उसकी वन स्वीकृति भी समाप्त हो गयी है। नियमों के अनुसार पड़े हुए स्टॉक को बेचना भी खनन कार्य के दायरे में आता है इसलिए इन पट्टाधारियों को सारंडा वन क्षेत्र में खनन संबंधी कोई भी आर्थिक गतिविधि करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार एक मात्र सरकार को ही है, इसलिए खान सचिव द्वारा इसकी बिक्री का आदेश किसी पट्टाधारी को देना सर्वथा अनुचित है।

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