तेजप्रताप LIVE : लालू परिवार को भेद गया तेजप्रताप के शब्दों का बाण
चारा घोटाले के चार मामलों में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के दो दिनी के प्रवास में कई मौकों पर बगावती तेवर दिखा।
रांची, विनोद श्रीवास्तव। कोर्ट में पत्नी ऐश्वर्या राय की तलाक की अर्जी देकर सुर्खियों में आए बिहार के पूर्व स्वास्थ्यमंत्री सह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजप्रताप यादव की तल्खी बरकरार है। गुस्सा इतना कि उनके मुख से निकल रहे शब्दों के बाण लालू परिवार को रह-रहकर भेद रहे हैं। परिवार के प्रति उनकी बगावती तेवर की झलक उनके महज दो दिनी रांची प्रवास के दौरान कई मौकों पर दिखी।
चारा घोटाले में सजायाफ्ता रिम्स में इलाजरत अपने पिता लालू की उन्होंने कम ही मौके पर सुध ली है। अपने हरफनमौला व्यक्तित्व के बूते पार्टी स्तर की जटिल से जटिल समस्याओं का चुटकी में समाधान करने वाले लालू अपने बेटे के समक्ष शनिवार को नतमस्तक नजर आएं। तेजप्रताप को मनाने की उनकी लाख मशक्कत और मिन्नत नाकाफी साबित हुई।
उन्हें उम्मीद थी कि तेजप्रताप की नाराजगी रात के साथ ही ढल जाएगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उनकी तल्खी रविवार को भी बरकरार रही। पटना से आए अपने कुछ चंद दोस्तों के साथ उन्होंने शनिवार की रात राजधानी रांची स्थित मैपलवुड होटल में गुजारी। देर शाम तक राजद कार्यकर्ताओं का वहां जमावड़ा लगा रहा, परंतु उन्होंने किसी को तवज्जो नहीं दी।
रविवार की सुबह देर तक वे सोते रहे। बहुत कुरेदने पर तेज के मित्रों ने बस इतना बताया, दिमाग में जब भूचाल मचा हो, कोई कैसे सोएगा, तेज पूरी रात बेचैन रहे। इधर, रिम्स के सूत्रों के अनुसार लालू की भी रात रिम्स में करवटें बदलते बीती।इधर पत्नी को तलाक देने की गांठ बांध चुके तेजप्रताप का गुस्सा रविवार को भी कम नहीं हुआ।
होटल के चौथे तल पर ठहरे तेज की पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रविवार की सुबह से ही पत्रकारों और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा वहां लगा था। तेज कब कमरे से निकलेंगे, कहां जाएंगे, किसी को पता नहीं। लगभग एक बजे वे कमरे से निकलते हैं, पत्रकार उनतक न फटके, सुरक्षाकर्मी धक्कामुक्की पर उतारू हो जाते हैं। यह देख तेज बिफर पड़ते हैं, कहते हैं क्यों रोकते हो, आने दो।
तेज के चेहरे पर गुस्सा और चिंता का मिश्रित भाव है। उनके एक-एक बोल लालू परिवार को छलनी करने वाला है। वे दो टूक कहते हैं, सब षडयंत्र कर रहा है। मेरी कोई नहीं सुन रहा, पापा भी नहीं, फिर मैं पापा की बात क्यों मानूं। लोग परिवार की छवि, परिवार और पार्टी को होने वाले नुकसान की बातें करते हैं, मेरे नुकसान की चिंता किसी को नहीं है। मैं घुट-घुट कर क्यों मरूं, मैं अपने फैसले पर अडिग हूं। दिन के लगभग सवा बजे वे अपने लाव लश्कर के साथ पटना रवाना हो जाते हैं।