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Monsoon 2019: खेतों में किसान, ताक रहे आसमान...इन जिलों में अब तक शुरू नहीं हुई धानरोपनी

झारखंड के कई जिलों में बीते दो दिनों से अच्छी बारिश हो रही है मगर अभी भी सामान्य से 50 फीसद कम वर्षा दर्ज की गई है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 06:41 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 05:55 PM (IST)
Monsoon 2019: खेतों में किसान, ताक रहे आसमान...इन जिलों में अब तक शुरू नहीं हुई धानरोपनी
Monsoon 2019: खेतों में किसान, ताक रहे आसमान...इन जिलों में अब तक शुरू नहीं हुई धानरोपनी

रांची, राज्य ब्यूरो। पिछले दो दिनों से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में मानसून की सक्रियता के साथ किसानों की सक्रियता भी बढ़ी है लेकिन अभी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। मुश्किलों का अनुमान इसी से निकला जा सकता है कि राज्य के सात जिलों में अभी तक रोपनी शुरू नहीं हो सकी है। किसान खेतों में तो पहुंच चुके हैं लेकिन अभी भी आसमान की ओर ताक रहे हैं ताकि और बारिश हो और खेती की जा सके। अभी पूरे राज्य के आंकड़ों को देखें तो औसत से 44 फीसद कम बारिश होने से सूखे के संकेत अधिक मिल रहे हैं। इसके बावजूद साहिबगंज और आसपास के इलाकों में बारिश ने इस बार नया रिकॉर्ड बना दिया है। राज्य के 24 जिलों में सिर्फ साहिबगंज ऐसा है जहां औसत से अधिक बारिश हुई है।

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इन जिलों में अब तक शुरू नहीं हुई रोपनी : गढ़वा, लातेहार, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा, कोडरमा और बोकारो।

फसलों के आच्छादन की स्थिति

फसल        लक्ष्य       कवरेज      प्रतिशत

धान         1800.00     252.714     14.04

मक्का        312.560    192.557     61.61

दलहन       612.900     211.713     34.54

तेलहन       60.000       22.049     36.75

मोटा अनाज  42.000      5.610       13.36

कुल          2827.00    684.643     24.20

खेती के आंकड़े हजार हेक्टेयर में हैं। 24 जुलाई तक की कृषि निदेशालय की रिपोर्ट पर आधारित।

इन जिलों में 50 फीसद से कम बारिश

जिला का नाम       बारिश 

बोकारो                -51

चतरा                  -55

धनबाद                -51

गढ़वा                 -61

गोड्डा                -59

खूंटी                  -68

पाकुड़                -60

रामगढ़               -54

रांची                 -52

सरायकेला खरसावां  -52

किसान भाई वर्षा का लाभ उठाते हुए मध्यम एवं निचले खेत में रोपा धान के लिए वर्षा जल का संग्रह करें। साथ ही ऊपरी खेत में बोए गए धान के अलावा अन्य फसलों के खेतों से जल निकास के लिए समुचित व्यवस्था बनाए रखें। ए. वदूद, कृषि वैज्ञानिक। 


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