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Jharkhand Weather Update: झारखंड में अगले एक सप्‍ताह तक गरज व वज्रपात के साथ होगी बारिश

Jharkhand Weather Update 15 दिनों से राज्य में मानसून कमजोर है। 13 प्रतिशत कम बारिश हुई है। कम बारिश से किसान परेशान हैं। धान की खेती प्रभावित हो रही है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 10:31 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 10:35 AM (IST)
Jharkhand Weather Update: झारखंड में अगले एक सप्‍ताह तक गरज व वज्रपात के साथ होगी बारिश
Jharkhand Weather Update: झारखंड में अगले एक सप्‍ताह तक गरज व वज्रपात के साथ होगी बारिश

रांची, जासं। पिछले 15 दिनों से झारखंड में मानसून की स्थिति कमजोर बनी हुई है। इससे राज्य में औसत बारिश में 13 प्रतिशत कमी आई है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ एसडी कोटाल ने बताया कि आने वाले एक सप्ताह तक राज्य में मानसून की स्थिति कमजोर रहने की संभावन है। मगर गर्जन और वज्रपात के साथ कुछ इलाकों में बेहतर बारिश हो सकती है। बंगाल की खाड़ी में आंध्र प्रदेश के तट के पास एक कम दबाव का चक्रवातीय क्षेत्र बन रहा है। इसके धीरे-धीरे और बड़ा होने की संभावना है।

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इस चक्रवात का आंशिक असर राज्य के निचले हिस्सों में हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार सोमवार को भी राज्य में मानसून की स्थिति कमजोर रहेगी। राज्य के कुछ हिस्सों में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है। रांची में भी दिन में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। इसके साथ ही दिन में एक से दो बार गर्जन के साथ बारिश होने की संभावना है। अगले दो से तीन दिनों तक तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार 1 जून से 13 सितंबर तक 937 मिमी औसत बारिश होनी चाहिए थी, जबकि मात्र 812 मिमी बारिश ही रिकॉर्ड की गई है। राज्य में दस जिले ऐसे हैं जहां 20 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। इसमें सबसे बुरी हालत गुमला, देवघर और चतरा की है। गुमला में 50, देवघर में 43 और चतरा में 30 प्रतिशत कम बारिश हुई है।

इसके अलावा बोकारो में 25, गढ़वा और गोड्डा में 21, खूंटी में 26, पाकुड़ में 27, साहिबगंज में 24, सरायकेला-खरसावां में 28 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। इन इलाकों में बारिश की कमी से खेतों में लगी फसलें भी खराब हो रही हैं। कम बारिश से राज्य का मुख्य फसल धान की उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका है। इसके साथ ही सब्जियों की फसल को काफी नुकसान हो रहा है। किसान पानी की कमी के कारण परेशान हैं। हालांकि कुछ इलाकों में चेक डैम, डोभा और बोरिंग से खेतों में पटवन कर रहे हैं।


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