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Jharkhand Sthaniya Niti: 1932 का खतियान लागू करना आसन नहीं, सहमति के लिए सर्वदलीय बैठक की तैयारी

Jharkhand Sthaniya Niti कैबिनेट में भले 1932 खतियान को मंजूरी मिल गई है हेमंत सोरेन के लिए लागू करना काफी मुश्किल है। सहयोगी दलों को साधना और विरोधी दलों को सहमत कराना बेहद चुनौती भरा है। माना जा रहा कि सरकार सर्वदलीय बैठक बुला सकती है।

By Pradeep singhEdited By: M EkhlaquePublished: Sun, 25 Sep 2022 07:43 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 07:44 PM (IST)
Jharkhand Sthaniya Niti: 1932 का खतियान लागू करना आसन नहीं, सहमति के लिए सर्वदलीय बैठक की तैयारी
Jharkhand Sthaniya Niti: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सर्वदलीय बैठक की तैयारी में।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Sthaniya Niti झारखंड में 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को लेकर हेमंत सोरेन सरकार जल्द ही प्रक्रिया तेज करेगी। राज्य मंत्रिपरिषद में इस संबंध में सैद्धांतिक निर्णय हो चुका है। इससे संबंधित विधेयक झारखंड विधानसभा में पेश होगा। विधायी औपचारिकता पूरी करने के बाद इसे राज्यपाल रमेश बैस के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। इन प्रक्रियाओं के पहले राज्य सरकार सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लेने की कोशिश कर सकती है। इसके तहत सर्वदलीय बैठक बुलाया जा सकता है, जिसमें सभी दलों के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

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रघुवर दास ने भी की थी सर्वदलीय बैठक की पहल

अहम मुद्दे पर आम सहमति बनाने की प्रक्रिया पहले भी होती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जब अपने शासनकाल में नीति का निर्धारण किया था तो उन्होंने निर्णय लेने के पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। बैठक में सभी राजनीतिक दलों के सुझाव आए थे। 1985 से पूर्व राज्य में रहने वालों को इस दायरे में लिया गया था। फिलहाल राज्य में यही नीति प्रभावी है। इसी आधार पर यह संभावना जताई जा रही है कि वर्तमान सरकार भी सभी दलों से सुझाव लेने के लिए संयुक्त बैठक बुला सकती है।

हेमंत सरकार ने घटक दलों को लिया विश्वास में

1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति बनाने का जब निर्णय राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में हुआ तो कई स्तर पर सुझाव और आपत्तियां आने लगीं। सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस के नेताओं ने भी खुलकर आपत्तियां जताई। कोल्हान प्रमंडल में 1964-65 में जमीन का अंतिम सर्वे होने को प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष और चाईबासा की सांसद गीता कोड़ा और उनके पति राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने आधार बनाया। कुछ विधायकों की भी इसपर आपत्ति थी। इसे देखते हुए सत्तापक्ष के विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुलाई।। इस बैठक के बाद सत्तापक्ष का स्वर एक हो रहा है। कांग्रेस के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय उन्हें पूरी तरह स्वीकार्य है और वे इस नीति के पक्षधर हैं। राजद के नेताओं ने भी सरकार के फैसले से सहमति जताई है।

भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी भी दे रही साथ

स्थानीयता नीति निर्धारण संबंधी हेमंत सरकार के फैसले पर विरोधी दल भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी भी साथ हैं। आजसू पार्टी ने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति के निर्धारण की मांग उठाई है। पार्टी ने कहा है कि इसका ड्राफ्ट भी जल्द सार्वजनिक हो। भाजपा में इसे लेकर एक अलग-अलग स्वर हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसे असंवैधानिक बताया है, जबकि भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का तर्क है कि उन्होंने अपने शासनकाल में इसे लागू करने का निर्णय किया था लेकिन यह हाई कोर्ट से खारिज हो गया।


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