जमशेदपुर का सवाल भेज दिया हजारीबाग को
प्रदीप सिंह, रांची : झारखंड विधानसभा में विधायकों के सवालों पर सरकारी महकमे की उदासीनता अक्सर स
प्रदीप सिंह, रांची : झारखंड विधानसभा में विधायकों के सवालों पर सरकारी महकमे की उदासीनता अक्सर सामने आती है। सत्र के दौरान कई बार आसन ने भी इसपर गंभीर आपत्ति जताई है। अधिकारी इस दौरान तत्काल हरकत में तो आते हैं लेकिन तुरंत कामकाज पुराने ढर्रे पर लौट आता है। यही नहीं, विधानसभा में उठाए जाने वाले सवालों का उत्तर देने की सरकारी विभागों में आपाधापी तभी मचती है जब सत्र आरंभ होने वाला होता है।
इसकी एक बानगी बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाडंगी द्वारा उठाया गया सवाल और उसका स्वास्थ्य विभाग द्वारा भेजा गया जवाब है। इसी वर्ष विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उन्होंने आठ अगस्त को यह सवाल पूछा था। उन्होंने जमशेदपुर के धालभूमगढ़ अनुमंडल में सड़क दुर्घटना में मृत लैब टैक्नीशियन रूपेश कुमार के परिवार को पर्याप्त मुआवजा और आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी की मांग की थी। जब शीतकालीन सत्र का एलान हो गया तो आननफानन में सवाल जमशेदपुर के बजाय हजारीबाग के सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को भेज दिया। हजारीबाग के सिविल सर्जन ने तत्काल इसपर स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव को जवाब भेजा कि रुपेश कुमार नामक कोई लैब टैक्नीशियन उनके यहां तैनात ही नहीं है। जाहिर है, गलत जगह से उत्तर मंगाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई।
निंदा प्रस्ताव लाने की तैयारी
बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाडंगी सरकारी विभागों के कामकाज के ढर्रे से खासे नाराज हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में वे निंदा प्रस्ताव लाएंगे। विभागों का यह रवैया असहनीय है। इससे पता चलता है कि विधानसभा और संबंधित विभागों के कतिपय पदाधिकारी सवालों के प्रति कितने गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारियों को यह नहीं पता कि धालभूमगढ़ हजारीबाग जिले में आता है या पूर्वी सिंहभूम में।
स्पीकर भी करते रहे हैं ताकीद
विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव विधायकों के सवालों का सही जवाब देने को लेकर कई बार निर्देश जारी कर चुके हैं। विधानसभा के सत्रों के दौरान भी उन्होंने इस बाबत अधिकारियों को ताकीद की है। उन्होंने सवालों को टालने की प्रवृत्ति को गलत करार देते हुए वरीय अधिकारियों को सचेत किया है कि विधायकों के सवालों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।