रांची, राज्य ब्यूरो: वित्त रहित स्कूलों एवं कालेजों के प्राचार्यों ने शिक्षा सचिव के. रवि कुमार के उस आदेश का विरोध किया है, जिसमें सभी वित्त रहित स्कूलाें एवं कालेजों की जांच करने को कहा गया है। प्राचार्यों ने जांच के आदेश को जैक अधिनियम और नियमावली के विरुद्ध बताते हुए कहा है कि वे जांच में सहयोग नहीं करेंगे। प्राचार्यों ने आदेश के विरोध में आंदोलन का भी निर्णय लिया।
वित्त रहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर वित्त रहित इंटरमीडिएट कालेजों, उच्च विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों, मदरसा के प्राचार्यों की बैठक शनिवार को रांची में हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मोर्चा काे जांच पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन शिक्षा सचिव द्वारा दिया गया जांच का आदेश झारखंड अधिविद्य परिषद अधिनियम, 2002 एवं संशोधित अधिनियम 2006 के प्रविधानों का अनुसार नहीं है। मोर्चा इसका विरोध करता है।
नियमविरुद्ध क्षेत्राधिकार में दखल देना मंजूर नहीं
बैठक में कहा गया कि अधिनियम में जांच का अधिकार सिर्फ झारखंड अधिविद्य परिषद को है। विभाग इसकी सीधे जांच नहीं करा सकता है। यह भी कहा गया कि वर्ष 2016 में तत्कालीन शिक्षा सचिव आराधना पटनायक ने उपायुक्त से जांच कराई थी। उस पत्र में साफ लिखा हुआ था कि जांच करने का अधिकार झारखंड अधिविद्य परिषद को है। वर्ष 2012 में राज्य सरकार द्वारा इंटरमीडिएट कालेजों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसपर परिषद से परामर्श नहीं लिया गया था। उस समय जैक की तत्कालीन अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह जैक के क्षेत्राधिकार में दखल देना है।
बैठक में इसपर सहमति बनी कि जबतक अधिनियम एवं नियमावली के अनुसार जांच नहीं होगी, स्कूल, कालेजों की जांच में सहयोग नहीं किया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि इस आदेश के विरोध में आठ फरवरी को मोर्चा राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव एवं शिक्षा सचिव को ज्ञापन सौंपा जाएगा। 14 फरवरी को मोर्चा जांच के विरोध में राजभवन के समीप विशाल धरना देगा।
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने का भी निर्णय लिया गया है। बैठक में सुरेंद्र झा, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, मनीष कुमार, फजलुल कादिर अहमद, अरविंद सिंह, अनिल तिवारी, गणेश महतो, अमृत महतो, देवनाथ सिंह, नरोत्तम सिंह, निर्मला मरांडी ,दिलीप घोष आदि उपस्थित थे।