Migrant Workers Back: कामगारों को बुलाने के लिए भेजा फ्लाइट का टिकट, कई श्रमिकों को मिली किराये की रकम
उद्योगपति मजदूरों की वापसी के लिए प्लेन टिकट भेजने से लेकर खाते में किराये की राशि तक भेज दे रहे हैैं। कई ऐसे भी मजदूर हैैं जिन्हें वापसी के लिए ट्रेनों मेें रिजर्वेशन नहीं मिला।
चतरा, [जुलकर नैन]। लॉकडाउन में लंबे इंतजार के बाद घर लौटे प्रवासी अब वापस अपने काम पर लौटने की तैयारी कर रहे हैैं। कंपनियों को भी उनकी जरूरत महसूस होने लगी है। उद्योगपति जहां मजदूरों की वापसी के लिए प्लेन की टिकट भेजने से लेकर खाते में किराये की राशि तक भेज दे रहे हैैं, वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी मजदूर हैैं, जिन्हें वापस काम पर लौटने के लिए ट्रेनों मेें रिजर्वेशन नहीं मिल पा रहा है।
अगले 15 -20 दिनों तक ट्रेनों को रिजर्वेशन फुल है। दूसरी ओर नई ट्रेनों के चलने पर भी 12 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी गई है। ऐसे में वापस लौटने को लेकर मजदूर चिंतित हैैं। मजदूरों को वापसी के लिए कंपनियों से लगातार फोन आ रहे हैं, लेकिन ज्यादातर प्रवासी मजदूर यातायात व्यवस्था सुचारू होने का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही बस एवं ट्रेन की सुविधाएं बहाल होंगी, वे हैदराबाद, सूरत, बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली आदि शहरों के लिए रवाना हो जाएंगे।
चतरा के कई मजदूरों को कंपनियों ने प्लेन से बुलाया वापस
खास बात यह है कि कुछ मजदूरों के लिए कंपनियों ने हवाई जहाज का टिकट भेज दिया था। ऐसे मजदूर प्लेन से रवाना हो चुके हैं। हालांकि ऐसे मजदूरों की संख्या कम है। चतरा की बात करें तो यहां के कान्हाचट्टी प्रखंड के राजपुर पंचायत अंतर्गत बूढ़ी गड़ा गांव निवासी अमृत दांगी एवं महावीर दांगी को हवाई जहाज का टिकट भेजकर कंपनी ने वापस बुलाया है। अमृत और महावीर दोनों सगे भाई हैं और दोनों कंपनी के संचालक की निजी गाड़ी चलाते हैं। ये दोनों बेंगलुरु के लालबाग में स्थित श्याम प्लास्टिक कंपनी में काम करते हैैं।
इसी प्रकार मदगड़ा पंचायत के बढ़वार गांव निवासी रामस्वरूप सिंह के पुत्र धनंजय कुमार सिंह और बबलू कुमार सिंह को भी कंपनी ने मुंबई का एयर टिकट उपलब्ध कराया है। दोनों मुंबई के भिवंडी कपड़ा मिल में कढ़ाई का काम करते हैं। इनमें एक कामगारों का मेठ है। ये दोनों यहां से रवाना हो गए हैं। इसी प्रखंड के जमरी गांव के राजेश राम फ्लाइट से बेंगलुरु रवाना हो गए हैं। वह बेंगलुरु के यशवंतपुर में एमएलवी पीजी सॢवस प्राइवेट लिमिटेड में कुक का काम करते हैं। इसी तरह बेंगलुरू के यशवंतपुर के पीजी कंस्ट्रक्शन के मालिक मजदूरों को सुरक्षित लाने के लिए वाहन भेज रहे हैं। कंपनी में इसी गांव के करीब डेढ़ दर्जन मजदूर काम करते हैं।
आर्थिक परेशानी का कर रहे सामना
चतरा में लॉक डाउन के बीच 30,770 प्रवासी लौटे हैं। इनमें ज्यादातर झारखंड के बाहर दूसरे प्रदेशों में रहते हैं। प्रवासी मजदूरों के पास संंबंधित कंपनियों का फोन लगातार आ रहे हैं। प्रवासी मजदूरों को यहां पर उनके अनुकूल काम नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उनके समक्ष आॢथक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पिछले तीन महीनों में एक पैसे की आमदनी नहीं हुई है।
ऐसे में उनके सामने सिर्फ यहां से रोजगार के लिए पलायन ही विकल्प हैै। एक अनुमान के तहत चार से पांच हजार प्रवासी मजदूर कृषि कार्य से जुड़े हैं तथा कुछ कमोबेेश दो से तीन हजार को मनरेगा से जोडऩे के लिए जॉबकार्ड बनाया गया है। हालांकि प्रवासी मजदूरों को मनरेगा भा नहीं रहा है। वहीं कुछ मजदूर हैं जो खेती के लिए यहां रूके हैं, धान रोपनी के बाद वे भी यहां से रवाना हो जाएंगे।
इन कंपनियों से आ रहा बुलावा
हैदराबाद की श्याम टेस्टल, च्रकापानी एवं कामधेनु, बेंगलुरु पीजी प्राइवेट लिमिटेड, यशवंतपुर में एमएलवी पीजी प्राइवेट सर्विस लिमिटेड। इन कंपनियों में जिले के करीब ढाई से तीन हजार मजदूर काम करते हैं।
वापस आए प्रवासी कामगारों का प्रखंडवार विवरण
प्रखंड मजदूरों की संख्या
- हंटरगंज 3521
- कुंदा 361
- टंडवा 958
- प्रतापपुर 1944
- कान्हाचट्टी 3188
- इटखोरी 4733
- गिद्धौर 2811
- सिमरिया 2669
- मयूरहंड 2520
- लावालौग 1976
- चतरा 4701
- पत्थलगडा 1029
- नगरपालिका 359
कुल 30,770
इस तरह की कोई सूचना नहीं है। यदि जा रहे हैं, तो उन्हेंं निबंधन कराकर जाना चाहिए। बगैर निबंधन के बाहर जाना उचित नहीं है। अरविंद कुमार, श्रम अधीक्षक, चतरा।