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    Jharkhand Crime news: एसीबी उगलवाएगा राज, शराब घोटाले में गिरफ्तार प्लेसमेंट एजेंसी के तीनों निदेशक को लिया रिमांड पर

    By Dilip Kumar Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 12:57 PM (IST)

    रांची में शराब घोटाला मामले में एसीबी ने मेसर्स विजन हास्पिटालिटी के तीन निदेशकों को रिमांड पर लिया है। इन पर फर्जी बैंक गारंटी के माध्यम से शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने का आरोप है, जिससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। एसीबी ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    शराब घोटाला मामले की जांच कर रहा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति एजेंसी के तीनों निदेशकों को रिमांड पर लिया है।


    राज्य ब्यूरो, रांची। शराब घोटाला मामले की जांच कर रहा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति एजेंसी मेसर्स विजन हास्पिटालिटी सर्विसेज एंड कंस्ल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड के तीनों निदेशकों को रिमांड पर लिया है।

    गुजरात से पकड़े गए थे ये आरोपित

    इन आरोपितों में निदेशक परेश अभेसिंह ठाकोर, विक्रमासिंह अभेसिंह ठाकोर व महेश शिडगे शामिल हैं। तीनों ही आरोपित निदेशकों को एसीबी ने पिछले ही महीने गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार किया था। वर्तमान में तीनों रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद थे।

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    इन पर आरोप है कि पूर्व की शराब नीति के दौरान फर्जी बैंक गारंटी पर राज्य की सरकारी शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लिया था। इससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचा।

    फर्जी बैंक गारंटी पर मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेने का आरोप

    इस मामले में एसीबी ने 20 मई को उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे आदि के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप है कि पद का दुरुपयोग कर तत्कालीन सचिव व अन्य अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत से आपराधिक साजिश के तहत अपने पसंदीदा एजेंसी को मैनपावर आपूर्ति का ठेका दिया।

    इससे विभाग को करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचा। मैनपावर आपूर्ति एजेंसी मेसर्स विजन को हजारीबाग, कोडरमा व चतरा जिले की खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका मिला था।

    इस एजेंसी के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार के हस्ताक्षर से पांच करोड़ 35 लाख 35 हजार 241 रुपये का फर्जी बैंक गारंटी विभाग में जमा कराया गया था। मामला उजागर होने के बाद संबंधित बैंक से इसका सत्यापन कराया गया, जिसमें बैंक गारंटी के फर्जीवाड़ा की पुष्टि हुई थी।