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Jharkhand Election 2019: महासमर के लिए सेनाएं तैयार, भाजपा-आजसू के सामने झामुमो-कांग्रेस की चुनौती

Jharkhand Assembly Election 2019. झाविमो की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है। वामदलों व राजद को यूपीए फोल्डर में रखने की कवायद होगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 02:21 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 02:21 PM (IST)
Jharkhand Election 2019: महासमर के लिए सेनाएं तैयार, भाजपा-आजसू के सामने झामुमो-कांग्रेस की चुनौती
Jharkhand Election 2019: महासमर के लिए सेनाएं तैयार, भाजपा-आजसू के सामने झामुमो-कांग्रेस की चुनौती

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में महासमर का एलान हो चुका है। सेनाएं रणक्षेत्र में कूच को तैयार है। राज्य विधानसभा के महामुकाबले की तस्वीर भी मोटे तौर पर साफ है। फौरी तौर पर दिख रही जिच के बावजूद मुकाबला भाजपा-आजसू गठबंधन बनाम झामुमो-कांग्रेस में ही होगा। राजद का यूपीए फोल्डर में रहना तय है। मौजूदा वक्त मेें वामदल भी इसी पाले में रहना पसंद करेंगे। हां, झाविमो अब तक यूपीए के किसी खांचे में फिट होता नहीं दिखाई दे रहा है।

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झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी के तेवर भी गठबंधन को लेकर तीखे बने हुए हैं, ऐसे में कोई सुलह का रास्ता निकलेगा, फिलहाल इसकी संभवना कम ही दिख रही है। झारखंड में दोनों ही ओर से गठबंधन ही आमने-सामने टकराएंगे। लेकिन गठबंधन की गांठों का सुलझाना अभी बाकी है। पहली लड़ाई तो राजनीतिक दलों को आपस में सीटों के तालमेल को लेकर लडऩी होगी, महामुकाबला तो इसके बाद शुरू होगा।

सीटों को लेकर राजग में भी रार

भाजपा-आजसू में बड़े भाई और छोटे भाई का रिश्ता है, लेकिन इस बार सीटों के तालमेल को लेकर इनके रिश्तों में तनिक तल्खी दिखाई दे रही है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महज आठ सीटों में आजसू को निपटा दिया था, जिसमें से उसने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में एक सीट गंवाने के बाद मौजूदा विधानसभा में उसके विधायकों की संख्या चार है।

इस बार आजसू ने चुनाव से पूर्व 20 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है। हालांकि इस दावे को भाजपा का प्रदेश नेतृत्व नकार चुका है और पिछले चुनाव के अनुरूप ही उसे सीटें देने की बात कही है। भाजपा और आजसू के बीच सीटों के तालमेल की गुत्थी दिल्ली में ही सुलझने के आसार है। माना जा रहा है कि दोनों के बीच एक दर्जन सीटों पर सहमति बन सकती है।

यूपीए फोल्डर में भी काम नहीं कांटे

विपक्ष को इस बात का बखूबी ज्ञान है कि अगर वह अलग-अलग चुनाव में गए तो सत्ता के करीब भी नहीं पहुंच सकेंगे। बावजूद इसके दलों में प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर आखिरी वक्त तक चल रहा है। मोटे तौर पर जो फार्मूला तय हुआ है उसके तहत आधी सीटें झामुमो के पाले में जा रही हैं, बाकी में बंटवारा होगा।

हरियाणा और महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति का एहसास करा चुकी कांग्रेस इस फार्मूले से कुछ खास सहमत नहीं है, लेकिन समय की नजाकत को भांपकर फिलहाल चुप है। वहीं, राजद व वामदल सिर्फ पांच-पांच सीटों पर मान जाएंगे ऐसा मुश्किल ही दिखाई देता है। झाविमो को फोल्डर से बाहर रखने के नफे और नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है।


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