Move to Jagran APP

रांची राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः पर्याप्त बिजली के बगैर इंडस्ट्री का विकास संभव नहीं

चर्चा के दौरान कहा गया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास में काम करने की भरपूर इच्छाशक्ति है, लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं दिख रही है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 12:22 PM (IST)
रांची राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः पर्याप्त बिजली के बगैर इंडस्ट्री का विकास संभव नहीं

दैनिक जागरण की ओर से जारी माय सिटी माय प्राइड अभियान के तहत इकोनॉमी पिलर के तहत राउंड टेबल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस में शहर के महापौर आशा लकड़ा के साथ ही उद्यमी और संगठनों से जुड़े लोगों ने इंडस्ट्री की समस्या, समाधान, भविष्य और वर्तमान को लेकर गहन चर्चा की। सभी ने माना कि इंडस्ट्री के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बिजली है। शहर में बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहद दयनीय है। बिजली नहीं होने से उत्पाद लागत मूल्य में भारी इजाफा हो रहा है। इससे उद्यमी परेशान हैं। स्पष्ट कहा गया कि पर्याप्त बिजली के बगैर इंडस्ट्री का विकास संभव नहीं है।

loksabha election banner

शहर के प्रमुख उद्यमी संगठन झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह व झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने कहा कि पिछले चालीस वर्षों से सरकार यहां बिजली की स्थिति में सुधार का दावा कर रही है, मगर समस्या जस की तस है। सरकार बार-बार दावा कर रही है कि तीन महीने या छह महीने में समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन हालात सुधर नहीं रहे हैं। शहर के उद्यमियों को सरकार के ऐसे दावों पर भरोसा नहीं रह गया है।

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी 

कांफ्रेंस में जुटे उद्यमियों ने बिजली वितरण की जिम्मेदारी निजी हाथों में सौंपने की तरफदारी की। कांफ्रेंस में जूनियर चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रकाश अग्रवाल, उद्यमी योगेश अग्रवाल, उद्यमी रमण बगड़िया, महिला उद्यमी विनीता चितलांगिया, रेणु चौधरी, युवा चाटर्ड एकाउंटेंट दीपिका कुमारी, रांची यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रेजुएशन विभाग की प्राध्यापक डॉ. वीणा कुमारी जयसवाल आदि ने भाग लिया।

इस दौरान उद्यमियों ने झारखंड राज्य में ई-वे बिल की सीमा बढ़ाने की मांग उठाई। इनका कहना है कि पड़ोसी राज्य बिहार में ई-वे बिल की सीमा दो लाख है, जबकि झारखंड में यह सीमा 50,000 ही है। उद्यमियों ने सिफारिश की कि देश के सभी राज्यों में ई-वे बिल की सीमा एक समान होनी चाहिए। उद्यमियों ने जीएसटी के प्रारूप की सराहना की। साथ ही कहा कि इसे प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में अभी बहुत काम करने की जरूरत है।

चर्चा के दौरान कहा गया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास में काम करने की भरपूर इच्छाशक्ति है, लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं दिख रही है। संवादहीनता
की स्थिति बनी हुई है। विकास के लिए ट्रेड और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से बात करनी पड़ेगी। मेयर आशा लकड़ा ने उद्यमियों को आश्वस्त किया कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के प्रति वचनबद्ध है। सड़क से लेकर हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। मास्टर प्लान 2016 के प्रभावी होने के साथ ही शहर में बहुत बदलाव दिखने को मिलेगा। इस मास्टर प्लान में उद्योग और उद्यमियों के हितों का ख्याल रखा गया है।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाः किसने क्या कहा?

उद्योगों के विकास के लिए जीएसटी काफी बेहतर है। लेकिन लोगों से अभी तक इसका जुड़ाव नहीं हो सका है। यदि जीएसटी सही तरीके से लागू हो सके तो इससे उद्योगों में चार चांद लग जाएंगे। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की सभी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी है। अशोक नगर में औद्योगिक गतिविधियों पर रोक गलत है। अशोक नगर की ही तरह अन्य सभी रिहाइशी इलाकों में भी छोटे उद्योग चल रहे हैं। किसी क्षेत्र विशेष के समिति की शिकायत खास क्षेत्र के उद्योग पर कार्रवाई करना गलत है।
- विकास सिंह, पूर्व अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स

उद्योगों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या सरकार की योजनाएं हैं। अभी भी योजनाओं और उपभोक्ताओं के बीच काफी ज्यादा गैप है। यह बेहद दुखद है कि एक ओर उद्योगों के लिए सरकार राज्य में बेहतर परिवेश की बात करती है। दूसरी ओर औद्योगिक क्षेत्र में अस्पतालों का निर्माण और उसका उद्योगों पर प्रभाव नजरअंदाज किया जा रहा है। इसके अलावा उद्योगों और ट्रेड संबंधित लोगों को ई-वे बिल से काफी ज्यादा समस्याएं हैं। उत्पादों के ट्रांसपोर्ट में समानता बेहद जरूरी है। सभी राज्यों के ई-वे बिल समान होने चाहिए।
- एसके अग्रवाल, अध्यक्ष, झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

राजधानी के संस्थानों से आए बच्चे आज उतने परिपक्व नहीं हैं। पहले के बच्चों की अपेक्षा आज के बच्चों में डिजाइनिंग सेंस और तकनीक की कमी है। इसका कारण मुझे लगता है कि आज के संस्थानों में इस प्रकार की शिक्षा और व्यवहारिक ज्ञान बच्चों को नहीं मिल पा रहा है, जिसकी जरूरत आज की फैशन इंडस्ट्री को है। शहर के नामी संस्थानों को आवश्यकता है कि वे अपने पढ़ाने और ट्रेनिंग देने की पद्धति में कुछ बदलाव करें। कॉलेजों में पढ़ाई के साथ व्यवहारिक ज्ञान पर भी बराबर ध्यान हो जिससे कि इंडस्ट्री में आने वाले बच्चे खुद में भी आत्मनिर्भर महसूस कर सके।
- रेणु चौधरी, महिला उद्यमी

