मानव तस्करी के दो फीसद मामलों में भी सजा नहीं दिला पाती पुलिस
रांची : मानव तस्करी के लिए बदनाम झारखंड में पुलिस की अक्षमता के कारण तस्करों का मनोबल बढ़ गया है।
फहीम अख्तर, रांची : मानव तस्करी के लिए बदनाम झारखंड में पुलिस की अक्षमता के कारण तस्कर आजाद हैं। दो फीसद मामलों में भी पुलिस अदालतों में साक्ष्य पेश नहीं कर पाती। नतीजतन गिरफ्तारी के बावजूद आरोपित अदालत से छूट जाते हैं। गुमला कोढ़ में खाज की तरह है। प्रदेश की तुलना में लगभग पचास फीसद मामले इसी जिले से जुड़े हैं। चौंकाने वाला आंकड़ा यह भी है कि अब तक तस्करी में जितने पुरुष गिरफ्तार किए गए उनकी तुलना में करीब पचास फीसद महिलाएं भी गिरफ्तार हुई हैं। नाबालिगों को बड़े शहरों में बंधक बनाकर प्रताडि़त करने, दुष्कर्म और उनकी हत्या के मामले आए दिन आते रहते हैं। इसके बावजूद यहां के आदिवासी बहुल इलाकों में गरीबी और बेबसी तस्करों के लिए उर्वरक का काम करते हैं। गुमला, सिमडेगा और खूंटी उर्वर भूमि है। छुड़ाकर लाए गए लोगों के पुनर्वास की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने का नतीजा है कि कुछ मामलों में बच्चे दुबारा इसी कतार में शामिल हो जाते हैं। तस्करी का शिकार एक एक नाबालिग पूरा दर्दनाक किस्सा है।
सीआइडी के पास मौजूद आकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षो में मानव तस्करी के 395 मामले दर्ज किए गए। इनमें 152 पुरुष और 74 महिलाओं सहित कुल 226 तस्करों को गिरफ्तार किया गया। शर्मनाक स्थिति यह कि महज छह-सात मामलों में ही पुलिस दोषियों को सजा दिला पाई है। अन्य जमानत पर छूट गए या साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए। छूटने के बाद भी ये तस्कर मानव तस्करी के धंधे में लगे हैं। राज्य में महज नौ एएचटीयू :
मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए राज्य में वर्ष 2011 में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) का गठन किया गया था। राज्य में 24 जिले हैं मगर सिर्फ नौ मे एएचटीयू का गठन किया गया। गुमला नगर थाना, सिमडेगा नगर थाना, खूंटी नगर थाना, दुमका नगर थाना, राची कोतवाली थाना, पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा सदर थाना, लोहरदगा सदर थाना व पलामू सदर थाने में एएचटीयू का गठन हुआ। नतीजा है कि कई यूनिट मे समीप के जिलों के मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
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रेस्क्यू पीड़ितों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था नहीं :
रेस्क्यू कर लाई गई नाबालिग व बालिग लड़कियों के पुनर्वास, मॉनीट¨रग की उचित व्यवस्था नहीं है। मजबूरन वह दोबारा इस दलदल में उतरने को मजबूर हो जाती हैं। वर्ष 2012 में पंचायत सचिव को गाव से बाहर कमाने जानेवालों के रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया गया था। मगर हो नहीं रहा।
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ये हैं राज्य के कुख्यात तस्कर :
राज्य के बड़े मानव तस्करों के रूप में पन्ना लाल, बाबा बामदेव, रोहित मुनी, प्रभा मुनि, सुरेश साहू, गायत्री साहू, पवन साहू व लता लकड़ा जैसे कई नाम कुख्यात हैं।
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किस जिले में कितनी प्राथमिकी :
गुमला 186
खूंटी 50
दुमका 12
सिमडेगा 71
राची 11
चाईबासा 26
लोहरदगा 33
पलामू 01
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कहां से कितनी गिरफ्तारी :
गुमला 59
खूंटी 31
दुमका 08
सिमडेगा 43
राची 04
चाईबासा 06
लोहरदगा 21
पलामू 02
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'पुलिस मामले दर्ज करती है, आरोपितों को गिरफ्तार करती है। लेकिन पीड़ितों और परिजनों की ओर से कोर्ट में मजबूती से सामना नहीं किया जाता। इस वजह से दोषी बच निकलते हैं। पुलिस बेहतर साक्ष्य प्रस्तुत कर सजा दिलाने का प्रयास करती है।'
:: प्रशांत सिंह, एडीजी, सीआइडी।
---------------------- 'तस्करों के छूटने के पीछे की सबसे बड़ी वजह पुलिस का बेहतर सहयोग का नहीं मिलना है। कई मामलों में पुलिस ही तस्करों की मदद करती है। साक्ष्य सुरक्षित नहीं रखे जाते। पीड़ितों को धमकाया जाता है। '
::मानव तस्करी पर काम कर रही संस्था दीया सेवा संस्था की सचिव सीता स्वांसी