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आखिर पत्थलगड़ी को लेकर कैसे बढ़ा लोगों और पुलिस में टकराव, जानें यहां का पूरा सच

करीब तीन माह पहले झारखंड में खूंटी के कांकी में पुलिस को घेर कर ग्रामसभा की अनुमति लिए बगैर प्रवेश करने पर बेइज्जत किया गया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 04:40 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 08:39 PM (IST)
आखिर पत्थलगड़ी को लेकर कैसे बढ़ा लोगों और पुलिस में टकराव, जानें यहां का पूरा सच
आखिर पत्थलगड़ी को लेकर कैसे बढ़ा लोगों और पुलिस में टकराव, जानें यहां का पूरा सच

रांची, प्रवीण प्रियदर्शी। लैंड ऑफ मुंडाज के नाम से विख्यात वर्तमान खूंटी व आसपास के अन्य जिलों के लोग इन दिनों अजब सी बेचैनी भरी हवा में सांस ले रहे हैं। पारंपरिक रूप से आदिवासी समाज में प्रचलित पत्थलगड़ी को वर्तमान में ऐसा रूप दिया गया, जिससे देश की संप्रभुता पर ही सवाल उठाने की परिपाटी चल पड़ी। आदिवासियों की विभिन्न सरकारों से ढेरों शिकायतें रही हैं।

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संविधान प्रदत्त उनके अधिकारों की रक्षा नहीं किए जाने या अनदेखी करने का सवाल आज किसी से छिपा नहीं है। जल, जंगल और जमीन को लेकर उनकी पीड़ा और दर्द को आधार बनाते हुए विभिन्न संगठन उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग करने में सक्रिय हो गए। इसके लिए संविधान की मनमानी व्याख्या होने लगी।

अवसर भी चुनौती भी
इसके बाद प्रशासन ने निर्णायक कार्रवाई का निर्णय लिया। बुधवार की सुबह पुलिस ने पूर्व की गलती से सबक लेते हुए घाघरा गांव की न सिर्फ घेराबंदी की, बल्कि अन्य संपर्क पथों पर भी चौकसी बढ़ा दी। पत्थलगड़ी समर्थकों पर कड़ी कार्रवाई की गई, कई घायल हुए, कई हिरासत में लिए गए। वहीं, युवक की जान भी चली गई। लेकिन प्रशासन ने अपना इकबाल कायम किया और प्रतिगामी सोच को गहरा झटका दिय। लोगों की शिकायतों को दूर करने के साथ ही सरकारी योजनाएं प्रभावी ढंग से कैसे पिछड़े इलाकों में पहुंचे, कानून व्यवस्था कैसे सुचारू रूप से अपना काम करे यह सभी लोकतंत्र प्रेमियों के लिए बड़ा सवाल रहेगा।

पहले पुलिस को बनाया बंधक अब कर लिया अगवा

करीब तीन माह पूर्व खूंटी के कांकी में पुलिस को घेर कर ग्रामसभा की अनुमति लिए बगैर प्रवेश करने पर बेइज्जत किया गया। वहीं, अड़की के कुरूंगा में एसपी सहित 250 पुलिस जवानों को 24 घंटे तक बंधक बना कर रखा गया। प्रशासन और पुलिस ने ग्रामसभा के सामने समर्पण कर बंधकों को मुक्त तो कराया लेकिन आपसी अविश्वास की गहरी खाई बन गई। वहीं, पत्थलगड़ी गांवों से निकल थाना और शहर तक पहुंच गई। 

खूटी में पत्थलगड़ी समर्थकों व पुलिस के बीच झड़प, अगवा सुरक्षाकर्मियों का सुराग नहीं
खूंटी में सांसद कडि़या मुंडा के आवास से मंगलवार को पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा तीन जवानों के अपहरण के 24 घंटे गुजर जाने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली है। वहीं, पुलिस ने जवानों की तलाश में खूंटी के घाघरा गांव में कार्रवाई की। हजारों की संख्या में जुटे पत्थलगड़ी समर्थकों पर अश्रु गैस के गोले दागे, रबर बुलेट चलाई। साथ ही तीर-धनुष व पारंपरिक हथियार से लैस हिंसक पत्थलगड़ी समर्थकों पर लाठियां भी चटकाई।

इस दौरान 100 से अधिक पत्थलगड़ी समर्थक हिरासत में लिए गए हैं, जिन्हें बुधवार देर शाम पीआर बांड पर छोड़ दिया गया। इससे पहले हिरासत के दौरान उनसे अपहृत जवानों के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की गई। हालांकि जवानों में बारे में कुछ पता नहीं चला है। इससे पहले पुलिसिया कार्रवाई के दौरान एक पत्थलगड़ी समर्थक की मौत व आधा दर्जन चोटिल हो गए। हिंसक झड़प में आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को भी हल्की चोटें आई हैं। 


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