Move to Jagran APP

भाइयों की कलाई में सजेंगी महिला कैदियों की बनाई राखियां

राजधानी के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार जेल में महिला कैदी राखी बनाने में जुटी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 12:42 PM (IST)
भाइयों की कलाई में सजेंगी महिला कैदियों की बनाई राखियां
भाइयों की कलाई में सजेंगी महिला कैदियों की बनाई राखियां

रांची, सुरभि अग्रवाल। राखी का बंधन मजबूत और खास होता है। भाई-बहनों में महीनों पहले से इसे लेकर उत्साह होता है। भावनात्मक रिश्ते इससे बंधे होते हैं जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं। रक्षाबंधन का पर्व भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के निवास पर भी मनाया जाता है और आम लोगों के घरों मे भी।

loksabha election banner

रक्षाबंधन आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने का पर्व है। यही कारण है कि इस अवसर पर न केवल बहन भाई को ही अपितु अन्य संबंधों में भी रक्षा या राखी बांधने का प्रचलन है। इस बार राखी का पर्व और भी खास है क्योंकि न केवल बाजार में राखियां उपलब्ध है बल्कि इस बार बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार की महिला कैदियों द्वारा निर्मित राखियां भी बाजार में आकर्षण का केंद्र हैं।

इन राखियों को महिला कैदियों ने महीने भर पहले से बनाना शुरू किया तथा अभी रांची के न्यूक्लियस मॉल में इसकी बिक्री भी हो रही है। महिला कैदियों द्वारा निर्मित राखियां खासा पसंद भी आ रही हैं। ये राखियां बाजार में बिकने वाली राखी की तरह ही सुदंर हैं। इन हाथ से बनी राखियों की कीमत दस रूपये से शुरू हो 60 रूपये तक है।

मुस्लिम महिलाएं भी बना रहीं राखियां

इस बार कलाइयों पर सजने वाली राखी कुछ खास है। झारखंड खादी बोर्ड इस बार स्पेशल राखी लेकर आया है। इस रेशम की राखी में धर्म की मिठास है। खादी बोर्ड के कार्यालय में मुस्लिम बहनों ने रेशम की राखियां बनाई हैं। उन्हे राखी बनाने का भी प्रशिक्षण दिया गया, खादी बोर्ड ने दस हजार रेशम की राखी बनाने का लक्ष्य रखा था।

सादिया परवीन, गुलनाज परवीन, गुलशन परवीन, सोनी परवीन, साजिदी परवीन के साथ-साथ चांदनी कुमारी, शिखा कुमारी, पूजा नूनीवाला ने मिलकर काम किया है। ये दो धर्मो की डोर को मजबूत कर रही हैं। खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ कहते हैं, राखी का पर्व ऐसा है जो अब ¨हदू धर्म तक सीमित नहीं रहा है। यहां सौहार्द का नजारा है। यहां सभी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जाता है।

बाजार में राखियां ही राखियां

रक्षाबंधन के करीब आते ही बाजार में रौनक बढ़ गई है। नए कलेक्शन से रांची के मेन रोड से ले अपर बाजार तथा छोटी-बड़ी दुकानें सज गई हैं। बाजार में दस रुपये से लेकर हजार रूपये तक की राखियां उपलब्ध है। इस बार स्टोन, मोती, सोने-चादी की राखिया तथा बड़े आकार के लुम्बें उपलब्ध हैं।

जहा लड़किया अपनी पसंद की राखी से भाई की कलाई सजा सकती हैं वही वे अपनी भाभियों के लिए लुम्बें भी खरीद रही है। बदलते ट्रेंड और लोगों की पसंद को देखते हुए इस बार बाजार में राखी की नई रेंज लोगों को काफी लुभा रही है।

बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए एक से बढ़कर एक डिजाइन की राखिया बाजार में नजर आ रही है। बच्चों के लिए काटूर्न कैरेक्टर और छोटी गिफ्ट लगी राखियों की डिमाड है वही बड़ों के लिए पतले रेशम के साथ सोने चादी की राखियों की भी डिमाड है। अब रक्षाबंधन के लिए राखी की खरीदारी चरम पर है।

जिनके भाई बाहर रहते हैं और रक्षाबंधन पर घर नहीं आ पा रहे हैं, उनको स्पीड पोस्ट और डाक के जरिए राखिया भेजने के लिए लोग पहले है राखियों की खरीदारी कर रहे है। बाजार में राखी खरीदने के लिए दुकानों में भीड़ लग रही है।

मीना वर्क की भी डिमांड

बाजार में विभिन्न डिजाइन उपलब्ध हैं जिसमें मोर डिजाइन, जरी, पैच वर्क, रेशम, कुंदन, स्टोन और मोती से सजे गोल, बैंड स्टाइल, ब्रेसलेट आदि डिजाइन की राखियां उपलब्ध हैं। वहीं गोल्ड में मीना वर्क और फूलों के डिजाइन लोकप्रिय हैं, मांग बढ़ी है। व्हाइट गोल्ड राखियो की भी माग अच्छी है। चादी की राखिया भी लोगों को लुभा रही हैं। चादी में सोने का पापी चढ़ी राखी चलन में है।

छोटी राखियां और बड़े लु़म्बे का चलन

इस बार बाजार में लड़कियां छोटे आकार की राखियां पसंद कर रही हैं। वहीं महिलाओं के लिए बड़े आकार के लुम्बें बाजार में हैं इनमें जरी, नेट वर्क, बूटा आदि लगा है।

पसंद की जा रही सोने की राखियां :

सोने से बनने वाली राखी मंहगी होती है पर लोगो द्वारा काफी पंसद की जाने लगी है। चादी से तैयार होने वाली राखी 450 रुपये से लेकर 2000 तक में मिलती हैं। कुछ राखिया चादी और सोने के पानी से तैयार की जाती है। इनकी कीमत 300 से लेकर 500 रुपये तक होती है।

वैसे शौकीन लोगों के लिये आर्डर पर सोने चादी और डायमंड से राखी भी तैयार की जाती है। इनकी कीमत डेढ़ लाख तक होती है। त्योहार के लिए सराफा व्यापारियों ने भी कई तैयारिया की हैं। उन्होने बताया कि गोल्ड या सिल्वर राखियों की मेकिंग भी किसी दूसरे जेवर की तरह ही होती है। पहले डिजाइन बनाकर उसके अनुसार मशीन से पीस कटिंग होती है। बाद में इन्हें कारीगर जोड़ते हैं।

मल्टीपर्पस राखी

ब्रेसलेट और बैंड वाली राखिया सिर्फ रक्षाबंधन में ही नही बल्कि पूरे साल पहनी जा सकती है। इनको ऐसे डिजाइन किया जाता है कि इन्हें बाद में ब्रेसलेट, पेंडेंड, कड़ा, चेन आदि रूप में भी लोग पहन सके। खास बात यह है कि राखी में लगे ओम या स्वास्तिक को बाद में लॉकेट की तरह गले में पहन जा सकता है।

कितनी है कीमत : रुपये में

30 - 90 रुपये में मिलती है स्टोन राखी -

30 से 150 रुपये तक उपलब्ध है बुटे और जरी वाली राखी

20 - 70 रुपये की कीमत में उलपब्ध है रेशमी राखी

10 से 30 रुपये कीमत है मोली राखी की

30 - 160 रुपये तक उपलब्ध हैं लुंबे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.