नादानों की भूल, छह माह बाद न दो तूल; जानिए क्या है जुवेनाइल जस्टिस एक्ट
Jharkhand. किसी नाबालिग के खिलाफ यदि आपराधिक मामला चल रहा हो और छह माह में मामले का निस्तारण नहीं किया गया हो तो उस मामले को हमेशा के लिए बंद करना होगा।
रांची, [मनोज कुमार सिंह]। juvenile justice act - किसी नाबालिग के खिलाफ अगर कोई आपराधिक मामला चल रहा हो और अधिकतम छह माह की अवधि के भीतर मामले का निस्तारण नहीं कर लिया गया हो, ऐसी स्थिति में उस मामले को हमेशा के लिए बंद करना होगा। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजे एक्ट) में इस तरह का प्रावधान किया गया है।
इसके बाद उस नाबालिग का कोई भी आपराधिक इतिहास रखने की बजाय नष्ट कर दिए जाने का प्रावधान है। इस प्रावधान के पीछे मंशा यह है कि नाबालिग की नई जिंदगी पर पिछले आपराधिक इतिहास का कोई प्रभाव नहीं पड़े। साथ ही उसकी पुरानी गलतियां उसकी नौकरी व तरक्की में आड़े नहीं आए।
अधिकतम तीन साल की सजा
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (जेजे एक्ट) juvenile justice act के तहत ही नाबालिग द्वारा किए गए अपराध की सुनवाई की जाती है। राज्य के सभी जिलों में इसके लिए अदालतें बनाई गई हैं। किसी भी अपराध के लिए नाबालिग को अधिकतम तीन साल की सजा दी जा सकती है। इस दौरान सुधार और देखरेख के लिए उसे संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है। जेजे एक्ट में नाबालिग के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई के लिए अवधि निर्धारित की गई है। अधिकतम छह माह में नाबालिग के खिलाफ मामले का निष्पादन नहीं होता है, तो पूरी कार्यवाही को बंद कर दिया जाता है।
बनाई जाती है सोशल रिपोर्ट
जब नाबालिग के खिलाफ मामला चल रहा होता है, उस दौरान लीगल कम प्रोबेशन ऑफिसर बच्चे के परिवार की सोशल जांच रिपोर्ट तैयार करता है। इसमें उस नाबालिग के परिवार की पूरी जानकारी ली जाती है। इसमें उसके परिवार, रिश्तेदार और माहौल के बारे में पता किया जाता है। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि अगर नाबालिग को जमानत दी जाती है, तो भावी माहौल में उसका जीवन बर्बाद न हो जाए।
2505 मामलों का हुआ निष्पादन
राज्य भर में जेजे बोर्ड में 2505 मामलों का निष्पादन किया गया है। एक जनवरी 2018 में नाबालिगों के खिलाफ 2477 मामले लंबित थे। हाई कोर्ट के जस्टिस डीएन पटेल ने इन मामलों को निष्पादित करने के लिए मार्च 2019 का लक्ष्य रखा था। राज्य के सभी जिलों में चल रहे जेजे बोर्ड ने निर्धारित अवधि में लक्ष्य को प्राप्त किया। इसमें सबसे बढिय़ा प्रदर्शन रांची जिले का रहा। यहां जिले को मिले 204 मामलों के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए 475 मामलों का निष्पादन किया गया।
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