Makar Sankranti 2020: इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त
Makar Sankranti 2020 संक्रांति काल 15 जनवरी सुबह 7.19 बजे से शाम 5.55 बजे तक रहेगा। इस बार संक्रांति पर शोभन योग और बुद्धादित्य योग का विशेष संयोग बन रहा है।
खास बातें
- 14 जनवरी को रात 2.08 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य
- सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही समाप्त हो जाएगा खरमास
- 7.19 बजे सुबह से लेकर शाम 5.55 बजे तक रहेगा संक्रांति काल
रांची, जासं। Makar Sankranti 2020 मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी रात 2.08 बजे सूर्य उत्तरायण होंगे यानी सूर्य चाल बदलकर धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का पर्व संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी बुधवार सुबह से शुरू होगा। संक्रांति काल 15 जनवरी सुबह 7.19 बजे से शाम 5.55 बजे तक रहेगा। इस बार संक्रांति पर शोभन योग और बुद्धादित्य योग का विशेष संयोग बन रहा है।
उत्तरायण काल को माना जाता है देवताओं का काल
संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इसी दिन से वर्ष का उत्तरायण पक्ष शुरू होता है। उत्तरायण और दक्षिणायण पक्ष छ:-छ: महीनों का होता है। उत्तरायण काल को देवताओं का काल भी कहा जाता है। मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। विवाह आदि मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। मकर संक्रांति पर्व अशुद्ध विचारों को त्याग कर पावन हो जाने का पर्व है। यह तेज, तप और वैराग्य को एक साथ पाने का पर्व है। मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर संक्रांति अलग-अलग नाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
पुण्यकाल: सुबह 07.19 से 12.31 बजे तक
महापुण्य काल - 07.19 से 09.03 बजे तक
मकर संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा का विशेष महत्व
मकर संक्रांति में सूर्य के उत्तरायण होने को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। स्कंध पुराण में वर्णन है कि इस दिन किए गए दान से सौ गुना बढ़कर पुण्य प्राप्त होता है। शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगास्नान का भी विशेष महत्व है।
घर में इस प्रकार करें स्नान मिलेगा गंगास्नान का लाभ
आचार्य प्रणव मिश्रा के अनुसार गंगास्नान के लिए नहीं जा सकते हैं तो घर मे ही किसी पात्र में गंगाजल डाल कर उसमें पुन: जल डाल कर स्नान करना चाहिए। इससे भी गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। इस दिन ऊनी वस्त्र, भूमि, स्वर्ण और धार्मिक पुस्तकों का दान करना पुण्यप्रद माना गया है।
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