Move to Jagran APP

जेपीएससी मतलब विवादों का पिटारा, आयोग की ज्यादातर परीक्षाओं और नियुक्तियों पर उठी अंगुलियां

जरूरत है आयोग को चिंतन-मनन करने की। नौकरी के लिए वर्षो मेहनत करने वाले युवा उस पर भरोसा क्यों नहीं कर पा रहे? इसके लिए उसे परीक्षा का पारदर्शी तंत्र विकसित करना चाहिए ताकि भविष्य में आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं और उनके परिणामों पर अंगुली न उठे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 09:31 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 09:33 AM (IST)
जेपीएससी मतलब विवादों का पिटारा, आयोग की ज्यादातर परीक्षाओं और नियुक्तियों पर उठी अंगुलियां
झामुमो का कहना है कि परिणाम में अगर किसी प्रकार की त्रुटि हुई तो सरकार के समक्ष पक्ष रखना चाहिए।

रांची, प्रदीप शुक्ला। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) एक बार फिर से विवादों में है। इसे संयोग कहें अथवा अफसरों की कारस्तानी, आयोग की ज्यादातर परीक्षाओं, परिणाम और नियुक्तियों पर अंगुलियां उठी हैं। गड़बड़ियों के चलते कुछ लोग जेल गए और कई अभी भी जांच झेल रहे हैं। उम्मीद थी कि इस बार परीक्षा के बाद आयोग पर ऐसी कोई अंगुली नहीं उठेगी, लेकिन फिर गड़बड़झाला होने के संदेह में अभ्यर्थी सड़क पर उतर चुके हैं। इसे लेकर राजभवन गंभीर है और आयोग के चेयरमैन को तलब कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। आयोग की तरफ से सफाई दी गई है, लेकिन शायद ही यह अभ्यर्थियों के गले उतरे।

loksabha election banner

आयोग का कहना है कि एक ही क्रम से कुछ अभ्यर्थियों का सफल होना कोई बड़ा मामला नहीं है। फिर भी वह उसकी जांच करवाएंगे, लेकिन इसके लिए परीक्षाफल रद करने का सवाल नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है अगर जांच में वाकई यह पाया गया कि गड़बड़ी हुई है तब क्या होगा? क्या परीक्षा रद होगी? क्या जिम्मेदार लोग कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएंगे? क्या आंदोलित अभ्यर्थी आयोग के स्पष्टीकरण के बाद शांत हो जाएंगे?

जेपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा के परिणाम में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर मंगलवार को रांची के मोरहाबादी टीओपी के समक्ष प्रदर्शन करते अभ्यर्थी। जागरण आर्काइव

शुरुआत से ही जेपीएससी की परीक्षाओं का इतिहास दागदार रहा है। आयोग के पहले अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद को गड़बड़ी के आरोपों की वजह से जेल तक की हवा खानी पड़ी। आयोग के कई सदस्य अभी भी जांच के घेरे में हैं। सीबीआइ इन आरोपों की जांच कर रही है और इसमें सत्यता भी पाई गई है। आयोग से चयनित दूसरे बैच के अधिकारियों को तो इस वजह से सेवा तक से हटाया गया था। बाद में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई से रोक हटी। ताजा विवाद आयोग की हालिया परीक्षा को लेकर है। आरोप लगाया जा रहा है कि इसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई है।

दरअसल सफल अभ्यर्थियों के परिणाम में कई आवेदक ऐसे हैं जो लगातार क्रमांक वाले यानी एक ही सीरियल नंबर के हैं। आयोग इसे जहां संयोग बताकर पल्ला झाड़ रहा है, वहीं इसपर आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि परिणाम गड़बड़ी की तरफ इशारे कर रहा है। नाराज अभ्यर्थियों ने जब अपनी मांग को लेकर झारखंड लोक सेवा आयोग का दफ्तर घेरना चाहा तो पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए लाठियां चलाई। भाजपा के कई विधायक भी इस दौरान मौजूद थे। राजनीतिक तूल देने के लिए भाजपा ने इस मामले पर राज्यपाल का दरवाजा खटखटाया।

राज्यपाल रमेश बैंस ने तत्काल इस मुद्दे पर आयोग के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को तलब कर लिया। भारतीय पुलिस सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके चौधरी अभी राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी हैं। अभ्यर्थियों पर लाठी चार्ज करने के कारण राजधानी रांची के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से भी जवाब मांगा गया है। मामला शांत होता नहीं दिखता। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आंदोलन को भाजपा प्रायोजित करार दिया है। झामुमो का कहना है कि परिणाम में अगर किसी प्रकार की त्रुटि हुई है तो सरकार के समक्ष पक्ष रखना चाहिए।

बहरहाल राजभवन के हस्तक्षेप के बाद आयोग ने अब कटआफ मार्क्‍स जारी कर दिए हैं। आयोग ने परीक्षा के पूरी तरह पाक-साफ होने का दावा किया है। आयोग का कहना है कि जिन दो केंद्रों पर क्रमवार अभ्यर्थियों के पास होने की बात की जा रही है, उसकी जांच करवाई जा रही है। बेशक आयोग कह रहा है कि जांच में जो निकलेगा उसे सभी के सामने लाया जाएगा, लेकिन इसकी उम्मीद कम ही है कि आंदोलित अभ्यर्थी इससे चुप बैठ जाएंगे। उनके समर्थन में भाजपा पहले से ही खड़ी हो चुकी है।

राजभवन की सक्रियता के बाद उनके हौसले और बढ़ गए हैं। अब जब आयोग ने एक तरह से यह स्वीकारोक्ति कर ही ली है कि दो जिलों के दो केंद्रों पर ऐसा हुआ है तो संभव है यह मामला उच्च न्यायालय में भी चला जाए। बीस साल में आधा दर्जन से अधिक परीक्षाओं को जांच और अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है। इस बार एक साथ तीन साल की की परीक्षा हुई है। यदि आयोग आंदोलित अभ्यर्थियों को संतुष्ट नहीं कर सका तो संभव है वर्षो से मेहनत करने वाले युवाओं के सपनों पर एक बार फिर कुठाराघात हो। 

[स्थानीय संपादक, झारखंड]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.