अन्य शहरों की शिक्षा व्यवस्था रांची से कहीं बेहतर है। पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत करने के बाद भी लोगों में कम्यूनिकेशन की कमी और भाषा पर कमजोर पकड़ जैसी समस्याएं आम बात है। जानकारी होने के बाद भी लोग खुद को प्रस्तुत करने में पीछे हैं। इसका कारण सीधे तौर पर कमजोर शिक्षा व्यवस्था है। हम अपने बच्चों को इस काबिल नहीं बना पा रहे हैं जिससे वे खुद को औरों के सामने रख सकें। शिक्षा का स्तर ठीक नहीं होने की वजह से कंपनियां यहां नही आती और स्टार्टअप जैसी चीजों से हम चूक जाते हैं। शिक्षा व्यवस्था पर काम करने की जरूरत है।
- विनीता चितलांगिया, महिला उद्यमी

अर्थव्यवस्था का प्रभाव कॉलेजों पर भी है। राजधानी के कॉलेजों की स्थिति बेहद खराब है। ज्यादातर कॉलेजों में प्लेसमेंट के लिए कंपनी नहीं आती है।
कहीं-कहीं कंपनी आती भी है तो केवल नाम मात्र की नौकरियां लगती है। प्लेसमेंट में कंपनियां भी छोटी आती है। इसके अलावा स्थिति इतनी खराब है कि कॉलेजों में पर्याप्त प्रोफेसर नहीं है। इस कारण क्लासेस नहीं हो पाते हैं। ऐसे में हम किस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था के भरोसे देश की अर्थव्यवस्था के बारे में बात कर रहे हैं यह सोचने का विषय है। शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के बिना हम बेहतर अर्थव्यवस्था की उम्मीद नहीं कर सकते।
- दीपिका कुमारी, महिला उद्यमी

शहर में शिक्षा का बेहतर भविष्य है। शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आई है। ये अलग बात है कि आज शिक्षकों और प्रोफेसरों के ऊपर पढ़ाई के अलावा
भी अन्य कई कार्य हैं। स्कूल के शिक्षकों को खाना, जनगणना और अन्य सामाजिक कार्यों का हिस्सा बनना पड़ता है। ऊपर से यह बात भी स्पष्ट है कि सभी स्कूल और कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। स्कूलों में बच्चों की बढ़ती संख्या पर बेहद कम शिक्षक और उनपर भी अतिरिक्त कार्य का बोझ। यदि सरकार इस ओर ध्यान दे तो शिक्षा व्यवस्था में काफी ज्यादा सुधार की गुंजाइश है।
- बीना कुमारी जायसवाल, प्रोफेसर, रांची विवि

ई-वे बिल का मुख्य मकसद था कच्चे माल के ट्रांसपोर्ट को रोकना। लेकिन यह कार्य अभी तक नहीं हो सका है। देश के सभी राज्यों में ई-वे बिल की सीमा
अलग-अलग है। इसमें व्यवहारिक समस्या ये आती है कि किसी भी उत्पाद के सप्लाई के पहले उद्यमी को यह पता करना पड़ता है कि जिस राज्य में उत्पाद जा रहा है वहां ई-वे बिल की सीमा क्या है। उसके हिसाब से फिर उनकी योजना तय होती है। पूरे देश में सभी राज्यों में ई-वे बिल की सीमा एक होनी चाहिए। इससे उद्यमी और अन्य ट्रेडरों को काफी सहूलियत होगी। अभी तक ई-वे बिल ट्रेड का सबसे बेहतर जरिया नहीं है।
- प्रकाश अग्रवाल, अध्यक्ष जूनियर चैंबर ऑफ कॉमर्स

बालू के खनन पर सरकार की रोक है, लेकिन सभी प्रकार के भवन निर्माण कार्य हो रहे हैं। सरकार भी इसके लिए प्रोजेक्ट तैसार कर रही है। सवाल है कि इन
सब कार्यों के लिए बालू कहां से आ रहा है। जीएसटी बेहतर योजना है। इससे अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है। बिल्डरों को भी इससे कई फायदे हैं। उद्योगों को बढ़ावा मिलना चाहिए और अशोक नगर से उद्योगों का अचानक हटाया जाना गलत है। कुछ उद्योग वहां कई सालों से हैं। उनके पास बकायदा ट्रेड लाइसेंस भी है। अब वहां से उन्हें हटाया जाने का फैसला गलत है। वर्षों पहले वहां उद्योग के लिए ट्रेड लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए था।
- योगेश अग्रवाल, व्यवसायी

शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक करने की जरूरत है। चौराहों के ट्रैफिक पोस्ट पर सिग्नल नहीं है। जेब्रा क्रॉसिंग नहीं है। पुलिस किसी काम की नहीं है। ट्रैफिक नियमों के पालन की दिशा में हम बेहद पीछे हैं। इसके अलावा विभागीय कार्य में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। कोई अधिकारी किसी की बात नहीं सुनता और ना ही कार्य करता है। उद्योगों के साथ शहर के अन्य लोग भी बिजली सहित अन्य चीजों से प्रभावित है। इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए ताकि हम बेहतर विकास कार्यों की बदौलत देश को नई दिशा और गति प्रदान कर सकें।
रमण बगाड़िया, उद्यमी

अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.