Naxal Attack: लातेहार में नक्सलियों ने 9 वाहनों को फूंका... CRPF कैंप से थोड़ी दूर रोड निर्माण प्लांट में घटना
Jharkhand Naxal Attack झारखंड के लातेहार जिले में नक्सलियों ने जमकर उत्पात मचाया है। एक रोड निर्माण कंपनी की 9 गाड़ियों को फूंक दिया है। कंपनी के सुपरवाइजर की पिटाई कर दी है। नक्सलियों ने लेवी नहीं देने पर इस घटना को अंजाम दिया है।
लातेहार, जागरण संवाददाता। Jharkhand Maoist Attack लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के बांसकरचा सीआरपीएफ कैंप से महज एक किलोमीटर की दूरी पर महुआडांड़ डालटनगंज मुख्य पथ के किनारे दीलीप पांडेय के रोड निर्माण प्लांट पर 30-35 की संख्या में माओवदियों ने शनिवार देर रात करीब 10:30 बजे से करीब एक से डेढ़ घंटे तक जमकर उत्पादन मचाया।
इस दौरान माओवादियों ने चार पानी टंकी, 2 जेसीबी, 1 टेलर, एक 704 वाहन और एक पोकलेन समेत कुल 9 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। वहीं, रोड निर्माण प्लांट के सुपरवाइजर अंतोनिस लकड़ा के साथ माओवादियों ने मारपीट भी की। घटना के समय प्लांट के मैनैजर विश्वनाथ चंद्रवंशी और लगभग 15 लोग मौजूद थे।
रोड निर्माण कंपनी से मांगी लेवी, काम बंद रखने की धमकी
जानकारी के अनुसार, माओवादियों ने रोड निर्माण कंपनी से लेवी की मांग की थी। लेवी नहीं देने के कारण इस घटना को अंजाम दिया। माओवादियों ने बंसकरचा मोड़ से कुरो मोड़ रोड तक का करोड़ों का निर्माण कार्य बंद करने का फरमान जारी किया है। कहा है कि लेवी भुगतान नहीं होने तक रोड निर्माण कार्य ठप रहेगा। ऐसा नहीं करने पर निर्माण कंपनी को बुरे परिणाम झेलने पड़ेंगे।
डीएसपी और सुरक्षाबलों ने लिया घटना स्थल का जायजा
उधर, घटना की सूचना मिलने के बाद महुआडांड़ थाना के प्रभारी और डीएसपी राजेश कुजूर के नेतृत्व में देर रात बड़ी संख्या में पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। घटना की जानकारी ली। पीड़ितों से पूछताछ की। पुलिस अधिकारियों के अनुसार घटना के बाद माओवादियों ने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए पर्चा भी छोड़ा है। डीएसपी राजेश कुजूर ने इस पर्चे को जब्त कर लिया है। वहीं, थाना प्रभारी आशुतोष यादव ने रविवार सुबह बताया कि घटना की जांच की जा रही है। माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी सूरत में उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
घटना के बाद सहमे-सहमे नजर आ रहे प्लांट के कर्मचारी
उधर, इस घटना के बाद इलाके में दशहत का माहौल है। प्लांट में काम करने वाले कर्मचारी सहमे सहमे नजर आ रहे हैं। प्लांट के मालिक और मैनेजर ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि कुल कितने करोड़ का नुकसान हुआ है। इस घटना को लेकर अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। रविवार सुबह तक प्राथमिकी दर्ज करने की कवायद चल रही थी। प्लांट मालिक ने यह भी नहीं बताया है कि किस दिन और कैसे उनसे लेवी मांगी गई। इस बात का खुलासा प्राथमिकी दर्ज होने के बाद होने ही संभावना है।
झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में आता है लातेहार
मालूम हो कि झारखंड के कई इलाके नक्सल प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं। लातेहार जिला भी इसमें शामिल है। आए दिन किसी न किसी जिले में नक्सली इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। इससे पूर्व भी झारखंड के कई जिलों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इधर, एक साल के दौरान पुलिस ने कई बड़े नक्सली नेताओं को गिरफ्तार भी किया है। इतना ही नहीं कई कुख्यात नक्सलियों ने सरेंडर भी किया है। ऐसा माना जा रहा था कि इनका आतंक नियंत्रित होगा, लेकिन इस घटना ने इनकी सक्रियता की पोल खोल दी हैं।
यहां पूरी तरह फेल है पुलिस का सूचना तंत्र
लातेहार जिले को नक्सल मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर पुलिस प्रशासन की उदासीनता के कारण केंद्र सरकार काे अपने उद्देश्य पूर्ण करने में सफलता नहीं मिल पा रही है। पुलिसिया व्यवस्था संचालित करने में नेटवर्क और सूचनाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। बावजूद जिले में पुलिस का सूचना तंत्र पूरी तरह से विफल है। इसका लाभ नक्सली-माओवादी उठा रहे हैं। शनिवार देर रात नक्सलियों का हथियारबंद दस्ता करीब 35 की संख्या में आकर आराम से घटना को अंजाम देकर चला गया। अहम बात यह है कि पुलिस के खुफिया तंत्र को इसकी भनक तक नहीं लगी। जबकि पंचायत चुनाव के मद्देनजर बीते दस दिनों से इलाके में पुलिस का अभियान चल रहा है। चुनाव को लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ पुलिस के पदाधिकारी लगातार ग्रामीण इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं। बावजूद माओवादी आराम से घटनाओं को अंजाम देकर चले गए।
दूरभाष समस्या भी है एक बड़ा कारण
मालूम हो कि इतने साल बाद भी इस इलाके में मोबाइल नेटवर्क ठीक तरह से काम नहीं करता है। ज्यादातर समय नेटवर्क गायब ही रहता है। कई इलाके ऐसे भी हैं जहां नेटवर्क की पहुंच ही नहीं है। ऐसे में लोग आपस में मोबाइल पर भी ठीक से संवाद नहीं कर पाते हैं। सूचनाओं का आदान प्रदान ठीक से नहीं होना भी नक्सल उन्मूलन अभियान में बाधा है। 5जी के जमाने में इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है।
2014 में विफल सूचना तंत्र पर उठे थे सवाल
वर्ष 2014 में लातेहार जिला मुख्यालय में पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी उजागर हुई थी। एनएच के किनारे लगातार तीन दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर बम ब्लास्ट हो रहे थे। जिसमें पूर्व डीजीपी बीडी राम की स्काट पार्टी बाल-बाल बची थी। इसके बाद तत्कालीन डीजीपी राजीव कुमार आए थे। जिसके बाद सघन अभियान चलाकर माओवादियों के मंसूबे को विफल कर दिया था। इस घटना से खुफिया तंत्र की नाकामी को लेकर राज्य भर में जिले की काफी बदनामी हुई थी।