नौकरी के लिए ताकते रह जाते हैं झारखंड के युवा, नियमों में पेंच से रद हो जाती है नियुक्ति; जानें...
Job in Jharkhand News बहाली को जेपीएससी तैयार है लेकिन नियमावलियों में पेंच फंस रहा है। त्रुटि होने के कारण अनुशंसा लौटानी पड़ती है। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही नियमावली बदल जाती है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला में विज्ञानियों की नियुक्ति आठ दिनों में ही रद हो गई।
रांची, राज्य ब्यूरो। Job in Jharkhand News झारखंड लोक सेवा आयोग राजपत्रित पदों पर नियुक्ति के लिए तैयार है, लेकिन इसमें संबंधित विभागों द्वारा तैयार नियमावलियां ही नियुक्ति की राह में आ खड़ी हो रही हैं। नियमावलियां दुरुस्त नहीं होने के कारण बहालियों में देरी हो रही है। कई बार नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही नई नियुक्ति नियमावली बन जाती है। ताजा मामले में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को आठ दिनों में ही नियुक्ति प्रक्रिया रद करनी पड़ी। आयोग ने राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में 49 विज्ञानियों/सहायक निदेशकों की नियुक्ति के लिए एक मार्च को विज्ञापन जारी करते हुए आवेदन मंगाने शुरू किए।
नौ मार्च को यह परीक्षा रद करनी पड़ी। आयोग ने इसके पीछे अपरिहार्य कारण बताया है, लेकिन बताया जाता है कि नियमावली में कुछ पेंच होने के कारण गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अनुरोध पर ऐसा किया गया। इसी तरह का मामला पथ निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग में सहायक अभियंताओं की नियुक्ति में सामने आया है। दोनों विभागों की अनुशंसा पर जेपीएससी ने वर्ष 2015 में ही कुल 33 पदों (पथ निर्माण विभाग-29, जल संसाधन विभाग-04) पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित करते हुए आवेदन मंगा लिए थे।
इसके बाद वर्ष 2016 में नई नियमावली झारखंड अभियंत्रण सेवा नियुक्ति नियमावली गठित हो गई तथा पथ निर्माण विभाग ने इसी नियमावली के प्रविधानों के तहत ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का अनुरोध जेपीएससी से किया। इस आलोक में आयोग ने पथ निर्माण विभाग को पूर्व में भेजी गई अनुशंसा वापस लेकर नई नियमावली के प्रविधानों के तहत फिर से अनुशंसा भेजने को कहा। बताया जाता है कि पथ निर्माण विभाग से आयोग को अभी तक नए सिरे से अनुशंसा ही नहीं मिली है।
प्रधानाध्यापकों के 668 पदों पर नियुक्ति में नियमावली ही बनी बाधक
राज्य के अपग्रेडेड हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के 668 पदों पर नियुक्ति में नियमावली ही बाधक बनी था। इन पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाने के दो साल बाद आयोग को नियुक्ति प्रक्रिया रद करनी पड़ी। इसके बाद यह नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक नए सिरे से शुरू नहीं हो सकी है। दूसरी तरफ, स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के पद रिक्त हैं। वहां प्रभार से काम चलाया जा रहा है।