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लाकडाउन में गई नौकरी तो खोला क्लाउड किचन, अब मोमो लवर्स के बीच बन चुके ब्रांड

यह कहानी है एक ऐसे व्‍यक्‍त‍ि की ज‍िनकी नौकरी लाकडाउन के कारण छूट गई। उन्‍होंने ह‍िम्‍मत से काम ल‍िया। पत्‍नी के साथ म‍िलकर क्‍लाउड क‍िचन की शुरुआत की। अब उनकी कंपनी रांची शहर में मोमो लवर्स के बीच एक शानदार ब्रांड बन चुकी है। आइए पढ़ते हैं उनकी प्रेरक कहानी-

By M EkhlaqueEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 05:47 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 05:41 AM (IST)
लाकडाउन में गई नौकरी तो खोला क्लाउड किचन, अब मोमो लवर्स के बीच बन चुके ब्रांड
रांची ज‍िले के हट‍िया के रहने वाले बिनीत प्रधान अपनी पत्‍नी सुनीता प्रधान के साथ। जागरण

रांची (श्रद्धा छेत्री)। पिता रिटायर हो चुके थे। घर में इकलौता बेटा था, दो बहन की भी ज‍िम्‍मेदारी कंधे पर थी। परिवार से दूर रहकर छत्‍तीसगढ़ के रायपुर शहर में कास्‍टमेट‍िक कंपनी में नौकरी करता था। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के दौरान अपने घर झारखंड आ गया। इस बीच नौकरी भी हाथ से चली गई। कई जगह नौकरी की तलाश की, लेक‍िन हर तरफ निराशा ही हाथ लगी। मैं अंदर से काफी टूट चुका था। कहीं से कोई आशा की क‍िरण नजर नहीं आ रही थी। लेकिन इस कठ‍िन समय में भी मेरी पत्नी ने कभी हिम्मत नहीं हारी। नतीजतन आज हम दोनों इस मुकाम में पहुंच गए हैं। यह कहना है झारखंड की राजधानी रांची के हटिया निवासी बिनीत प्रधान का। रांची में आज पत‍ि पत्‍नी मोमो लवर्स के बीच काफी प्रसिद्ध हैं।

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कोरोना से गई नौकरी तो मोमो से जला चूल्हा

बिनीत बताते हैं क‍ि कोरोना काल के दौरान उनकी नौकरी चली गई। कई जगह उन्‍होंने नौकरी की तलाश की, लेक‍िन कहीं नौकरी नहीं म‍िली। घर-पर‍िवार चलाना मु‍श्‍किल हो गया। बहरहाल, मुझे मोमोज खाना काफी पसंद है, पर रांची में अब तक जहां भी खाया, कभी संतुष्टि नहीं हुई। शहर में क्लाउड किचन दौर अभी-अभी शुरू ही हुआ था। मैंने भी सोचा, क्यों नहींं क्लाउड किचन के जर‍िए ही मोमोज बेचूं। इससे लोगों को स्वादिष्ट मोमोज खाने को मिलेगा और खुद को रोजगार भी। मेरी पत्नी ने भी इस फैसले में मेरा साथ दिया। फिर हम दोनों ने 'हंगर डेस्टिनेशन' नाम से क्लाउड किचन खोला। जोमैटो में रजिस्टर करा लिया। शुरुआत में कस्टमर्स का ध्यान आकर्षित करने में समय तो लगा, लेकिन समय बीतने के साथ, आर्डर आने लगे। पहले जहां एक दिन में मुश्किल से दो या तीन आर्डर आते थे, आज हर द‍िन 25 से 30 आर्डर आ जाते हैं।

कहीं और नौकरी करने की ज़रूरत नहीं

बिनीत कहते हैं क‍ि मैं और मेरी पत्नी सुनीता मिलकर मोमो बनाते हैं। इससे इतनी अच्छी कमाई हो जाती है। अब कहीं और नौकरी करने की जरूरत महससू नहीं होती है। महीने में कम से कम 50 हजार रुपये की कमाई आसानी से हो जाती है। उनकी कंपनी को रेटिंग्स भी काफी अच्छे मिल रहे हैं। अपनी एक अलग पहचान भी बन रही है। लोग अब 'हंगर डेस्टिनेशन' को अच्‍छी तरह से पहचान रहे हैं।

न दुकान का किराया, न टैक्स का झंझट

बिनीत प्रधान की पत्नी सुनीता ने बताया कि इस काम में कोई अलग से खर्चा नहीं है। ना दुकान के किराए की चिंता है, और ना ही स्टाफ रखने की। सबकुछ आसानी से हैंडल हो जाता है। हालांकि, अब हम मोमो के अलावा और भी फास्‍ट फूड को अपने मेन्यू में जल्द शामिल करने वाले हैं।

मल्टीप्ल आउटलेट्स खोलने की प्लानिंग

बिनीत प्रधान बताते हैं क‍ि मार्केट में इतना अच्छा रिस्पांस मिल रहा है कि अब उन्‍होंने मल्टीपल आउटलेट्स खोने की तैयारी शुरू कर दी है। अभी राजधानी रांची में ही इसे व‍िस्‍तार देंगे। इसके बाद आगे चलकर एक रेस्टोरेंट खोलने की योजना है। वह गर्व से कहते हैं- अगर मैं हिम्मत हार कर बैठा जाता तो शायद इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता। कोरोना काल में मैंने अपने हुनर को पहचाना और आज उसी हुनर ने मुझे नई पहचान दिलाई है।


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