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मकर संक्रांति पर रांची में मोदी पतंग का जलवा

Modi Kite. मकर संक्रांति महोत्‍सव को लेकर सुबह से ही रांची के मोरहाबादी मैदान में सभी धर्म संप्रदाय के लोग पतंगबाजी के लिए जुटे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 02:19 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 02:19 PM (IST)
मकर संक्रांति पर रांची में मोदी पतंग का जलवा
मकर संक्रांति पर रांची में मोदी पतंग का जलवा

रांची, जासं। क्‍या हिंदू क्‍या मुस्लिम। मकर संक्रांति को लेकर सभी धर्म-संप्रदाय अपनी मौज-मस्‍ती की अभिव्‍यक्ति में जुटे हैं। मकर संक्रांति महोत्सव के लिए मंगलवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में सुबह-सवेरे ही पतंगबाजों की पूरी फौज जुट गई। यहां लोग मोदी पतंग लेकर आसमान में एक दूसरे को मात देने में पूरी ताकत लगा रहे हैं। यहां नमो पतंग उत्सव में भाग लेने वालों के लिए दही, चूड़ा व खिचड़ी की भी व्यवस्था है। लटाई के साथ नमो पतंग भी है। बता दें कि पहली दफा इसका आयोजन 13 जनवरी 2013 से शुरू हुआ था। तब बाबा रामदेव व वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद हर साल इसका आयोजन होता आ रहा है। पहले चार साल तक अरगोड़ा मैदान में इसका आयोजन होता रहा। अब मोरहाबादी में हो रहा है। 

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इधर देवी मंडप रोड सरोवर नगर, रातू रोड में मकर संक्रांति महोत्सव का आयोजन राष्ट्र निर्माण सेना की अगुआई में किया जा रहा है। कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष महुआ माजी के साथ कई गणमान्य लोग यहां मौजूद हैं। मोरहाबादी मैदान में भी मकर सक्रांति पर पतंग उडाते हुए कई नामचीन लोगों को देखा गया।

हर्ष के साथ मनाई जा रही मकर संक्रांति : बहुत से लोगों ने सोमवार को भी मकर संक्रांति मनाई। 14 जनवरी को मान लिया कि मकर इसी दिन है, लेकिन बहुत से लोग आज मनाएंगे। वस्तुत: मकर संक्रांति इस बार 15 को पड़ रही है। तिथि के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। पं रमाशंकर तिवारी ने कहा कि मकर संक्रांति सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के उस संक्रमण काल को कहते हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास की समाप्ति के साथ सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं।

सूर्य के इस राशि परिवर्तन से ऋतु परिवर्तन का भी संयोग बनता है। मकर राशि में प्रवेश से ही हेमंत ऋतु की समाप्ति तथा शिशिर ऋतु का प्रारंभ होता है। मकर संक्रांति के पुण्यकाल के विषय में शास्त्रीय मत है कि-यद्यस्तमय वेलायां मकरं याति भास्कर:। प्रदोषे वाद्र्धरात्रे वा स्नानं दानं परेहनि।। अर्थात सूर्यास्त के उपरांत प्रदोष काल में मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर संक्रांति जन्य पुण्य काल का स्नान दान दूसरे दिन प्रात: काल में करना चाहिए।

काशी व मिथिला पंचांगों के अनुसार भास्कर 14 जनवरी सोमवार को अद्र्धरात्रि के बाद रात्रि 2:13 बजे मकर राशि में प्रवेश कर गए। इस प्रकार शास्त्रीय मत के अनुसार मकर संक्रांति जन्य पुण्य काल 15 जनवरी मंगलवार को दिन में 10:13 बजे तक रहेगा। यह पावन पर्व 15 जनवरी मंगलवार को ही मनाना शास्त्र सम्मत है। इस दिन तिल से बनी मिठाई, चूड़ा व खिचड़ी की सामग्री के दान का भी प्रचलन है। मकर संक्रांति के दिन तिल के मिष्ठान व दही चूड़ा एवं खिचड़ी का सेवन किया जाता है।


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