आधुनिक पावर कंपनी के एमडी रहे महेश अग्रवाल को टेरर फंडिंंग मामले में नहीं मिली राहत
Adhunik Power Terror Funding case झारखंड हाई कोर्ट ने आधुनिक पावर कंपनी के एमडी रहे महेश अग्रवाल की याचिका खारिज कर दी है। झारखंड हाईकोर्ट ने ट्रांसपोर्टर अमित अग्रवाल और विनीत अग्रवाल की भी याचिका खारिज कर दी है। आरोपितों ने कोर्ट के संज्ञान को चुनौती दी थी।
रांची, राज्य ब्यूरो। टेरर फंडिंंग मामले में आधुनिक पावर कंपनी के पूर्व एमडी महेश अग्रवाल एवं ट्रांसपोर्टर अमित अग्रवाल और विनीत अग्रवाल को झारखंड हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने राहत देने से इन्कार करते हुए इनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
आरोपितों ने झारखंड हाईकोर्ट में निरस्त याचिका दाखिल की थी
पूर्व में बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब इनके पास सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने का विकल्प है। एनआइए (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) कोर्ट में दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के खिलाफ इन लोगों ने झारखंड हाई कोर्ट में निरस्त Quashing याचिका दाखिल की थी।
एनआइए ने पहले एक चार्जशीट दाखिल की थी
पूर्व में सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया था कि टेटर फंडिंंग मामले में एनआइए ने पहले एक चार्जशीट दाखिल की थी। उनमें इन लोगों का नाम नहीं था। बाद में पूरक चार्जशीट में अग्रवाल बंधु सहित सुदेश केडिया का नाम शामिल किया गया। इन पर उग्रवादी संगठन टीएसपीसी को फंङ्क्षडग करने का आरोप लगाया गया है। जबकि वे इस मामले में पीडि़त हैं। वहां पर काम करने के लिए उनसे रंगदारी वसूली जाती थी। लेकिन एनआइए ने इस मामले में उन्हें आरोपित बना दिया है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कही थी यह बात
इस दौरान सुदेश केडिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुदेश केडिया के पास से बरामद पैसे टेरर फंडिंंग के लिए थे, यह प्रथम दृष्ट्या सही नहीं है। लेकिन इनके खिलाफ ट्रायल चलेगा। इसी मामले में महेश, अमित और विनीत अग्रवाल को भी आरोपित बनाया गया है। ऐसे में इनके खिलाफ भी प्रथम दृष्ट्या कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए एनआइए कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान को खारिज करते हुए उन्हें राहत दी जानी चाहिए।
आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद : एनआइए
इस पर एनआइए की ओर से कहा गया कि उक्त सभी आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं और कोर्ट ने इनके मामले में जो संज्ञान लिया है वह भी बिल्कुल सही है। बता दें कि टंडवा के मगध आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट में लोडिंंग एवं खनन के लिए कार्य कर रही कंपनियों पर उग्रवादी संगठन टीएसपीसी को आर्थिक मदद पहुंचाने समेत कई गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले की जांच एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) कर रही है।