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Jharkhand Lockdown: दुग्ध उत्पादक किसानों को फौरी राहत, मेधा ने उठाया 65 हजार लीटर दूध

झारखंड कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (मेधा) ने सोमवार को राज्य में स्थित चारों प्लांट के माध्यम से करीब 65 हजार लीटर दूध का उठाव किया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 01:27 PM (IST)Updated: Tue, 31 Mar 2020 01:27 PM (IST)
Jharkhand Lockdown: दुग्ध उत्पादक किसानों को फौरी राहत, मेधा ने उठाया 65 हजार लीटर दूध
Jharkhand Lockdown: दुग्ध उत्पादक किसानों को फौरी राहत, मेधा ने उठाया 65 हजार लीटर दूध

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के दुग्ध उत्पादक किसानों को फौरी तौर पर राहत मिली है। झारखंड कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (मेधा) ने सोमवार को राज्य में स्थित चारों प्लांट के माध्यम से करीब 65 हजार लीटर दूध का उठाव किया है। किसानों के स्तर से दूध की आपूर्ति बढऩे और बाजार में मांग कमजोर होने के चलते फेडरेशन ने पिछले कुछ दिनों से दूध का उठाव बंद कर दिया था। इसके चलते किसानों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, फेडरेशन ने दूध का उठाव भले कर लिया हो, लेकिन अभी भी स्थायी रूप से समस्या का समाधान होता नहीं दिखाई दे रहा है। बाजार में जब तक दूध की मांग पुराने दिनों के अनुरूप नहीं होगी, तब तक यह स्थिति बनी रहेगी।

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दूध की मांग बढऩे पर ही हालात होंगे सामान्य

सोमवार को भी किसानों से सिर्फ सुबह के दूध का उठाव ही किया गया। इसकी वजह मेधा के प्लांट की भंडारण क्षमता को बताया जा रहा है। फेडरेशन के एमडी सुधीर कुमार सिंह भी स्वीकारते हैं कि जब तक दूध की मांग नहीं बढ़ेगी, तब तक हालात सामान्य नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि आज दूध के उठाव के बाद प्लांट में तीन लाख लीटर दूध संग्रहित हो गया है। जबकि प्रतिदिन की मांग घटकर 40-45 हजार लीटर के आसपास रह गई है। बता दें कि झारखंड में मेधा के चार प्लांट हैं। रांची, कोडरमा, देवघर और लातेहार प्लांट के माध्यम से दूध का संग्रहण किया जाता है। अन्य जिलों में जब दूध का संग्रह अधिक हो जाता है, तो उसे रांची भेज दिया जाता है।

पड़ोसी राज्यों से संपर्क कर रहा फेडरेशन

सुधा डेयरी ने भी मांग घटने से किसानों से दूध का उठाव कम कर दिया है। सुधा का प्रतिदिन दूध का कलेक्शन करीब 2.5 लाख लीटर है, जो अब मांग के अभाव में घटकर आधा रह गया है। दूध को लंबे समय तक सहेजने का सिर्फ एक ही तरीका है कि इसे पाउडर में तब्दील कर दिया जाए। लेकिन, फेडरेशन के पास अपना पाउडर प्लांट नहीं है। फेडरेशन के स्तर से रांची के एक निजी पाउडर प्लांट से संपर्क किया गया था, लेकिन उसने हाथ खड़े कर दिए। छत्तीसगढ़ की एक कंपनी ने चालीस हजार लीटर दूध को पाउडर में बदलने के बाद दूध लेने से इन्कार कर दिया। अब बिहार और उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक प्लांट से संपर्क साधा जा रहा है। 


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