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प्रवासियों को कहीं मिल रहा भरपूर प्यार, तो कहीं अपनों की ही फटकार

Jharkhand News. कई मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं जहां अपने लोग ही क्वारंटाइन अवधि पूरी कर चुके लोगों के साथ बेगानों सा व्यवहार कर रहे हैैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 09:03 AM (IST)
प्रवासियों को कहीं मिल रहा भरपूर प्यार, तो कहीं अपनों की ही फटकार
प्रवासियों को कहीं मिल रहा भरपूर प्यार, तो कहीं अपनों की ही फटकार

रांची, जेएनएन। दूसरे राज्यों से घर लौट रहे प्रवासी अब अपनों के करीब पहुंचने लगे हैं। कोरोना से बचाव के मद्देनजर उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा हैं। एक ओर जहां कई गांवों में ग्रामीण व परिजन खुद क्वारंटाइन सेंटर चलाकर प्रवासियों का ध्यान रख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जहां अपने लोग ही क्वारंटाइन अवधि पूरी कर चुके लोगों के साथ बेगानों सा व्यवहार कर रहे हैं।

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हजारीबाग में ग्रामीण ही चला रहे अपनों के लिए क्वारंटाइन सेंटर

हजारीबाग के कई इलाकों में ग्रामीण खुद ही बाहर से आ रहे प्रवासियों को क्वारंटाइन कराने की व्यवस्था कर उनकी सुविधा के सारे इंतजाम उपलब्ध करा रहे हैं। होम क्वारंटाइन का ठप्पा लगाकर भी गांव पहुंचने वाले प्रवासी मजदूरों को भी परिजन ही गांव के बाहर ही क्वारंटाइन सेंटर बनाकर वहीं उनके रहने और खाने-पीने का प्रबंध वहीं कर रहे हैं। शारीरिक दूरी बनाते हुए उनके खान-पान व सुविधाओं का सारा ध्यान रख रहे हैं। 14 दिनों का क्वारंटाइन पूरा होने के बाद ही गांवों व घरों में परिवार के बीच पहुंचने दे रहे हैं।

हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के कई गांवों में इस तरह क्वारंटाइन केंद्र चल रहे, जिसकी जिम्मेवारी यहां रहने वालों के परिजन या ग्रामीण उठा रहे हैं। यहां तक कि ग्रामीणों ने खंभवा से मड़वा जाने के रास्ते में निर्माणाधीन बजरंगबली मंदिर में चार लोग रह रहे हैं। यहां रहने वाले बांडी गांव के लोग हैं। ये सभी मुंबई से लौटे हैं। अब इनके परिजन ही सुबह का नाश्ता खाना आदि का प्रबंध करते हैं। इसके अलावा मध्य विद्यालय खंभवा में आठ लोग क्वारंटाइन हैं।

इनमें दो लोग कर्नाटक से आए हैं ओर छह लोग मुंबई के हैं। प्राथमिक विद्यालय गेरुवाड़ी में 11 लोग रह रहे हैं।  ग्रामीण और परिजन लोग इनकी देखरेख कर रहे हैं। नव प्राथमिक विद्यालय गेरुवाडी में 26 लोग रह रहे हैं। यहां भी सारी व्यवस्था अपनी है। बजरंग बली स्थित निर्माणाधीन मंदिर में किशोरी यादव व धर्मा यादव ने बताया कि परिजनों ने कहा कि अपनों की सुरक्षा के लिए 14 दिन घर के बाहर ही क्वारंटाइन रहो। परिजनों के आग्रह के बाद 19 मई से यहां रह रहे हैं। परेशानी है लेकिन ग्रामीणों और परिजनों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी भी है।

इधर अपने कर बेगानों सा व्यवहार

कोरोना महामारी के काल में बाहर से आने वाले कई प्रवासी मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में जो कभी अपने थे, आज बेगाने नजर आने लगे हैं। तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश जैसे शहरों से हजार से अधिक किलोमीटर की दूरी तय कर शहर पहुंचे इन मजदूरों को पहले तो 14 दिन गांव के पास ही क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। क्वारंटाइन की अवधि पूरी होने के बाद जब वह गांव पहुंचे तो अपनों ने ही दूरी बना ली।

ऐसी ही एक बानगी जमशेदपुर के लायलम पंचायत के पागदा गांव में देखने को मिले, जब मुंबई से आए आकाश बेसरा क्वारंटाइन सेंटर की मियाद पूरी करने के बाद जब अपने घर पहुंचे तो लोग उनसे मिलने को कतराने लगे। दोस्त भी नजरें फेरने लगे। ऐसी ही शिकायत परसुडीह के घाघीडीह और सरजामदा सहित आसपास के इलाकों में ऐसी ही घटनाएं देखने को मिल रही है। अब प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक ग्रामीणों को समझाने में जुटे हैं। इन इलाकों में एक दर्जन से अधिक प्रवासी मजूदरों के गांव में सीधे प्रवेश का विरोध भी हो रहा है। इतना ही नहीं किसी गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में दूसरे गांव के मजदूरों को रहने भी नहीं दिया जा रहा है।

उधर, दूसरे प्रदेश से लौटे मजदूरों को दो दिनों तक तो घाघीडीह के स्कूल के बरामदा में दो रातें बितानी पड़ी। बाद में प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) मलय कुमार व जिला परिषद उपाध्यक्ष द्वारा ग्रामीणों को समझाने-बुझाने के बाद उन्हें गांव भेजा गया। प्रखंड विकास पदाधिकारी मलय कुमार बताते हैं, बाहर से आए लोगों को क्वारंटाइन सेंटर में रहने की मियाद पूरी करने के बाद उनके गांव भेजने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों को हम जागरूक कर रहे हैं।

कोरोना महामारी में रोजी-रोजगार छिन जाने की वजह से अपने गांव को मजबूरन लौट के आ रहे हैं। मुश्किलों का सामना करते हुए किसी तरह अपने गांव तक पहुंचे हैं। ऐसे में उनके साथ दुर्व्‍यवहार करना उचित नहीं है। बाहर से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन सेंटर या फिर शेल्टर हाउस में ठहराया जाना चाहिए। विरोध करना समस्या का समाधान नहीं है। -राजकुमार सिंह, जिप उपाध्यक्ष।

क्वारंटाइन सेंटर में जगह नहीं मिली तो जानवरों के साथ गोहाल में रहने लगे

पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा प्रखंड की सकरा पंचायत के जामरीहा गांव के तीन लोग 23 मई को गांव लौटे। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारियों से जांच और सरकारी क्वारंटाइन सेंटर की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद तीनों ने खुद को गोहाल (गाय-बैल रखने की जगह) में कैद कर लिया, ताकि परिजन सुरक्षित रह सकें। इसकी जानकारी मिलते ही जागरण प्रतिनिधि ने प्रखंड विकास पदाधिकारी से इस संबंध में बात की। उसके बाद पंचायत भवन में तीनों के रहने की व्यवस्था हुई और स्वास्थ्य टीम ने जांच की।


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