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गर्मियों में युवाओं को भा रहे खादी के कपड़े, कलेक्शन लांच

जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड राज्य खादी बोर्ड ने गर्मी को देखते हुए समर कलेक्शन लांच किया है। महि

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 05:28 PM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 05:28 PM (IST)
गर्मियों में युवाओं को भा रहे खादी के कपड़े, कलेक्शन लांच
गर्मियों में युवाओं को भा रहे खादी के कपड़े, कलेक्शन लांच

जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड राज्य खादी बोर्ड ने गर्मी को देखते हुए समर कलेक्शन लांच किया है। महिलाओं और युवाओं को ध्यान मे रखते हुए फैशनेबल हल्के वस्त्र लांच किए हैं। ये खादी के वस्त्र पहनने में आरामदायक हैं और आधुनिक डिजाइनों में बने हैं। शुक्रवार को बोर्ड कार्यालय में जानकारी देते हुए बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने बताया कि खादी अब लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है। इस उत्साह को देखते हुए ही समर कलेक्शन लांच किया गया है। खादी बोर्ड ने एक साल में खुदरा व्यापार आठ करोड़ तक पहुंचा दिया है। एक अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक बोर्ड ने सात करोड़, 86 लाख 91 हजार की बिक्री की। यह उत्साहजनक है। उन्होंने बताया कि खादी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए मई में अमेजन से करार हो रहा है। अब अमेजन पर झारखंड खादी बोर्ड के उत्पादक देश-दुनिया में आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे।

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मधु क्रांति में बढ़ा कदम :

सेठ ने बताया कि नवंबर से मधु उत्पादन शुरू हुआ था। अब तक तीन हजार किग्रा उत्पादन हो गया है। शीघ्र ही इसका प्रोसेसिंग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1500 बी बाक्स संताल और छोटानागपुर के किसानों को दिया गया था। इसे और बढ़ाया जाएगा। मधु उत्पादन के क्षेत्र में राज्य को देश में अग्रणी बनाना है। उन्होंने जानकारी दी कि बोर्ड शीघ्र मधु प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाने जा रहा है।

सत्तू और रसगुल्ला भी बेचेगा खादी बोर्ड :

अब खादी बोर्ड सत्तू और रसगुल्ला भी बेचेगा। इसकी तैयारी चल रही है। बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि खादी सत्तू, रसगुल्ला के अलावा कई खाद्य पदार्थ की बिक्री करेगा। झारखंड खादी बोर्ड का मकसद है गांव को स्वावलंबी बनाना। इस दिशा में यह काम किया जा रहा है।

महिलाओं को किया जा रहा आत्मनिर्भर :

उन्होंने बताया कि 242 महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें हर दिन पचास रुपये मानदेय भी दिया जा रहा है। इसी तरह बुंडू व सीताडीह में 15 दिनों का टेराकोटा आर्ट का प्रशिक्षण, लाह चूड़ी का प्रशिक्षण, बांस ज्वेजरी आदि का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। राज्य के कई जिलों में प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है।


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