जानिए, कैसे आठ साल तक यातना झेलने के बाद अपहर्ताओं के चंगुल से छूटी युवती
दुष्कर्म और मारपीट की यातना झेलने के बाद आखिरकार उसे मुक्ति तो मिल गई, लेकिन पिछली जिंदगी को याद करके वह आज भी सिहर उठती है।
मनोज कुमार सिंह, रांची। करीब आठ साल तक लगातार दुष्कर्म और मारपीट की यातना झेलने के बाद आखिरकार निशा (बदला हुआ नाम) को मुक्ति तो मिल गई, लेकिन पिछली जिंदगी को याद करके वह आज भी सिहर उठती है। काफी मशक्कत के बाद निशा उस वहशी के चंगुल से छूट तो गई, लेकिन तब तक वो बालिग हो चुकी थी और उसकी गोद में एक बच्ची भी थी। यह कहनी है धनबाद जिले के चिरकुंडा थाना क्षेत्र की। पंचमहली की रहने वाली निशा अपने बिस्तर से उठी ही थी कि उसे अगवा कर लिया गया था। लगभग साढ़े आठ साल बाद जब निशा अपने घर पहुंची तो उसने पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी। 164 के तहत बयान में निशा ने जो खुलासा किया वह रोंगटे खड़ा करने वाला है।
फिल्मी स्टाइल में हुआ था अपहरण
निशा ने अपने बयान में बताया कि 20 मई, 2009 की सुबह वह कभी नहीं भूल सकती। उस दिन सूर्य की किरणें अपनी रौशनी बिखेरने वाली ही थी कि उसके दरवाजे पर तीन लोगों ने दस्तक दी। उसने उनके स्वागत के लिए दरवाजा खोला, लेकिन उसे क्या पता था कि उसने अपने जीवन में ही नरक का दरवाजा खोल दिया है। नशीली दवा सुंघा कर रियाज खान, पप्पू उर्फ फहीम व मो. फहीम ने उनका अपहरण कर लिया। पिता के साथ अच्छे संबंध होने की वजह से उसने दरवाजा खोला था। जब निशा को होश आया तो उसने अपने को एक कमरे में बंद पाया। कुछ देर बाद रियाज खान, पप्पू उर्फ फहीम और दो अन्य लोग कमरे में दाखिल हुए। रियाज ने सभी को खाना लाने के बहाने भेज दिया।
शुरू हुआ दुष्कर्म और मारपीट का सिलसिला
निशा ने रियाज से अपने घर जाने की बात कही। लेकिन उसने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए उससे छेड़छाड़ करने लगा। जब निशा ने इसका विरोध किया तो रियाज ने उसे बहुत मारा और उसके साथ दुष्कर्म किया। जब निशा से रियाज का मन भर गया तो उसने निशा को पप्पू उर्फ फहीम को सौंप दिया। पप्पू उसे दिल्ली ले गया। जहां होटल में पांच दिनों तक निशा के साथ दुष्कर्म किया गया। पप्पू अब निशा को नहीं छोड़ना चाहता था। क्योंकि उसे डर था कि अगर वह अपने घर पहुंच गई तो उसके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। इसलिए वह निशा के साथ किराए के मकान में रहने लगा। इस दौरान वह एक जगह से दूसरे जगह मकान भी बदलता रहा, ताकि पकड़ा न जाए।
2017 में पहुंची अपने घर
लगातार आठ साल तक दिल्ली में बंदी रहने के बाद निशा घर जाने की उम्मीद छोड़ चुकी थी। इस दौरान वह गर्भवती हो गई और एक बच्ची को जन्म भी दिया। लेकिन उसके साथ होने वाली बर्बरता में कोई कमी नहीं आई। इस दौरान पप्पू भी निश्चित हो गया कि निशा अब यहां से भागने वाली नहीं है। 2017 के सिंतबर में निशा को अपने घर लौटने का मौका मिल गया, जब पप्पू कंपनी के काम से दो दिनों के लिए बाहर गया। इस दौरान मौका पाकर निशा ने मकान मलिक से आपबीती बताई और उनसे एक हजार रुपये लेकर किसी तरह अपने घर धनबाद लौट आई।
बेबस पिता ने लगाई न्याय की गुहार
2009 में अचानक गायब हुई नाबालिग के पिता ने पुलिस अधिकारियों से अपनी बेटी को खोजने की गुहार लगाई। लेकिन जब पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर पाई तो बेबस पिता ने 2012 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में कहा गया कि नामजद प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद भी आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। घर लौटने के बाद निशा ने पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी।