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Jharkhand Government: आदिवासी जमीन पर मिल सकेगा लोन... बैंकों से तालमेल की पहल कर रही टीएसी

Jharkhand Government आदिवासियों के पास जमीन रहते हुए भी वे उसके आधार पर ऋण नहीं ले पाते। नतीजा यह होता है कि उद्योग शिक्षा कृषि ऋण से लेकर आवास बनाने तक में वे इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं। टीएसी बैंकों से तालमेल की पहल कर रही है।

By Kanchan SinghEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:08 PM (IST)
Jharkhand Government: आदिवासी जमीन पर मिल सकेगा लोन... बैंकों से तालमेल की पहल कर रही टीएसी
अब आदिवासी जमीन पर भी लोन मिल सकेगा, टीएसी बैंकों से तालमेल की पहल कर रही है।

रांची{प्रदीप सिंह}। सामान्यत: जमीन को बंधक रख लोन देने में बैंक रूचि लेते हैं, लेकिन झारखंड में ऐसा नहीं है। आदिवासियों के पास जमीन रहते हुए भी वे उसके आधार पर ऋण नहीं ले पाते। नतीजा यह होता है कि उद्योग, शिक्षा, कृषि ऋण से लेकर आवास बनाने तक में वे इस सुविधा से वंचित रह जाते हैं। इससे जनजातीय समुदाय के जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है।

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जनजातीय समुदाय के विभिन्न मोर्चे पर पिछड़ने का यह एक बड़ा कारण भी है। इसका निदान निकालने की दिशा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रयास आरंभ किया है। उनकी अध्यक्षता वाली जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसी) इस समस्या का समाधान निकालने की पहल की है। इससे आदिवासियों के हित के लिए बनाए गए जमीन संबंधी कानून छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) व संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) के प्रविधानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बगैर अधिनियम में छेड़छाड़ किए इसका निदान निकालने का निर्देश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया है।

एक उच्चस्तरीय समिति इसकी पहल करेगी और वित्त विभाग विभिन्न बैंकों से इसे लेकर बातचीत की प्रक्रिया आरंभ करेगी। जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसी) की एक उपसमिति इसे लेकर आदिवासियों को कृषि ऋण, गृह ऋण, शिक्षा ऋण समेत अन्य प्रकार का लोन सुलभ तरीके से बैंकों द्वारा मुहैया कराने की दिशा में पहल करेगी। उपसमिति बैंकों से विचार-विमर्श कर इस मामले में परिषद को परामर्श भी देगी। उपसमिति के अध्यक्ष प्रो. स्टीफन मरांडी हैं, जबकि नमन विक्सल कोनगाड़ी, बंधु तिर्की, दीपक बिरूआ और चमरा लिंडा उपसमिति के सदस्य हैं।

लोन देने से हिचकते बैंक

जमीन संबंधी कानून सीएनटी और एसपीटी एक्ट में अनुसूचित जनजातियों की जमीन की खरीद और बिक्री को प्रतिबंधित किया गया है। इसके कारण अनुसूचित जनजातियों को वित्तीय संस्थाओं द्वारा ऋण देने में कठिनाई होती है। बैंक ऋण देने से हिचकते हैं।

अब आगे क्या

टीएसी की उपसमिति विभिन्न बैंकों के साथ बातचीत कर सरकार को परामर्श देगी। इसमें सुलभ तरीके से ऋण मिलने के प्रविधानों का उल्लेख होगा। वित्त विभाग और अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग बैंकों से तालमेल करने की दिशा में कार्रवाई करेगा।

उपसमिति में कौन-कैन

अध्यक्ष प्रो. स्टीफन मरांडी, नमन विक्सल कोनगाड़ी, बंधु तिर्की, दीपक बिरूआ और चमरा लिंडा सदस्य।

- आदिवासियों के पास जमीन रहते हुए भी उनका जीवन स्तर ऊंचा नहीं उठ पा रहा है। इस दिशा में सरकार की पहल सराहनीय है। उपसमिति को भी तत्परता से इस दिशा में कार्य करना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जमीन रहते हुए आदिवासी समुदाय दर-दर भटकने को मजबूर है। बैंक उन्हें लोन नहीं देते, जिसका विपरीत असर उनके जीवन पर पड़ रहा है। इसे प्राथमिकता के स्तर पर तय करने का प्रयास आवश्यक है।

- बंधु तिर्की,विधायक, मांडर।


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