JPSC Mains: विधानसभा में विपक्ष का कार्यस्थगन नामंजूर, मुख्य परीक्षा पर ठनी रार
Uproar in Jharkhand Assembly. झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सदन में झामुमो और कांग्रेस के विधायक जेपीएससी मेंस परीक्षा को लेकर हंगामा करने लगे।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा में मंगलवार को सदन की कार्यवाही नियत समय पर शुरू हो गई है। इस बीच झारखंड लोकसेवा आयोग की परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्य हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। सदन के मुख्य द्वार पर जमे विधायकों ने एक सुर से कहा कि जब सदस्य परीक्षा रोके जाने की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, तब सरकार कान में तेल डालकर सो रही है। विपक्ष की ओर से लाए गए कार्यस्थगन को स्पीकर दिनेश उरांव ने नामंजूर कर दिया है।
बीते दिन स्पीकर दिनेश उरांव ने भी सदन को इस मामले में उपेक्षित रखने पर कड़े लहजे में कहा था कि जनहित में निर्णय नहीं ले सकते तो विधानसभा बंद कर दीजिए।
सोमवार को छलका था विधानसभा अध्यक्ष का दर्द - हर बार सदन में जेपीएससी का विषय ही क्यों आता है?
झारखंड विधानसभा में हो-हंगामा और कामकाज बाधित होने की घटनाएं तो आम हैं लेकिन जो सोमवार को सदन में हुआ वैसा शायद पहले कभी नहीं देखा गया। जेपीएससी छात्रों के हितों को लेकर स्पीकर दिनेश उरांव का दर्द स्पष्ट देखने को मिला। भावुक होकर स्पीकर ने कहा कि जनहित में यदि निर्णय नहीं ले सकते तो विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।
स्पीकर ने यह टिप्पणी सरकार के स्तर से इस गंभीर मसले पर स्थिति को स्पष्ट न किए जाने पर की। जेपीएससी पर सदन की पहली और दूसरी पाली हंगामे की भेंट चढ़ गई। कोई कामकाज नहीं हुआ और सदन की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। जेपीएससी प्रकरण पर स्पीकर दिनेश उरांव व्यथित दिखे। उन्होंने आसन की मजबूरियों का हवाला भी दिया और सरकार पर तंज भी कसा। कहा, सत्ता पक्ष को थोड़ा कष्ट हो रहा होगा। लेकिन विषय गंभीर है। 2014 से नई सरकार है। यह विषय 2015 से चल रहा है, चार साल में भी इसका निदान नहीं निकाल सके तो कहीं न कहीं तो कमी है। सवाल भी उठाया, हर बार सदन में जेपीएससी का विषय ही क्यों आता है? इस पर विचार करना चाहिए। आज हेयरिंग की डेट है और एक्जाम भी चल रहा है। यह विषय गंभीर है। कड़े शब्दों में कहा, अगर जनहित में निर्णय नहीं ले सकते तो सदन को बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री को इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। लेकिन वे सदन को संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। हालांकि, इतना अवश्य कहा कि कोर्ट ने जेपीएससी परीक्षा पर रोक लगाने से इन्कार किया है। इस पर झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि कोर्ट तो सरकार के पक्ष को देखकर ही निर्णय लेती है, कोर्ट ने सरकार को रोका नहीं है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा, सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। हम यह नहीं कहते कि परीक्षा निरस्त कर दें, हम परीक्षा को स्थगित करने की मांग कर रहे हैं। आसन भी इससे ज्यादा नहीं बोल सकता।
इधर, हेमंत बोल रहे थे और उधर स्पीकर अपने आंसू पोछते दिखे। जज्बातों पर काबू पाते हुए उन्होंने इस बाबत पेश किए गए कार्यस्थगन प्रस्ताव को निरस्त कर दिया और वाद विवाद की चर्चा के बीच इस विषय को उठाने का सुझाव दिया। इस पर पूरा विपक्ष वेल में आ गया और नारेबाजी करने लगा। स्थिति बिगड़ती देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोबारा जब कार्यवाही शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष ने एक बार फिर इस विषय को उठाया, विपक्ष वेल में आया और सदन की कार्यवाही एक बार फिर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। द्वितीय पाली में जस के तस हालात बने रहे। विपक्ष हंगामा करता रहा।
स्पीकर ने कहा कि चर्चा होगी तब तो समाधान निकलेगा लेकिन विपक्षी सदस्यों के तेवर वैसे ही रहे और वे वेल में आकर प्रदर्शन करने लगे। स्थिति बिगड़ती देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पूर्व झारखंड विधानसभा की कार्यवाही 11.04 बजे शुरू हुई। विपक्ष ने जेपीएससी पर कार्यस्थगन पेश करते हुए एक स्वर में जेपीएससी परीक्षा की विसंगतियों का मामला उठाया। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने विपक्ष की कमान संभाली। बिंदुवार विसंगतियों को उठाना शुरू किया। यह भी कहा कि इस गंभीर मसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की भावनाएं एक सी हैं। लेकिन सरकार बंदूक की नोक पर परीक्षा करा रही है। आज बच्चे दर-दर भटक रहे हैं। सरकार के पास असीम शक्ति है, राज्यहित में इस शक्ति का उपयोग करे और परीक्षा को स्थगित किया जाए।
कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत, नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानु प्रताप शाही, कांग्रेस के बादल, माले के राजकुमार यादव व झाविमो के प्रदीप यादव ने भी एक सुर में परीक्षा की विसंगतियों को उठाते हुए परीक्षा को स्थगित करने की मांग की। सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने भी परीक्षा को लेकर बरती गई लापरवाही का मामला उठाते हुए इसे तत्काल स्थगित करने की मांग सरकार से की। वहीं, भाजपा विधायक निर्भय शाहबादी ने इस मामले के हल के लिए गठित की गई बाउरी कमेटी की रिपोर्ट को सदन में रखने की मांग की।