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Jharkhand: कम उत्‍पादन से बढ़ी आलू की कीमत, बरसाती आलू की उपज से पूरी होगी कमी

Vegetables Potato News बरसाती आलू के उत्‍पादन से किसानों को भी बेहतर आय का मौका मिल रहा है। बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय इस उपज को बढ़ावा दे रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 01:38 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 05:09 PM (IST)
Jharkhand: कम उत्‍पादन से बढ़ी आलू की कीमत, बरसाती आलू की उपज से पूरी होगी कमी
Jharkhand: कम उत्‍पादन से बढ़ी आलू की कीमत, बरसाती आलू की उपज से पूरी होगी कमी

रांची, [मधुरेश]। झारखंड में आलू के दाम में लगातार तेजी जारी है। आमतौर पर 15-16 रुपये किलो बिकने वाले आलू की कीमत 34-36 रुपये किलो है। इसका मुख्य कारण राज्य में आलू का कम उत्पादन होना है। बिरसा कृषि विवि के डीन कृषि डॉ एमएस यादव बताते हैं कि राज्य में आलू की सालाना खपत करीब 30 लाख टन है, जबकि पैदावार महज 9 लाख टन ही है। ऐसे में राज्य को आलू की आपूर्ति के लिए पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल पर निर्भर रहना पड़ता है।

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ऑफ सीजन में राज्य में आलू की भारी कमी हो जाती है। ऐसे में विवि के द्वारा किसानों को बरसाती आलू की खेती के लिए प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। इसके तहत किसानों को केवीके और राज्य कृषि विभाग के माध्यम से जानकारी दी जा रही है। वर्तमान में रांची एवं हजारीबाग जिले के करीब 5 हजार हेक्टेयर भूमि में खरीफ मौसम में बरसाती आलू की खेती की जाती है। इससे किसानों की बेहतर आय हो रही है। मगर राज्य के अन्य जिलों में भी इसकी बेहतर संभावना है। आलू की कमी को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है।

पहले केवल बेड़ों में होती थी बरसाती आलू की खेती

डॉ एमएस यादव ने बताया कि देश में बरसाती आलू की खेती सबसे पहले केवल रांची जिले के बेड़ो इलाके में ही होती थी। वर्तमान में इस इलाके के हजारों किसान आलू की खेती से जुड़े हैं। आलू उत्पादन के मामले में बेड़ो झारखंड का सबसे बड़ा आलू उत्पादन क्षेत्र तथा आलू की मंडी के रूप में प्रसिद्ध है। बेड़ो में आलू का उत्पादन सितंबर माह के पहले सप्ताह से प्रारंभ हो जाता है।

इसकी उपज मिलने पर झारखंड में आलू की किल्लत कुछ हद तक दूर होती है। मगर अब पूरे राज्य में बरसाती आलू की खेती को बढ़ावा देकर राज्य में आलू की कमी को दूर करने की कोशिश की जा रही है। अगर किसान मेहनत के साथ कोशिश करें तो अगले तीन से पांच वर्षों में झारखंड आलू निर्यातक राज्य के रूप में स्थापित हो सकता है।

जुलाई से सितंबर तक में करे बोआई

राज्य में बरसाती आलू की खेती की काफी संभावना है। बरसात का मौसम शुरू होते ही पहाड़ी क्षेत्रों का तापक्रम कम होने लगता है। इस क्षेत्र का पूरा वातावरण आलू की खेती के लिए अनुकूल हो जाता है। इन क्षेत्रों में मध्य जुलाई से सितंबर के प्रथम सप्ताह तक आलू की बोआई की जा सकती है। बरसाती आलू की खेती के लिए अच्छी निकास वाली बलूई दोमट मिट्टी तथा ऊंचा एवं ढालूआ खेत का चयन करना चाहिए। खेतों में जल निकास का उपयुक्त इंतजाम किया जाना जरूरी होता है।

अगस्त माह तक कुफरी कुबेर (ओएन-2236), कुफरी पुखराज या कुफरी अशोका किस्म तथा सितंबर मध्य तक कुफरी अशोका, कुफरी लालिमा, कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी बहार, कुफरी जवाहर या अल्टीमस किस्म का चयन किया जा सकता है। डॉ एमएस यादव ने बताया किइसके लिए सरकार को कुछ मूलभूत सुविधाओं के विकास की ओर ध्‍यान देने की जरूरत है। इसमें किसानों के लिए सस्ते बीज और कोल्ड स्टोरेज की उपलब्धता जरूरी है।


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