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बदलनी है शहर की अर्थव्यवस्था तो बढ़ानी होगी महिलाओं की भागीदारी

झारखंड में अशिक्षित या अल्प शिक्षित महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है। महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए उन्हें शिक्षित करना जरूरी है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 06:00 AM (IST)
बदलनी है शहर की अर्थव्यवस्था तो बढ़ानी होगी महिलाओं की भागीदारी

शहर में गरीबी कम तो रही है, लेकिन गति अच्छी नहीं। शहर में रोजगार का सृजन जितना होना चाहिए था, नहीं हो रहा है। बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए महिलाओं की भागीदारी जरूरी है, महिला उद्यमशीलता के मामले में हमारा शहर काफी पिछड़ा है। वर्तमान परिस्थितियों में नीति निर्धारित करते समय महिलाओं का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना समूचे समाज का उत्थान कर सकता है। ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के कौशल को प्रशिक्षण की जरूरत है।

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महिलाओं की उद्यमिता को प्रशिक्षित करने के लिए उनको शिक्षित करने की आवश्यकता है। झारखंड में अशिक्षित या अल्प शिक्षित महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है। शिक्षा आत्मविश्वास पैदा करती है, यहां की महिलाओं को आत्मविश्वास की ही जरूरत है, महिला उद्यमी शहर की पूरी दिशा बदल सकती है।

इसके लिए काम किया जाना चाहिए, उन्हें नॉलेज अपग्रेड करना होगा। प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को उत्पादन के लिए प्रेरित करते हुए बाजार उपलब्ध कराना एक चैलेंज की तरह होगा। इस वजह से नीति निर्धारण में महिलाओं की सहभागिता और नीति तैयार करते समय उनको याद रखा जाना निहायत ही जरूरी है।

झारखंड आर्थिक असंतुलन वाला राज्य है, इसीलिए इसकी राजधानी के विकास के लिए अलग-अलग प्लानिंग की जरूरत है। झारखंड पुराने समय से खनिज संपदाओं से परिपूर्ण राज्य रहा है। इस कारण यहां कई बड़े-बड़े उद्योग लगे, वैसे इलाकों की समृद्धि बढ़ी, जहां उद्योग धंधे लगे, लेकिन बाकी क्षेत्रों में स्थिती इसके विपरित है।

शहर की आर्थिक स्थिति को सुधारने में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है, शिक्षा से स्थिति बदल सकती है। वैसे इलाकों के लिए अलग से योजना चलनी चाहिए, जहां रोजगार कम हैं। शिक्षा में गुणवत्ता होनी चाहिए। इस शहर में सबसे अच्छी स्थिति यह है कि यहां पैसे की कमी नहीं है।

इसका फायदा उठाना चाहिए। गरीबों पर ज्यादा खर्च करना चाहिए। देखा जाए तो झारखंड से बड़े शहरों में जनजातीय बच्चियों का पलायन हो रहा है, वे वहां घरेलू नौकरों का काम कर रही हैं। यहां शिक्षा का अलख सरकार ने नहीं जगाया है।

वहीं उत्तर पूर्वी राज्यों की स्थिति अलग है, वहां पर शिक्षा अधिक है। इससे वहां के लोग और झारखंड के लोगों में असमानताएं बढ़ी हैं। इससे अलग मोमेंटम झारखंड के तहत आयोजित कार्यक्रम के बाद उद्योगों को लेकर सरकार की मंशा स्पष्ट हुई है, अब सैकड़ों की संख्या में एमओयू साइन हुए हैं व औद्योगिक माहौल बनाने की दिशा में कार्रवाई भी हुई है। उद्योग के क्षेत्र में बेहतर परिणाम के लिए सरकार की सोच से परे हालात कुछ विपरीत हैं।

पिछले 18 वर्षों में कोई बड़ा उद्योग रांची में नहीं लगा है। जब से शहर बना है तब से लेकर अभी तक औद्योगिक क्षेत्रों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, कोकर, तुपुदाना और टाटीसिल्वे में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए सीमित जगह होने के कारण नए व्यवसायियों को मौका नहीं मिल पा रहा। सारी व्यावसायिक गतिविधियां अपर बाजार में ही होती हैं, इसे बदलने की जरूरत है, अब शहर के आसपास के जगह को भी व्यवसायिक गतिविधी के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

हालांकि इन तमाम चीजों के बीच सरकार लगातार प्रयास भी कर रही है। मोमेंटम झारखंड इसी कड़ी में उठाया गया एक बड़ा कदम रहा, बहुत से उद्यमी रांची आए और यहां बिजनेस करने की इच्छा जताई, बस जरूरत है तो उद्यमियों की जरूरत को समझने की।

- शिशिर चौधरी, अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष, सेंट जेवियर्स कॉलेज

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