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जेसोवा मेले का समापन, खरीदारों ने जी भरकर की खरीदारी

सोमवार को पांच दिवसीय जेसोवा मेले का रंगारंग समापन हुआ। जेसेवा के द्वारा पंख स्कूल के गरीब बच्चों को वस्त्र और मिठाइयां भेट की गई।

By Edited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 06:44 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 11:49 AM (IST)
जेसोवा मेले का समापन, खरीदारों ने जी भरकर की खरीदारी
जेसोवा मेले का समापन, खरीदारों ने जी भरकर की खरीदारी

रांची, जासं। मोरहाबादी में पंच दिवसीय जेसोवा मेले का सोमवार को समापन हुआ। मेले में शहर से लेकर अन्य राज्यों के दुकानदारों ने लगभग 200 स्टॉल लगाए, जहा शहरवासियों को हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित परिधानों को देखने एवं खरीदने का मौका मिला। प्रतिदिन ग्राहक भारी संख्या में खरीददारी करने पहुंचे। अंतिम दिन अनेक स्टॉलों पर भरी छूट देखने को मिली।

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मेले में खाने पीने से से लेकर बच्चों के मनोरंजन का भी ख्याल रखा गया। जेसोवा की अध्यक्षा ऋचा स्मिता ने बताया की मेले का मुख्य उद्देश्य चैरिटी के लिए धन एकत्र करना होता है। पिछले साल की तुलना में इस बार अच्छी कमाई हुई है। प्रशासन और दुकानदारों का भरपूर सहयोग मिला और बिना किसी रुकावट के आयोजन पूरा हुआ। पंख के बच्चों ने किया मेले का भ्रमण जेसोवा ने मेले के अंतिम दिन जगन्नाथपुर स्थित पंख स्कूल के बच्चों को मेले का भ्रमण कराया और उनके बीच गर्म कपड़ों का वितरण किया। मेला देखकर बच्चे उत्साहित नजर आए, बच्चों ने झूलों का आनंद लिया।

इस साल पिछली बार की तुलना में अधिक कमाई हुई है। खादी के कपड़ो के अच्छे खरीददार मिले। आयोजकों के तरफ से प्रचार, प्रसार और व्यवस्था करने में हमे पूरा सहयोग मिला है। विश्वनाथ साहनी, उत्तरखंड से आये खादी के विक्रेता

इस बार हमारी बिक्री अच्छी हुई है और हमने 3 दिन में 30 हजार का कारोबार किया है, जिससे हम खुश है। हाथ से बने चप्पलों और जूतों को ग्राहकों ने बहुत सराहा। मंचन साहनी, उत्तराखंड से आये फुटवियर कारोबारी गुजराती

स्टाइल के बैग, डिज़ाइनर कुर्ती, आभूषणों को लोगों ने काफी पसंद किया। हमें इस बार कारोबार में अच्छी प्रतियोगिता देखने को मिली जिससे अगली बार ग्राहकों को और भी बेहतर और नए डिजाइन के परिधान उपलब्ध कराएंगे। रोबिन भकोड़िआ, गुजरती कारोबारी

हाथ से बनाई साड़ी को ग्राहकों द्वारा अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यहा किए कारोबार से हम खुश है। हमने यहा पिछले कई साल से बिना निराश हुए व्यापर किया है। एजी मिर्जा, उत्तरप्रदेश से आये हस्तनिर्मित साड़ियों के कारोबारी

लिनेन और सिल्क के पारम्परिक बंगाली डिजाइन के परिधानों को उम्मीद से भी अधिक पसंद किया गया। हमने इस साल अच्छा व्यापर किया और हमारे स्टॉल के अधिकतर स्टॉक खत्म हो गए। मिली सरकार, बुटिक संचालक


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