झामुमो का चुनावी शंखनाद, रांची में निकाला आक्रोश मार्च
Jharkhand. राज्य सरकार को घेरने के लिए झामुमो ने सोमवार को राजधानी रांची में युवा आक्रोश मार्च निकाला। इसका नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने किया।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में विधानसभा चुनाव को देखते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सोमवार को वादों की जोरदार झड़ी लगाई। झामुमो के युवा आक्रोश मार्च में कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने भाजपा को सीधे ललकारते हुए कहा कि उसका राजनीतिक सेंदरा करेंगे। वहीं वोटरों को आकर्षित करने के लिए आरक्षण का चारा फेंका। हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य की सरकारी व प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देंगे।
इसके अलावा सरकारी ठेका में 25 करोड़ तक का काम आदिवासियों-मूलवासियों को देंगे। वे पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण के पक्षधर हैं। हेमंत ने मार्च में जुटे लोगों में जोश भरते हुए कहा कि इसके लिए हमें राजनीतिक लड़ाई जीतनी होगी ताकि राज्य में आदिवासी-मूलवासी की सरकार बन सके। हमने लड़कर झारखंड लिया है। अब लड़कर हमें अपना हक भी लेना है। यदि अपना अधिकार चाहिए तो जैसे राज्य लेने के लिए लड़ाई लड़ी थी ठीक वैसे ही लडऩा होगा।
राजभवन के करीब हुई सभा से पूर्व पार्टी के कार्यकर्ता रांची कॉलेज ग्राउंड में जमा हुए। वहां से निकलकर डीसी आवास, रेडियम रोड, बिहार क्लब, रांची यूनिवर्सिटी से वापस कचहरी चौक होते हुए राजभवन पहुंचे। मार्च का नेतृत्व विनोद पांडेय, सुप्रियो भट्टाचार्य, महुआ माजी, अंतु तिर्की, मुस्ताक आलम और हेमलाल मेहता आदि नेता कर रहे थे।
जमीन लूट रही रघुवर सरकार
हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य की रघुवर सरकार झारखंडियों के सपने चूर कर रही है। सरकार जमीन की लूट में व्यस्त है। यह सरकार इस राज्य के लिए संकट बनकर आई है। ऐसी स्थानीय नीति बनाई जिससे राज्य के लोगों को कम और बाहर के लोगों को ज्यादा नौकरी मिलने लगी। यहां के युवा बाहर जाकर भटकने लगे। तंग आकर युवक आत्महत्या करने तक मजबूर हो गए। सवाल खड़ा किया कि इसी के लिए अलग राज्य बना था कि बाहरियों को नौकरी मिलेगी और यहां के युवा आत्महत्या करेंगे।
खैरात बांट रही सरकार
हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार लोगों को तीन-चार हजार रुपये की खैरात बांट रही है। क्या इसी खैरात के लिए सरकार को गद्दी पर बैठाया गया था। हमें खैरात और सत्ता की नहीं बल्कि अपने अधिकार की लड़ाई लडऩी है। यदि चूक गये तो अलग राज्य की लड़ाई में शहीद हुए लोगों की कुर्बानी व्यर्थ चली जाएगी। सरकार कह रही है कि तीन मेडिकल कॉलेज चालू हो गए हैं लेकिन इनमें एक भी डॉक्टर, प्रोफेसर नहीं हैं। यदि मरीज लेकर जाएंगे तो वह लाश बनकर आएगा।
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