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Krishna Janmashtami 2020: घर पर मनाएं जन्‍माष्‍टमी, ऐसे करें कन्‍हैया का श्रृंगार; जानें शुभ मुहूर्त

Krishna Janmashtami 2020 आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। कोरोना संक्रमण के कारण भक्त घरों में भगवान की पूजा करेंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 10:41 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 04:07 PM (IST)
Krishna Janmashtami 2020: घर पर मनाएं जन्‍माष्‍टमी, ऐसे करें कन्‍हैया का श्रृंगार; जानें शुभ मुहूर्त
Krishna Janmashtami 2020: घर पर मनाएं जन्‍माष्‍टमी, ऐसे करें कन्‍हैया का श्रृंगार; जानें शुभ मुहूर्त

रांची, जासं। Krishna Janmashtami 2020 रांची शहर में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां तेज हो गयी है। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए शहर में बड़े कार्यक्रम नहीं होंगे। ऐसे में कृष्ण भक्त अपने घरों में ही महाप्रभु के अवतरण को उत्साह से मनाने वाले हैं। कान्हा के आगमन की तैयारी शहर के मंदिरों में भी हो रही है। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकारी आदेश के तहत मंदिरों में कोई विशेष आयोजन नहीं किए जायेंगे।

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सीमित लोगों के साथ मंदिर में केवल पूजा और आरती के आदेश दिये गये हैं। वहीं मंगलवार को सुबह से ही लोग घरों की साफ-सफाई में लगे हैं। झूले और पूजा घर की सजावट के लिए भक्तों के द्वारा विशेष इंतजाम किये गये हैं। ज्योतिषाचार्य पं अजित मिश्रा बताते हैं कि इस वर्ष की जन्माष्टमी भक्तों के लिए विशेष शुभ फल देने वाला है। सुबह 9.06 मिनट पर अष्टमी शुरू हो गयी है। अष्टमी 11 और 12 तारीख दोनों को है। ऐसे में कई लोगों को शंका है कि किस दिन जन्माष्टमी का व्रत करें।

असल में 11 तारीख को शुरू होकर अष्टमी 12 तारीख को दिन में खत्म हो रही है। ऐसे में भगवान के पूजन के लिए रात 12 बजे अष्टमी केवल 11 तारीख की रात में मिलेगा। इसलिए इस दिन जन्माष्टमी व्रत का विशेष महत्व रहेगा। उन्होंने बताया कि करीब 27 वर्ष के बाद इस जन्माष्टमी पर बुधाष्टमी और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। ये दोनों योग बेहद शुभ योग हैं। कृष्ण की आराधना वैसे भी सभी काल में शुभ फल देने वाली होती है।

मगर इस विशेष योग में की गयी पूरे मन से अराधना सर्व सिद्धि दिलाने वाली होगी। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से लेकर 02 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा। 11 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत है वहीं रात्रि 12 बजे कृष्ण की पूजा की जायेगी। पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है।

जानें पूजा विधि

  • चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए।
  • भगवान कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए।
  • अब दीपक जलाएं और साथ ही धूपबत्ती भी जला लीजिए।
  • भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि 'हे भगवान कृष्ण! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए।

कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद अब श्रीकृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए। भगवान कृष्ण को दीप दिखाएं। इसके बाद धूप दिखाएं। फिर अष्टगंध चन्दन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत भी तिलक पर लगाएं। माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए। साथ ही पीने के लिए गंगाजल रखें।

कैसे करें कन्हैया का श्रृंगार

भगवान कृष्ण को श्रृंगार में फूलों का बहुत प्रिय हैं। ऐसे में इनका प्रयोग करें। प्रभु को पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से श्रृंगार करें। श्रृंगार में इस बात का ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काला नहीं होना चाहिए। काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित किए जाएं तो सर्वोत्तम होगा।

कृष्ण को अर्पित करें माखन और मिश्री

पूरी दुनिया को पता है कि कृष्ण को माखन और मिश्री से ज्यादा प्रिय कुछ नहीं है। ऐसे में भगवान को भोग लगाने के लिए इसका प्रयोग जरूर करें। इसके अलावा जन्माष्टमी के प्रसाद में पंचामृत जरूर अर्पित करें। उसमें तुलसी दल भी डालें। कहीं-कहीं भगवान कृष्ण को धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण को पूर्ण सात्विक भोजन अर्पित किए जाते हैं, जिसमें तमाम तरह के व्यंजन हों। जो लोग समर्थ हैं, वे भगवान को 56 भोग भी अर्पित कर सकते हैं।


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