Move to Jagran APP

Lok Sabha Polls 2019: रांची से जब पहली बार 'बाहरी' संसद पहुंचा

Lok Sabha Polls 2019. 1957 में रांची में दो लोकसभा सीटें थीं। तब दोनों सीटों पर झापा ने विजय दर्ज की थी। मुंबई से आकर मीनू रांची लोकसभा से झापा के टिकट पर चुनाव जीते थे।

By Sujeet SumanEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 01:34 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 01:34 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: रांची से जब पहली बार 'बाहरी' संसद पहुंचा
Lok Sabha Polls 2019: रांची से जब पहली बार 'बाहरी' संसद पहुंचा

रांची, [संजय कृष्ण]। रांची संसदीय सीट से पहली बार कोई बाहरी संसद में पहुंचा था। दूसरा आम चुनाव था। झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा ने दूसरे आमसभा चुनाव में झारखंड पार्टी से मीनू मसानी को टिकट दे दिया। तब रांची में 1957 में दो लोकसभा सीट थी। एक ईस्ट और एक एसटी के लिए। मीनू मुंबई के थे। रांची से मुर्गा छाप पर उन्हें चुनाव लड़ाया गया। जयपाल के इस निर्णय पर पार्टी के अंदर और बाहर तीखी प्रतिक्रिया भी हुई, लेकिन तब जयपाल सिंह की तूती बोलती थी। जयपाल ने दांव खेला और मीनू संसद पहुंच गए।

loksabha election banner

रांची एसटी से खुद चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। तब उस समय के बिहार में 45 लोकसभा की सीटें हुआ करती थी। उस समय छह सीटों पर झापा ने जीत दर्ज की थी, जिनमें तीन सामान्य सीट थी। 1957 के लोकसभा चुनाव में सबको लग रहा था कि रांची से टिकट जयपाल सिंह अपने सहयोगी रहे सुरेश प्रसाद को देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जयपाल के इस निर्णय पर कार्यकर्ताओं को धक्का लगा था। कहा जाता है कि मीनू मसानी लड़े तो झापा के टिकट पर, लेकिन आचरण निर्दलीय की तरह था। इस चुनाव में मसानी को 39025 मत मिले थे। यानी 34.58 फीसद जबकि जयपाल सिंह को 60.25 फीसद मत मिले थे। वोटों की संख्या 139197 थी। 

मुंबई में जन्मे थे मीनू
मीनू मुंबई में जन्मे थे। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और लिंकन इन्न से कानून की पढ़ाई की थी। 1929 में भारत वापस आने के बाद बंबई उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। लेकिन आजादी के आंदोलन में भाग लेने के कारण वकालत छोड़ दी। जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, युसुफ मेहर अली एवं अन्य नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की, लेकिन पार्टी में कम्युनिस्ट सदस्यों के बढ़ते प्रभाव के चलते वर्ष 1939 में लोहिया, मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से त्यागपत्र दे दिया और मसानी ने राजनीति छोड़कर टाटा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया।

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत होने पर मीनू मसानी वापस सक्रिय राजनीति में लौट आए और आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल से छूटने पर वर्ष 1943 में मीनू मसानी बंबई के महापौर बने। बाद में भारत के संविधान सभा के लिए चुने गए और भारत के नए संविधान निर्माण में नागरिकों के मूल अधिकारों से संबंधित समिति के सदस्य बने। संविधान सभा में मीनू मसानी ने भारत में समान नागरिक संहिता लागू किए जाने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उसे नामंजूर कर दिया गया। 1978 में जनता पार्टी की सरकार में ये मंत्री बने। 1998 में इनका निधन हुआ। मसानी ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.