जेपीएससी के विज्ञापन में उम्र सीमा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने जेपीएससी के विज्ञापन से संबंधित मामले को खारिज कर दिया।
रांची, राज्य ब्यूरो। हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने जेपीएससी द्वारा आयोजित द्वितीय व तृतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग प्रतियोगिता परीक्षा 2010 को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद विज्ञापन के शतरें के अनुसार तय उम्र सीमा अधिक हो जाने के कारण याचिका को खारिज कर दिया। इस संबंध में संत्रनाथ झा की ओर से याचिका दाखिल की गई थी।
सुनवाई के दौरान जेपीएससी के अधिवक्ता संजय कुमार पिपरवाल ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने वर्ष 2010 में संयुक्त रूप से द्वितीय व तृतीय परीक्षा के तहत उप समाहर्ता की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था। विज्ञापन में द्वितीय परीक्षा के लिए एक अगस्त 2007 से उम्र सीमा निर्धारित की गई थी।
वहीं, तृतीय परीक्षा में 1 अगस्त 2008 उम्र सीमा रखी गई। याचिकाकर्ता की उम्र को देखते हुए उन्हें द्वितीय परीक्षा के योग्य माना गया। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि द्वितीय और तृतीय परीक्षा संयुक्त रूप से ली गई तो उम्र सीमा के लिए कट ऑफ डेट एक ही निर्धारित करनी चाहिए। जेपीएससी की ओर से इसका विरोध किया गया। इसके बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।
हॉकी झारखंड मामले में पीर मोहम्मद की अपील खारिज
रांची । झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस दीपक रौशन की अदालत ने हॉकी झारखंड के पूर्व महासचिव पीर मोहम्मद की अपील याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा।
दरअसल एकलपीठ ने पीर मोहम्मद की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह संस्था के चुनाव का मामला है। इसमें दाखिल रिट (याचिका) सुनवाई योग्य नहीं है। इसके खिलाफ पीर मोहम्मद ने खंडपीठ में अपील याचिका दाखिल की थी।
यह है मामला
दरअसल राज्य में हॉकी के विकास लिए हॉकी झारखंड नामक संस्था का गठन किया गया है। पीर मोहम्मद को इस संस्था का महासचिव बनाया गया। लेकिन बाद में उन्हें हटाकर हॉकी इंडिया ने इस संस्था की संचालन समिति में सुदेश महतो, एसएस हाशमी, सावित्री पूर्ति और सुरेश कुमार को शामिल कर लिया। पीर मोहम्मद ने इसके गठन और इसमें शामिल किए पदाधिकारियों पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद एकलपीठ ने चार जनवरी 2016 को पीर मोहम्मद की याचिका खारिज कर दी थी।
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