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JPSC Mains: हाई कोर्ट ने कहा- परीक्षा जारी रखें, रिजल्‍ट पर लगाई रोक; पढ़ें आदेश

Jharkhand Public Service Commission. रांची के 57 परीक्षा केंद्रों पर सोमवार को जेपीएससी की छठी मुख्‍य परीक्षा ली गई । भारी सुरक्षा के बीच सभी केंद्रों पर मजिस्ट्रेट भी तैनात किए गए थे।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 09:24 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 07:05 PM (IST)
JPSC Mains: हाई कोर्ट ने कहा- परीक्षा जारी रखें, रिजल्‍ट पर लगाई रोक; पढ़ें आदेश
JPSC Mains: हाई कोर्ट ने कहा- परीक्षा जारी रखें, रिजल्‍ट पर लगाई रोक; पढ़ें आदेश

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने जेपीएससी मुख्‍य परीक्षा लेने की इजाजत दे दी है। सोमवार को हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि परीक्षा जारी रखा जाए लेकिन बिना उच्‍च न्‍यायालय के आदेश के रिजल्‍ट प्रकाशित नहीं किया जाएगा। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 25 फरवरी तय की है। इधर विधानसभा में सत्‍ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों तथा छात्रों के लगातार विरोध के बीच छठी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा सोमवार को सुबह दस बजे रांची के 57 परीक्षा केंद्रों पर शांतिपूर्ण तरीके से ली गई।

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हाई कोर्ट ने कहा- बिना अनुमति के जारी नहीं होगा परिणाम
हाई कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा आयोजित छठी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया, लेकिन परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने पंकज कुमार पांडेय की याचिका पर सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना जेपीएससी रिजल्ट जारी नहीं कर सकता। मामले में अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी। इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही वादी की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएस मजुमदार ने अदालत को बताया कि संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के विज्ञापन में सरकार द्वारा बदलाव करने को चुनौती देने का अधिकार है, क्योंकि पूर्व में कोर्ट ने इसके बारे में वादी से जानकारी मांगी थी।

वादी की ओर से इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया गया। अदालत ने कहा इस मामले की सुनवाई में समय लगेगा और प्रतिदिन सुनवाई कर मामले को निपटाया जा सकता है। इस बीच अदालत ने जेपीएससी के अधिवक्ता से पूछा कि क्या परीक्षा हो रही है। अदालत को बताया गया कि सुबह आठ से ही परीक्षा हो रही है, जिसके बाद कोर्ट ने परीक्षा को रोकने का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए परीक्षा जारी रहेगी। लेकिन अदालत ने बिना अनुमति के मुख्य परीक्षा के परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है।

इसके आलावा उच्‍च अदालत ने 31 जनवरी तक अखबार में, जेपीएससी की साईट व हाई कोर्ट की साईट पर एक नोटिस जारी करने का निर्देश दिया ताकि अगर किसी भी अभ्यर्थी को इस मामले में शिकायत हो तो वह हाई कोर्ट में अपना पक्ष रख सकता है। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि जेपीएससी ने परीक्षा की प्रक्रिया शुरु होने के बाद नियमों में कई बदलाव किए हैं।

परीक्षा के लिए जारी विज्ञापन में सीट से 15 गुना ही अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने की बात थी। इसके तहत 5138 अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया। इसके बाद सरकार ने नियम में बदलाव किया और 6103 अभ्यर्थियों को पास किया गया। इसके बाद भी सरकार ने न्यूनतम प्राप्तांक में बदलाव किया। जिसके चलते 34634 अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया। वादी का कहना था कि नियमानुसार परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव करना गलत है। बता दें कि पंकज कुमार पांडेय ने हाई कोर्ट में अपील याचिका दाखिल की है। पूर्व एकलपीठ ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

इस परीक्षा में लगभग 27 हजार अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं। सभी परीक्षा केंद्रों पर भारी सुरक्षा बंदोबस्‍त के बीच मेंस परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से ली जा रही है। जबकि सोमवार को भी जेपीएससी के सामने मुख्‍य परीक्षा रोकने की मांग को लेकर कुछ परीक्षार्थी अपना विरोध जता रहे हैं। इस क्रम में यहां भारी संख्‍या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। झारखंड लोक सेवा आयोग ने 34 हजार अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए योग्य घोषित किया था। इनमें से लगभग 27000 अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन किया।

चीफ जस्टिस की खंडपीठ में हुई सुनवाई : झारखंड हाई कोर्ट में छठी जेपीएससी को लेकर दाखिल मामले में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ में छठी जेपीएससी का मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। सोमवार को ही इधर छठी जेपीएससी की मुख्य परीक्षा शुरू हुई, उधर पंकज कुमार पांडे की याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई भी की। पंकज पांडे ने सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि न्यूनतम मार्क्स लाने वाले सभी को मुख्य परीक्षा में शामिल किया जाएगा। हालाकि इस अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को एकल पीठ खारिज कर चुका है। इसके बाद पंकज कुमार ने एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है।

बता दें कि परीक्षार्थी अपनी मांगों को लेकर रविवार की देर रात तक झारखंड लोक सेवा आयोग कार्यालय पर डटे रहे। रात भर पुलिस के मौजूदगी में उनका धरना-प्रदर्शन चलता रहा। प्रिलिम परीक्षा की कॉपियों की जांच में गडबडी होने की बात कहते हुए छात्र मुख्‍य परीक्षा को रोके जाने की मांग कर रहे थे। सोमवार को भी यहां कई छात्र आयोग कार्यालय पर विरोध जताने पहुंचे थे। झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन की छठी सिविल सेवा मेंस परीक्षा का कुछ छात्रों ने बहिष्‍कार करने का भी निर्णय लिया है।

जेपीएससी के सामने सोमवार को मुख्‍य परीक्षा का विरोध करते अभ्यर्थी।

रात भर धरना-प्रदर्शन : दो दिन पहले तक उग्र आंदोलन की चेतावनी देने वाले छात्रों ने हालांकि रविवार को जेपीएससी कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विराेध जताया था। छात्रों का कहना है कि आयोग आनन-फानन में परीक्षा करा रहा है। इधर छात्रों के दूसरे दल का मानना है कि परीक्षा तय समय पर ही होनी चाहिए। इससे उनका भविष्‍य जुड़ा है। पहले ही जेपीएससी लेटलतीफी के लिए बदनाम रहा है। 

आयोग की ओर से तय शेड्यूल के मुताबिक 28 जनवरी से एक फरवरी तक मुख्य परीक्षा होगी। जबकि छठी परीक्षा के प्रारंभिक परिणाम को दो बार संशोधित किया गया। इसमें 34 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा के लिए योग्य माने गए। अलग-अलग विभागों के 326 पदों पर भर्ती के लिए यह प्रक्रिया वर्ष 2015 से ही चल रही है। विद्यार्थियों का आरोप है कि जिन लोगों ने पीटी की परीक्षा दी, लेकिन मेंस का फॉर्म नहीं भरा, उनका भी एडमिट कार्ड जारी कर दिया गया है। सरकार ने पहले ही जेपीएससी के सचिव जगजीत सिंह को उनके पद से हटाकर उनकी जगह रणेंद्र सिंह को सचिव नियुक्त कर दिया है। जिनके बेटे के बारे में कहा जा रहा था कि वह भी जेपीएससी की मुख्‍य परीक्षा में शामिल हो रहा है।


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