रांची: पुलिस को मिले सख्ती की अनुमति, जन संवाद से ही कम होगा अपराध
मेन रोड में अल्ब़र्ट एक्का चौक से सुजाता चौक तक एक टाइगर मोबाइल का दस्ता हमेशा तैनात रहे। साथ ही उनके मोबाइल नंबर का प्रचार किया जाए, जिससे कोई भी अपराध होने पर तत्काल उनसे संपर्क किया जा सके।
मेरा मानना है कि शहर की सुरक्षा आम जन की भागीदारी से ही सुनिश्चित हो पाएगी। इसमें सबसे आवश्यक आंतरिक सुरक्षा का मसला है। पुलिस की कार्यप्रणाली बेहतर हो, इसके लिए जरूरी है कि पुलिस लोगों से बात करे। उनकी समस्याओं को समझे। अगर कहीं पर बराबर अपराध होने की खबर मिले, तो उस जगह पर पुलिस कर्मी को सादे लिबास में तैनात किया जा सकता है, जिससे अपराध करने वाले को ऐन मौके पर पकड़ा जा सके। किसी भी हाल में ऐसे अपराध को रोकना चाहिए जिससे शहर की नकारात्मक छवि बनती है।
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आए दिन बाइक सवारों के द्वारा सड़क पर अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस तत्काल ऐसे कार्य करनेवालों को दंडित करे। मैं विश्लेषण करता हूं, तो पाता हूं कि कुछ साल पहले तक पुलिस का डर लोगों में बना हुआ था, लेकिन आज के दौर में पुलिस का डर ही खत्म हो रहा है। असामाजिक तत्वों के खिलाफ पुलिस को डंडा चलाने की छूट मिलनी चाहिए। तभी उनमें पुलिस का डर मौजूद रहेगा।
फिलहाल तो स्थिति यही है कि कतिपय दबाव के कारण पुलिस खुलकर अपना काम ही नहीं कर रही है। ऐसे में पुलिस से आप कैसे बेहतर कार्य की उम्मीद कर सकते हैं। जरूरी है कि आम लोग भी पुलिस को अपना समर्थन दें। उनके मनोबल को मजबूत बनाएं, क्योंकि जब पुलिस महकमा का आत्मविश्वास बढ़ेगा, तो स्वाभाविक रूप से परफॉरमेंस भी बेहतर होगा।
बीट सिस्टम को किया जाए लागू
मैं आज भी बीट सिस्टम को महत्वपूर्ण मानता हूं। पहले बीट सिस्टम होता था, जिसमें पुलिस कर्मी समय-समय पर स्थान विशेष पर अपनी मौजूदगी का अहसास कराते रहते थे। इससे अपराधी भी क्षेत्र विशेष में अपराध करने से डरते थे। उस बीट सिस्टम को फिर से लागू करना होगा। मेन रोड और शहर के अन्य महत्वपूर्ण इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए जरूरी है कि टाइगर मोबाइल को सक्रिय किया जाए।
मेन रोड में अल्ब़र्ट एक्का चौक से सुजाता चौक तक एक टाइगर मोबाइल का दस्ता हमेशा तैनात रहे। साथ ही उनके मोबाइल नंबर का प्रचार किया जाए, जिससे कोई भी अपराध होने पर तत्काल उनसे संपर्क किया जा सके। जहां तक महिलाओं की सुरक्षा की बात है, तो शहर में जिस क्षेत्र विशेष में छेड़खानी या अन्य अपराध होते हैं, वहां पर सादे लिबास में पुलिसकर्मी तैनात रहें और दोषी पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई करें।
100 नंबर पर करें शिकायत
पुलिस के पास जल्द सूचना पहुंचे, इसके लिए 100 नंबर को सक्रिय किया गया है। पुलिस को 100 नंबर पर मिली शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। शहर में हर मोहल्ला में सुरक्षा कमेटी का गठन किया जाए। जिससे उक्त कमेटी के सदस्य स्थानीय स्तर पर पुलिस कर्मियों से संपर्क बनाकर रखें।
लोगों की हमदर्द बने पुलिस
मैं समझता हूं कि यह जरूरी है कि पुलिस लोगों की हमदर्द बने। मैं जब सरायकेला में एसपी रहा, तो गांव में लोगों के साथ मीटिंग करता था। गिरिडीह के कुचाई थाना अंतर्गत गोमियाडीह में उग्रवादी तत्वों का बोलबाला था। ऐसे में मैंने आम ग्रामीणों से बात की। उनके साथ उनकी दिक्कतों को समझा। जिससे ग्रामीणों में पुलिस के प्रति भय कम हुआ।
आम लोगों के साथ खड़े होने की हिम्मत आम पुलिसकर्मियों को दिखानी होगी। जब पुलिस कर्मी बेहतर व्यवहार करेंगे, तो तभी लोग भी उनसे संवाद करने के लिए आगे आएंगे। बस थोड़ी सी इच्छाशक्ति जागृत करनी होगी। सबको साथ लेकर चलने का संकल्प दिखाना होगा। अगर ऐसा हो जाए, तो पूरी पुलिस की कार्यप्रणाली में ही आमूलचूल परिवर्तन आ जाएगा।
- लक्ष्मण प्रसाद सिंह, पूर्व आईजी
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