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बदलावों के साथ जगने लगी हैं रांची की उम्मीदें

अब सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि आम उपभोक्ताओं को बेहतर और जरूरत के अनुसार बिजली की आपूर्ति हो। वर्षों से 24 घंटे बिजली आपूर्ति की बातें कही जा रही हैं और इसे अब मुकाम पर लाने का समय आ गया है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 06:12 PM (IST)
बदलावों के साथ जगने लगी हैं रांची की उम्मीदें

बदलाव के एक बड़े दौर से गुजर रहे रांची शहर के लोगों की उम्मीदें जगने लगी हैं। आधारभूत संरचनाओं की कमी दूर होती दिख रही है। देश के चुनिंदा शहरों में घर-घर गैस कनेक्शन है और ऐसे ही शहरों में रांची का भी नाम होगा। अगले वर्ष तक योजना पूरी हो जाएगी।

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दशकों के बाद यहां फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हुआ तो अभी से जाम की समस्याओं से मुक्ति की उम्मीदें जाग उठी हैं। ड्रेनेज की समस्या को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर योजनाएं बनी हैं। बिजली और पानी जैसी मौलिक सुविधाओं को दुरुस्त करने की कवायद जारी है, लेकिन इसके बीच समस्याएं भी मुंह बाएं खड़ी हैं।

शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाएं दिख रही हैं, लेकिन एक राजधानी के तौर पर इसमें व्यापक बढ़ोतरी की गुंजाइश है। समय के साथ रांची में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण होता रहा, लेकिन कहीं न कहीं अपना शहर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पिछड़ता दिखा।

सड़कें बनीं पर चौड़ाई बढ़ाने के प्रयास नहीं हुए, बिजली तारों को खंभों से उतारकर अंडरग्राउंड करने की मशक्कत धीमी रफ्तार का शिकार बनी। साफ-सफाई के मामले में हमारा शहर देश के दूसरे शहरों से पीछे है। लोगों के लिए पार्कों की कमी है, घूमने-टहलने के लिए जगह कम, गलियों में घुसते ही सड़कों की बदहाली दिखती है तो ड्रेनेज की कमी दशकों पुराना मुद्दा है।

लोग जहां-तहां कचरा फेंकते हैं और यही कारण है कि हमें प्रदूषित वायु-प्रदूषित वातावरण मिल रहा है। रांची जहां महानगर बनने की ओर अग्रसर है, वहीं यहां के लोगों के आचरण में भी बदलाव लाने की जरूरत है। लोग सिटी बसों से सफर करना पसंद नहीं करते तो इसका एक बड़ा कारण है बड़ी और आरामदेह बसों की कमी।

सड़कों पर भी ट्रैफिक सेंस की कमी के कारण कई बार जाम जैसी नौबत आती है और इसके लिए एक नागरिक के तौर पर हमारी जिम्मेदारी व्यवस्था को कोसने की जगह पर खुद को बदलने की भी है।

शहर में पर्यटन को दिया जा सकता है और बढ़ावा
शहर में पर्यटन को और बढ़ावा देने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। इसके लिए सिर्फ सकारात्मक पहल की दरकार है। एक से एक धरोहर और पर्यटन स्थलों के इर्द-गिर्द सरकार को आधारभूत संरचनाओं का निर्माण करना चाहिए तो आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय होने चाहिए। ऐसे में लोग आराम से इन इलाकों में घूमने को निकलेंगे और बाहर से भी पर्यटक आएंगे।

प्रमुख धरोहर: टैगोर हिल, रांची हिल, आड्रे हाउस, रातू का किला।
यहां घूमने पहुंचते हैं लोग: रॉक गार्डेन, कांके डैम, रुक्का डैम, बिरसा मुंडा पार्क, नक्षत्र वन, खेल गांव आदि।

गलियों में घुसते ही हिचकोले से अब मुक्ति पाने का समय
रांची शहर में सड़क निर्माण विभाग के अधीन कुल 414 किमी सड़क है। मुख्य मार्गों को छोड़ दें तो गलियों में घुसते ही हिचकोलों की नौबत आने लगती है। सड़क बने तो हैं लेकिन गुणवत्ता में कहीं खरे नहीं उतरते। टू-लेन की कई सड़कें भी जहां-तहां बदहाल हैं। फोर लेन सड़कें तो दुरुस्त हैं लेकिन इन पर अतिक्रमण सर्वाधिक है और इस कारण इस इलाके में भी यातायात सुगम नहीं।

शहर में कुल सड़कों की संख्या: 96
कुल सड़कों की लंगाई: 414 किमी
2 लेन सड़कों की संख्या: 65
2 लेन सड़कों की लंबाई: 233किमी
4 लेन सड़कों की संख्या: 20
4 लेन सड़कों की लंबाई: 108 किमी

अब मिले 24 घंटे बिजली
व्यवस्था दुरुस्त कर लेने का दावा किया जा रहा है तो अब सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि आम उपभोक्ताओं को बेहतर और जरूरत के अनुसार बिजली की आपूर्ति हो। वर्षों से 24 घंटे बिजली आपूर्ति की बातें कही जा रही हैं और इसे अब मुकाम पर लाने का समय आ गया है।

आवश्यकता के अनुरूप हों पार्क और जिम
एक स्वस्थ इंसान और स्वस्थ समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यकता के अनुरूप पार्क व ओपन जिम होने चाहिए ताकि लोगों को योग करने और टहलने के अवसर मिले। अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगे होंगे तो वायु प्रदूषण की समस्या भी दूर होगी। शहर में बच्चों को खेलने के लिए भी व्यापक प्रबंध करने की आवश्यकता है।

सबको पानी, साफ-सफाई
रांची के लिए जलापूर्ति एक बड़ी और पुरानी समस्या है। कई इलाकों में जलापूर्ति का प्रबंध ही नहीं है तो जहां जलापूर्ति होती है। वहां भी लोगों की संतुष्टि के अनुरूप नहीं। यही हाल साफ-सफाई का है। रांची में घर-घर कचरा उठाने का काम चल तो रहा है लेकिन यह नियमित नहीं है। कुछ इलाकों में दो दिन तो कुछ इलाकों में तीन दिनों पर एक बार कचरा उठाने की गाड़ी आती है। इसे नियमित करना होगा। शहर में पहले फेज का सीवरेज नेटवर्क बनाने का काम शुरू हो गया है।

सीवरेज नेटवर्क की लंबाई: 219 किमी

ड्रेनेज नेटवर्क की लंबाई: 207 किमी
सीवरेज ट्रटमेंट प्लांट: 37 एमएलडी
जुडऩे वाले घरों की संख्या: 14300


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