माय सिटी माय प्राइडः योग, ज्ञान के साथ सेवा की भी रोशनी बिखेर रहा योगदा आश्रम
एक योगी की आत्मकथा - दुनिभाभर में अध्यात्मप्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है।
स्वामी निष्ठानंद, योगदा सत्संग सोसायटी। रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम एक सदी से रांची समेत पूरे देश-दुनिया में जहां ज्ञान-अध्यात्म की रोशनी बिखेर रहा है, वहीं अपने सेवा कार्यों से भी शहर को नई पहचान दे रहा है। वंचित लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करा उन्हें अवसर देना भी सोसायटी के प्रमुख उद्देश्यों में एक है।
1917 में परमहंस स्वामी योगानंद ने रांची में योगदा सत्संग सोसायटी की स्थापना की थी। उनके बताए गए क्रिया योग और ध्यान के सिद्धांत से रांची समेत दुनिया भर के लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इनकी लिखी पुस्तक - एक योगी की आत्मकथा - दुनिभाभर में अध्यात्मप्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है। रांची स्थित आश्रम में देश और दुनिया के संत और योग साधक सालों भर आते रहते हैं। यह रांची की पहचान में से एक है। रांची के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में आश्रम की शाखाएं हैं, कुछ शाखाएं विदेशों में भी हैं। देश के 200 शहरों में इसके ध्यान और योग के केंद्र हैं।
योग और ध्यान का दे रहे संदेश
योगदा आश्रम में प्रतिदिन सुबह शाम साधक, संत और योग और अध्यात्म में रुचि रखने वाले लोग जुटकर योग, ध्यान एवं साधना करते हैं। यहां योग प्राणायाम के कोर्स भी कराए जाते हैं। योग के माध्यम से स्वस्थ रहने, तनाव दूर करने और सांस्कारिक चेतना जगाकर समाज को सही दिशा में ले जाने के क्षेत्र में आश्रम उल्लेखनीय काम कर रहा है। बड़ी संख्या में युवा यहां आकर योगाभ्यास और सत्संग करते हैं। यहां आकर लोग योग और अध्यात्म के आनंद और चमत्कार से परिचित होते हैं। उसके व्यवहारिक पहलुओं को भी समझते हैं।
कॉरपोरेट, प्रोफेशनल, बिजनेसमैन, एक्जीक्यूटिव समेत विभिन्न वर्गों के लिए लगातार आश्रम की ओर से योग शिविर लगाकर उन्हें लाभ पहुंचाने की कोशिश की जाती है। इसमें शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा मानसिक स्वास्थ्य, शांति और आनंद प्राप्ति पर भी ध्यान दिया जाता है। योग के माध्यम से लोगों की जीवनशैली गुणवक्तायुक्त बनाने की कोशिश आश्रम की ओर से की जा रही है। क्रिया योग ध्यान की जीवनशैली अपनाकर लोगों को ज्ञान की ओर ले जाने की कोशिश की जाती है।
शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक प्रयास
योगदा सत्संग सोसायटी की ओर से रांची में योगदा कन्या विद्यालय और योगदा कॉलेज चल रहे हैं, जहां बच्चे-बच्चियों और किशोरों-युवाओं को कोर्स के साथ साथ नैतिक उत्थान के पाठ भी पढ़ाए जाते हैं। लोगों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा देकर आत्मनिर्भर बनाने की भी कोशिश हो रही है। सोसायटी की ओर से रांची समेत झारखंड, बिहार, बंगाल, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र के इलाकों 20 शिक्षण संस्थान संचालित किए जा रहे हैं। इनमें स्कूल-कॉलेजों के अलावा कोचिंग सेंटर भी हैं।
योगदा की ओर से प्रकाशित पुस्तकों के माध्यम से भी लोगों को आत्मिक, नैतिक, आध्यात्मिक और सांस्कारिक उत्थान के लिए प्रेरित किया जाता है। भारत की अमूल्य ज्ञान संपदा, इतिहास और संस्कृति से लोगों को अवगत कराया जा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है। परमहंस योगानंद ने नैतिक शिक्षा के लिए - हाऊ टू लिव - का सूत्र दिया था। इसी के आधार पर बच्चों के सर्वांगीण विकास की कोशिश की जाती है।
जरूरतमंदों के उत्थान और सहयोग के लिए तत्पर
योगदा आश्रम विभिन्न संगठनों के माध्यम से जरूरतमंदों तक भोजन, कपड़े, दवाइयां, आवास, शिक्षा आदि के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराता है। प्राकृतिक विपदा और दुर्घटना आदि की स्थिति में भी आश्रम की ओर से सेवा और सहयोग उपलब्ध कराया जाता है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान
आश्रम की ओर से रांची समेत झारखंड, बिहार, बंगाल, उड़ीसा और आंध्रप्रदेश के इलाकों में 30 चैरिटेबल मेडिकल डिस्पेंसरी चलाई जा रही है, जहां आने वाले लोगों का निःशुल्क इलाज कराया जाता है। आदिवासी, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में सेवाकार्य ज्यादा चलते हैं। महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी सोसायटी की ओर से बड़े पैमाने पर सेवा कार्य चलाए जाते हैं।
सेवाश्रम अस्पताल हर योगदा आश्रम का हिस्सा है, जहां लगभग सभी प्रमुख विभागों के डॉक्टर मरीजों का निःशुल्क इलाज करते हैं। सभी तरह की जांच और सर्जरी की भी सुविधा है। समय-समय पर मोतियाबिंद के ऑपरेशन शिविर लगाकर मरीजों का निःशुल्क ऑपरेशन किया जाता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में भी आश्रम सहयोग उपलब्ध कराता है।