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कुणाल षाडंगी ने जनादेश की सच्चाई स्‍वीकारी, विपक्षी दलों को दी नसीहत; पढ़ें हाल-ए-राजनीति Special Report

Jharkhand Assembly Election 2019. भाजपा में शामिल होने से पहले झामुमो विधायक ने कहा कि झामुमो बनी बनाई लीक पर चल रहा है। बोले सोच को बदलना जरूरी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 08:32 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 10:40 PM (IST)
कुणाल षाडंगी ने जनादेश की सच्चाई स्‍वीकारी, विपक्षी दलों को दी नसीहत; पढ़ें हाल-ए-राजनीति Special Report
कुणाल षाडंगी ने जनादेश की सच्चाई स्‍वीकारी, विपक्षी दलों को दी नसीहत; पढ़ें हाल-ए-राजनीति Special Report

रांची, [प्रदीप सिंह]। Jharkhand Assembly Election 2019 - विधानसभा चुनाव से ऐन पहले विपक्षी दलों को झटका देने की भाजपा की मुहिम बुधवार को परवान चढ़ेगी। झामुमो और कांग्रेस के कई विधायक इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण करेंगे। अन्य विधायक जहां अंतिम वक्त में पत्ते खोलेंगे, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बहरागोड़ा से विधायक कुणाल षाडंगी ने मंगलवार को ही स्पष्ट कर दिया कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र और राज्य के व्यापक हित में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैैं।

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कुणाल षाडंगी ने हालिया चुनावों के जनादेश का हवाला देते हुए कहा कि विपक्षी दलों को इसे स्वीकार करना चाहिए। ऐसा नहीं कर, सारे दल बनी बनाई लीक पर विरोध कर रहे हैैं। दुर्भाग्य से झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इसी ढर्रे पर चल पड़ा है। कुणाल ने भाजपा में शामिल होने को राजनीतिक घर वापसी बताया। गौरतलब है कि उनके पिता डॉ. दिनेश षाडंगी बहरागोड़ा से विधायक रह चुके हैैं। वे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में स्वास्थ्यमंत्री के पद पर भी रहे हैैं।

कुणाल षाडंगी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लंबे अरसे से लगाई जा रही थी। कुणाल कहते हैैं कि सकारात्मक विपक्ष के सदस्य के रूप मे मैंने हर मंच से सरकार के अच्छे निर्णयों का स्वागत और गलत निर्णयों की आलोचना की है। चाहे वह कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की बात हो या बिना तैयारी का समय दिए नए ट्रैफिक नियमों को लागू करने का मामला हो, लोकतंत्र में यह जरूरी है कि हर दल की स्थायी प्रतिबद्धता देश की जनता और उसकी सेवा के प्रति हो।

बीते लोकसभा चुनाव के परिणामों ने और वर्तमान परिस्थितियों ने देश और राज्य की राजनीति के बारे में कई ऐसी बातें सामने लाई हैं, जिससे मुंह मोडऩा किसी भी दल के जनप्रतिनिधि के लिए संभव नहीं है। जनादेश को सिर्फ राजनीतिक लहर का नाम देना जनता की किसी राजनीतिक पार्टी के प्रति उपजे स्नेह और विश्वास को छोटा कर के आंकना होगा।

जनता का प्रतिनिधित्व करने वालों के लिए जनभावना से बड़ा कुछ नहीं होना चाहिए। चाहे वह देशहित में लिए गए कड़े निर्णयों की बात हो, सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में आवास, पेयजल, शौचालय और गैस की योजनाएं पहुंचाना हो या महिला समूहों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की बात हो, बीते कुछ वर्षों से पूरे भारत वर्ष के जनमानस के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने का ईमानदार प्रयास हुआ है।

परिवार की तरह पार्टी चलाते हैैं हेमंत : जेपी पटेल

मांडू से झामुमो विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने लोकसभा चुनाव के दौरान ही बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था। वे एनडीए की सभाओं में भी खूब नजर आए। भाजपा में शामिल होने से पूर्व उन्होंने जागरण संग बातचीत में कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को हेमंत सोरेन परिवार की तरह चला रहे हैैं। पहले दल में एक उपाध्यक्ष और एक महासचिव होता था। अब टोकरी भर उपाध्यक्ष और महासचिव होता है। आसपास और पड़ोस के लोग भी पदाधिकारी बन जाते हैैं।

घर-परिवार के लोग पदाधिकारी बन जाते हैैं। संगठन पर विनोद पांडेय और सुप्रियो भट्टाचार्य सरीखे बगैर जनाधार वाले लोग हावी हैैं। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन ने संगठन को बर्बाद कर दिया है। उनके पिता टेकलाल महतो और स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो ने उस वक्त शिबू सोरेन को राज्यसभा भेजा था, जब वे चुनाव हार गए थे। झामुमो में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो चुका है। दावा किया कि विधानसभा चुनाव में भाजपा 65 प्लस का आंकड़ा पार करेगी।


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