Jharkhand Politics: सीता सोरेन के बगावती तेवर, कहा- उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी
Jharkhand Politics सीता सोरेन के रुख से झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो सकते में है। सीता की बेटियां भी अपनी मां के समर्थन में आगे आईं।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Politics राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा में उठा विवाद अब तूल पकड़ता दिख रहा है। गुरुवार को जामा की विधायक सीता सोरेन ने महासचिव विनोद पांडेय के खिलाफ झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से शिकायत की थी। इसमें किसी प्रकार की कोई कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने अपने तेवर और तल्ख कर लिए। उधर उनकी बेटियों ने मां के सुर में सुर मिलाते हुए कार्रवाई नहीं होने को दुखद बताया।
इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को ट्वीटर पर भी सीता सोरेन और उनकी बेटियां विजयश्री सोरेन व राजश्री सोरेन सक्रिय रहीं। शुक्रवार को सीता सोरेन ने स्पष्ट संकेत दिए कि वह हथियार डालने वाली नहीं हैं। उन्होंने लिखा- 'उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है, अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है। दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत।' सीता सोरेन को उनके समर्थकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली।
इस बीच उनकी बेटी विजयश्री सोरेन ने लिखा- 'मां, मैं आपके साथ मजबूती से खड़ी हूं। खामोशी की आवाज शब्दों से ज्यादा गूंजती है। हालांकि खामोशी को विभिन्न तरीकों से लिया जाता है। कभी यह सौहार्द तो कभी हानि का सबब बनता है। आपके पत्र के मद्देनजर जल्द से जल्द कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए।' वहीं राजश्री ने अभी तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने को दुखद बताया। लिखा- 'मुझे यह देखकर बहुत दुख हो रहा है।
मेरी मां पार्टी की सीनियर विधायक सीता सोरेन द्वारा लिखे गए खत को 18 घंटे से ज्यादा का वक्त हो गया, लेकिन अभी तक कोई एक्शन अथवा संज्ञान नहीं लिया गया है। इस खामोशी का तात्पर्य क्या है?' सीता सोरेन के रुख से झारखंड मुक्ति मोर्चा का शीर्ष नेतृत्व सकते में है। फिलहाल झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन नई दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। झामुमो में फिलहाल कोई भी इस मसले पर बोलने को तैयार नहीं है।
कुछ लोगों ने हाइजैक कर लिया है पार्टी को : सीता सोरेन
जामा की विधायक सीता सोरेन का कहना है कि पत्र लिखना आवश्यक था, क्योंकि कुछ लोगों ने इस पार्टी को हाइजैक कर रखा है। ये लोग झामुमो को अपनी बपौती समझ रहे हैं। मैंने चतरा जिलाध्यक्ष को बर्खास्त करने के लिए कहा था, क्योंकि उन्होंने संगठन विरोधी कार्य किया है।
मैं जब आम्रपाली कोल माइंस के विस्थापितों की समस्या के मद्देनजर वहां के दौरे पर गई तो जिलाध्यक्ष ने संगठन के लोगों को मुझसे नहीं मिलने का आदेश जारी कर दिया। कुछ लोग जो मुझसे मिलने आए, उसपर कार्रवाई की गई। मैंने विनोद पांडेय को कहा था कि चतरा जिलाध्यक्ष को बर्खास्त करें। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ठीक है। इसमें उनकी मिलीभगत लगती है।