Move to Jagran APP

बाबूलाल बोले, यूं ही नहीं ठंडे बस्ते में डाला था मंडल डैम का प्रस्ताव

Babu Lal Marandi. बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंडल डैम का शिलान्‍यास करने के बाद से झारखंड में राजनीतिक दलों की ओर से विरोध के सुर तेज हो गए हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 10:31 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 10:31 AM (IST)
बाबूलाल बोले, यूं ही नहीं ठंडे बस्ते में डाला था मंडल डैम का प्रस्ताव
बाबूलाल बोले, यूं ही नहीं ठंडे बस्ते में डाला था मंडल डैम का प्रस्ताव

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड के पलामू में बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडल डैम का शिलान्‍यास किया था। तब इसे वृहत सिंचाई परियोजना के रूप में प्रचारित करते हुए कहा गया था कि इससे राज्‍य के अलावा बिहार के औरंगाबाद, जहानाबाद आदि जिले भी लाभान्वित होंगे। पीएम के शिलान्‍यास के बाद अब एक-एक कर राजनीतिक दल इसके विरोध में उतर रहे हैं। पहले विरोध जताते हुए झामुमो ने जहां इसके खिलाफ नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन की अगुवाई में यात्रा निकालने की घोषणा की है, वहीं मंडल डैम पर छिड़ी राजनीतिक रार के बीच अन्‍य विपक्षी दलों ने भी मोर्चा खोल दिया है।

loksabha election banner

ठंडे बस्‍ते में डाल दिया था प्रस्‍ताव : अपने मुख्यमंत्रित्व काल में मैंने मंडल डैम के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। इसकी मूल वजह यह थी कि इस परियोजना में जहां झारखंड की 2855 वर्ग किलोमीटर जमीन जाएगी और बड़े 1600 से अधिक परिवार विस्थापित हो जाएंगे। इतना ही नहीं इस परियोजना से झारखंड की महज 17 फीसद भूमि सिंचित होगी, जबकि बिहार की 83 फीसद भूमि। यानी झारखंड को हर स्तर पर नुकसान, फिर ऐसी परियोजना के निर्माण अथवा जीर्णोद्धार का कोई मतलब नहीं रह जाता। ऐसे भी झारखंड गठन से पूर्व तथाकथित विकास के नाम पर 30 लाख एकड़ से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है, जिसकी जद में आकर लाखों लोग विस्थापित हो चुके है। इनके से हजारों परिवारों को न तो मुआवजा मिला और न ही उनका पुनर्वास हुआ। ऐसे में सरकार को इसपर विचार करना चाहिए। -बाबूलाल मरांडी, अध्यक्ष, झाविमो।

हम पक्ष में नहीं, बड़ी संख्या में होगा विस्थापन : आजसू आजसू का मानना है कि बड़ी परियोजनाओं से बड़ी संख्या में विस्थापन होता है। इसलिए पार्टी कभी बड़ी सिंचाई परियोजनाओं का पक्षधर नहीं रही है। मंडल डैम से भी विस्थापन होने की पूरी संभावना है। इस तरह की परियोजनाओं से गांव-घर उजड़ जाते हैं। झारखंड ऐसी कई परियोजनाओं में विस्थापन का गवाह रहा है। मंडल डैम के भी शिलान्यास करने से पहले सरकार को इस बात की समीक्षा करनी चाहिए थी कि यह परियोजना इतने वर्षो तक क्यों लटकी रही। कोई न कोई कारण रहा होगा, जिस कारण उस समय की सरकारें इसमें आगे नहीं बढ़ीं। इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए। डा. देवशरण भगत, प्रवक्ता, आजसू।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.