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गुरुजी की बगिया है आर्गेनिक, जैविक खाद से रखते हैं हरा-भरा

Jharkhand. खेती-बागवानी में गहरी रूचि है झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन की। जैविक खाद का करते हैैं इस्तेमाल अपनी देखरेख में कराते हैैं बागवानी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 09:38 AM (IST)
गुरुजी की बगिया है आर्गेनिक, जैविक खाद से रखते हैं हरा-भरा
गुरुजी की बगिया है आर्गेनिक, जैविक खाद से रखते हैं हरा-भरा

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में उन्हें लोग गुरुजी कहकर यूं ही नहीं संबोधित करते। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन राजनीति से ज्यादा समाज के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों से दो-दो हाथ करते रहे हैैं। उनकी राजनीति की शुरूआत भी महाजनी प्रथा का विरोध और शराबबंदी सरीखे सामाजिक मुद्दों को लेकर हुई। अपने राजनीतिक भाषणों में भी वे खेती-किसानी की बात करना नहीं भूलते।

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प्रकृति से जुड़े विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है। तभी तो राजनीतिक व्यस्तता और उम्र बढऩे के बावजूद वे अपने खेत और बाग को एक पल निहारने का मौका कभी नहीं छोड़ते। उनकी सुबह की शुरूआत ही खेती-बागवानी से होती है। राजधानी के रिहायशी इलाके में उनका बंगला हमेशा हरा-भरा रहता है तो इसके पीछे उनकी सकारात्मक सोच है।

गुरुजी खेती-बागवानी में जैविक खाद के प्रयोग की भी वकालत करते हैैं और खुद इसे शत-प्रतिशत सुनिश्चित करते हैैं। वे कहते हैैं-धरती हमें सब कुछ देती है तो हमें भी इसका ख्याल रखना चाहिए। धरती माता के समान है। ज्यादा खाद का इस्तेमाल इसे खोखला कर रहा है। यह बीमारियों का भी जड़ है। लालच में हम खेतों में ज्यादा खाद का भी इस्तेमाल करते हैैं। ऐसा करना गलत है। यह धरती का गला घोटने जैसा है।

धरती को हम वह नहीं दे रहे हैैं जो उसे चाहिए। हम जहर दे रहे हैैं धरती को, तब अमृत कहां से मिलेगा। जैविक खाद का इस्तेमाल बहुत अच्छा है। इसे बढ़ावा देना चाहिए। हम लोगों से भी कहते हैैं कि खेतीबारी करो, इसी में भलाई है। अब सबको नौकरी कहां से मिलेगी, अपना रोजगार भी करो और धरती की भी सेवा करो।

जैविक खाद का इस्तेमाल आसान भी है। इसे ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। झारखंड का भविष्य इसी से बेहतर होगा। इससे खेती के लिए जरूरी कीड़े और जीव भी सुरक्षित रहेंगे, जो खाद, यूरिया के ज्यादा इस्तेमाल से खराब हो रहे हैैं।

तरह-तरह के फूल, फल और सब्जियां हैैं बाग में

शिबू सोरेन सरकारी बंगले की खेती-बागवानी की देखरेख स्वयं करते हैैं। कुछ सहयोगी उन्होंने रखे हैैं जो देखभाल में मदद करते हैैं। आम का बगीचा भी इसमें शुमार है तो रंग-बिरंगे फूल भी। हरी सब्जी भी यहां अभी लगी है। मौसम के हिसाब से सब्जियां उगाई जाती हैं। रासायनिक खाद का उपयोग इन उत्पादों के लिए नहीं किया जाता। इसके लिए जैविक खाद का इस्तेमाल होता है।

ऐसा करने का फायदा भी मिलता है। हानिकारक कीट फसल और बागवानी को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते और उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। यहां कार्यरत लोग बताते हैैं कि जैविक खाद के इस्तेमाल से पैदा किए गए सब्जी और फल भी जल्दी खराब नहीं होते हैैं। उनकी क्वालिटी रासायनिक खाद के प्रयोग से की गई खेती से काफी बेहतर होती है।

गोबर का भी होता है इस्तेमाल

परिसर में की जा रही बागवानी में गोबर खाद का भी इस्तेमाल होता है। इससे वातावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। परिसर में ही इसे बनाया जाता है और उनका पेड़-पौधे पर इस्तेमाल किया जाता है। गुरुजी कहते हैैं, जितना धरती की देखभाल करेंगे, उतना ही धरती हमारा ख्याल रखेगी।

अन्न के बगैर जीवन संभव नहीं है और स्वास्थ्य के अनुकूल इसके उत्पादन समय की मांग है। प्रकृति के साथ ज्यादा प्रयोग से हमें परहेज करना चाहिए। आज ज्यादातर परेशानी इसी वजह से आ रही है। मनुष्य धड़ल्ले से केमिकल का इस्तेमाल कर रहा है और बीमार पड़ रहा है। अगर बेहतर जीवन की चाहत है तो रासायनिक खाद से दूरी बनानी होगी। यह जहर के समान है।


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