बालाश्रय में हर छोटे बच्चे से हो रहा था अप्राकृतिक यौनाचार, FIR
Boys Assaulted. बीते साल अक्टूबर से राजधानी के हेहल स्थित बालाश्रय में रहने वाले बच्चों के साथ उनसे अधिक उम्र के बच्चे अप्राकृतिक यौनाचार कर रहे थे।
रांची, जासं। पिछले पांच माह (अक्टूबर) से राजधानी के हेहल स्थित बालाश्रय में रहने वाले हरेक छोटे बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया गया। यह कुकृत्य चारों आरोपित किशोर ही कर रहे थे। इसका खुलासा तब हुआ जब परेशान बच्चों ने विरोध किया। इसके बाद उनकी ग्रुप काउंसलिंग की गई। पंडरा ओपी में अप्राकृतिक यौनाचार व पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है।
ग्रुप काउंसलिंग में जो बातें सामने आई हैं, उसके अनुसार चारों किशोर छोटे बच्चों द्वारा विरोध करने या वार्डन को जानकारी देने की बात कहने पर उन्हें पीटते थे। आश्रम के बच्चों का कहना है कि चारों आरोपितों को आश्रम से तत्काल हटा दिया जाए अथवा जेल भेजा जाए। मामले में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। हालांकि पीड़ित बच्चों का मेडिकल अब तक नहीं हुआ है। पुलिस सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर कार्रवाई कर रही है।
कंबल के भीतर करते थे गलत काम
काउंसलिंग में बच्चों ने बताया कि रात के समय कंबल के भीतर आरोपित बच्चे बालाश्रय के बच्चों से गलत काम करते थे। सुबह प्रार्थना के बाद ऊपर कमरे में जाने पर और खाना खाने के बाद दोपहर के समय भी गलत हरकत करते थे। आरोपितों ने गलत काम के लिए कई बच्चों के पैंट की जेब फाड़ रखी थीं। चिल्लाने पर मुंह दबा देते थे। सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर दो आरोपित भेजे गए घर सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर अप्राकृतिक यौनाचार करने वाले दो बच्चों को घर भेज दिया गया है।
सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष के अनुसार आरोपितों को घर भेजने के पीछे तर्क है कि घर में उनकी इस प्रवृत्ति में सुधार हो सके। जुवेनाइल एक्ट में सजा देना नहीं, बल्कि सुधार जरूरी है। अन्य दो बच्चों के घर की भी तलाश जारी है। हालांकि पुलिस अपनी जांच के बाद सीडब्ल्यूसी से सहमति लेकर आरोपितों को बाल सुधार गृह भेज सकती है। 10 से 18 की उम्र वाले बच्चों का है आश्रम
बालाश्रय में 10 से 18 की उम्र वाले बच्चों को रखा जाता है। ऐसे बच्चों को यहां रखने का प्रावधान है जिन्हें सुरक्षा की और जरूरत हो। सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर बच्चों को रखा जाता है। यह झारखंड महिला सामाख्या सोसाइटी की ओर से संचालित किया जा रहा है।
रांची में ये हैं शेल्टर होम : जुवेनाइल एक्ट से रजिस्टर्ड संस्थाओं में प्रेमाश्रय, बालाश्रय, सहयोग विलेज, करुणा आश्रम, आंचल शिशु आश्रम व आशा होम संचालित हैं। करुणा आश्रम, आंचल शिशु आश्रम व सहयोग विलेज में दस वर्ष से कम उम्र के बच्चे रखे जाते हैं। जबकि प्रेमाश्रय में नाबालिग लड़कियों को रखा जाता है।
मामला संवेदनशील है। अप्राकृतिक यौनाचार से पीड़ित और दोषी सभी बच्चे जुवेनाइल हैं। ऐसे में सजा देने से बेहतर उनकी प्रवृत्ति को सुधारना अहम है। इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है। -रूपा कुमारी, अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी रांची।
आरोपित बच्चों को सीडब्ल्यूसी के निर्देशानुसार जुवेनाइल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। जुवेनाइल एक्ट को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई होगी। -अजीत कुमार विमल, डीएसपी कोतवाली।