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Jharkhand High Court: दहेज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पांच बरी

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सोमवार को दहेज हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पांच लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 07:55 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 07:55 PM (IST)
Jharkhand High Court: दहेज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पांच बरी
Jharkhand High Court: दहेज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पांच बरी

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने सोमवार को दहेज हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पांच लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए छेदी सिंह, अरुण सिंह, शांति देवी (मृत), रीता सिंह व पूरन सिंह को बरी किया है। दरअसल, वर्ष 1990 में सुमन देवी व आठ माह के बच्चे टिंकू का शव कुएं से बरामद हुआ था।

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इस मामले में सुमन के चाचा अवधेश सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद वर्ष 2002 में हजारीबाग की निचली अदालत ने पांचों आरोपितों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद सभी ने हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की थी। फिलहाल सभी जमानत पर थे। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने अदालत को बताया कि इस मामले में सूचक अवधेश सिंह निचली अदालत में गवाही के दौरान अपने बयान से मुकर गए।

वहीं, सुमन की मां और बहन ने भी अपने बयान को सपोर्ट नहीं किया। इसके अलावा इस मामले में सुमन के पिता और सगे भाई को गवाह नहीं बनाया गया था। दहेज मांगने की बात भी संदिग्ध लगती है, क्योंकि सुमन की मौत के ढाई महीने बाद एक चिट्ठी सामने लाई जाती है, जिसमें दहेज मांगने का जिक्र है। इसके बाद अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए पांचों आरोपितों को बरी करने आदेश दिया।


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