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अगले जनम मुझे बिटिया ही दीजो... मिलिए हॉकी की इन चैंपियन बेटियों से

Junior National Hockey Championship. विजेता टीम की सदस्‍य नीतू की सफलता पर मां दुलारी ने कहा, मेरे सपने को नीतू ने उड़ान दी है। उसके पिता रांची में एक छोटा सा होटल चलाते हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 11:14 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 11:14 AM (IST)
अगले जनम मुझे बिटिया ही दीजो... मिलिए हॉकी की इन चैंपियन बेटियों से
अगले जनम मुझे बिटिया ही दीजो... मिलिए हॉकी की इन चैंपियन बेटियों से

रांची, जासं। जूनियर हॉकी नेशनल चैंपियनशिप जीतकर चैंपियन बेटियां रांची पहुंच गई हैं। बुधवार को रांची स्‍टेशन पहुंचने पर उनका भव्‍य स्‍वागत हुआ। जूनियर हॉकी नेशनल चैंपियनशिप की विजेता झारखंड टीम की खिलाड़ी नीतू कुमारी की मां दुलारी महतो अपनी बेटी की सफलता पर इतरा रही है। भगवान अगले जनम में भी मुझे बेटी ही देना। बेटियां सपने साकार करती हैं। नीतू ने मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। बेटी चैंपियन हो गई है। नीतू रांची के दसमाइल चौक पर ही रहती है, टीम की अपनी साथी अंजलि के घर से कुछ दूर। संयोग ऐसा कि अंजलि की ही तरह नीतू के पिता कमल महतो भी दसमाइल चौक पर होटल ही चलाते हैं।

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खुद राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही हैं दुलारी महतो
बेटी की सफलता पर कैसा लग रहा है यह सवाल पूछते ही उनकी आंख डबडबा गई। कहा, जो काम मैंने नहीं किया उसे बेटी ने पूरा किया। दुलारी ने भी नेशनल चैंपियनशिप जीतने व देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था। लेकिन वह पूरा नहीं हो सका। खेल छोडऩे के बाद एक प्रशिक्षक की भूमिका निभाने वाली दुलारी ने अपना सपना बेटी में जिया। आर्थिक तंगी से निपटने के लिए पति के होटल में हाथ बंटाने के बाद वह अपनी बेटी को लेकर मैदान चली जाती और उसे कड़ा अभ्यास कराती। आर्थिक तंगी के बावजूद मां अपनी बेटी के लिए हॉकी स्टिक लाना नहीं भूलती।

शुरू में पति ने इसका विरोध भी किया, लेकिन दुलारी कहां मानने वाली थी उसे था अपना सपना पूरा करने का जुनून। पास पड़ोस वालों ने भी शुरू में ताने कसे लेकिन दुलारी ने किसी की बात नहीं मानी और बेटी के साथ मैदान में डटी रही। बेटी नीतू ने भी मां का साथ दिया और तपती धूप में भी घंटों अभ्यास करती रही। आज परिणाम सामने है।

आज हरदाग गांव में लोग अपनी बेटी को भी हॉकी खिलाड़ी बनाना चाहते हैं। दुलारी ने बताया कि जब बेटी चैंपियन बनी तो पति ने मुझे सराहा और कहा कि तुम्हारी जिद व जुनून ने बेटी को बड़ी पहचान दी है। हालांकि नीतू के लिए यह रास्ता आसान नहीं था। बरियातू हॉकी सेंटर में चयनित होने व प्लस टू की पढ़ाई करने के बाद उसे सेंटर छोडऩे का फरमान सुनाया गया।

नीतू समझ नहीं पा रही थी अब आगे क्या होगा, क्योंकि सेंटर से निकलने के बाद प्रदेश में खिलाडिय़ों के लिए कोई सेंटर नहीं है। दुलारी ने दैनिक जागरण का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उस समय अगर साथ नहीं मिला होता तो नीतू की हॉकी भी समाप्त हो जाती। नीतू की वापसी सेंटर में हुई। पिछले सितंबर में नीतू को अभ्यास के दौरान चेहरे पर गंभीर चोट आई थी लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कुछ दिन आराम करने के बाद फिर खेलना शुरू किया। इस साल जनवरी में खेलो इंडिया यूथ गेम्स से उसकी वापसी हुई और आज वह चैंपियन बेटी है।


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